
- विदिशा कलेक्टर का नवाचार, 100 फीसदी असरदार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के डेढ़ दर्जन से ज्यादा जिले कुपोषण की चपेट में है। इनमें राजधानी से सटा विदिशा जिला भी कुपोषण प्रभावित जिलों में गिना जाता है। जिले के माथे से कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए कलेक्टर अंशुल गुप्ता का नवाचार जनभागीदारी गोद मॉडल कारगार साबित हो रहा है। जिसके तहत तीन चरणों में पोषण संजीवनी अभियान चलाया गया। सरकार की ओर से कोई बजट खर्च नहीं किया जा रहा है। अभियान के जरिए जिले के सभी कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों के घर तक पोषण किट पहुंचाई गई। जिसके सेवन से कुपोषित बच्चे पोषित हो रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम कुपोषित बच्चों की नियमित निगरानी कर रही हैं। अभियान की सफलता को देखते हुए निकट भविष्य में विदिशा जिले के माथे से कुपोषण का कलंक मिटने की पूरी संभावना है। दरअसल, कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने कुपोषित बच्चों के लिए अलग नवाचार किया। महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुश्री विनीता कांसवा के सहयोग से जिले के कुपोषित बच्चों को लेकर रोडमैप बनाया। जिले के सभी गांवों एवं नगरीय क्षेत्रों के चिह्नित कुपोषित बच्चों के घर पहुंचने का अभियान शुरू किया।
कैलोरी का भंडार है पोषण किट
जिला अधिकारी सुश्री विनीता ने बताया कि पोषण संजीवनी अभियान 30 जून से 30 नवंबर तक चलना है। 3 अलग-अलग चरणों में जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण किटों का वितरण हो चुका है। चरणबद्ध तरीके से कुपोषित बच्चों की जांच हो रही है। किट मिलने के बाद पहले चरण के लगभग सभी बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार देखा गया है। 30 नवंबर के बाद सभी बच्चों का फिर से स्वास्थ्य परीक्षण होगा। पोषण किट में तेल, घी, चावल, बेसन, चना (सिका), तिल्ली, मूंग दाल, मुरमुरा, मूंगफली दाने, गुड पाउडर, किशकिश,
मल्टीग्रेन आटा अलग-अलग मात्रा में है। किट में खिलौने भी हैं।
इनका कहना है…
कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में समाज को साथ जोड़ा है। जनप्रतिनिधि, सामाजिक एवं अन्य संस्थाओं का भरपूर सहयोग मिला है। अभी तक हम इस नवाचार में सफल हो रहे हैं। अभियान की नियमित निगरानी हो रही है।
अंशुल गुप्ता, कलेक्टर, विदिशा
