हर असली मतदाता की करेंगे रक्षा: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल। चुनाव आयोग द्वारा 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दूसरे चरण की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि देश में किसी भी तरह की फूट डालो और राज करो की राजनीति नहीं होनी चाहिए और हर असली मतदाता के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हम नहीं चाहते कि किसी भी समुदाय या वर्ग के बीच विभाजन की राजनीति की जाए। हर असली मतदाता का लोकतांत्रिक अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए। लोकतंत्र के सबसे बड़े स्तंभ न्यायपालिका और मीडिया हैं, इन्हें मजबूत रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने अपने भाषण में महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का उल्लेख करते हुए कहा कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने कहा कि अगर सभी एकजुट रहें तो देश और लोकतंत्र दोनों मजबूत रहेंगे।

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को उस व्यक्ति की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए जिसने कथित तौर पर आत्महत्या की। अभिषेक बनर्जी ने कहा कि प्रदीप कर ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि एसआईआर और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की वजह से उन्हें मानसिक तनाव हुआ, जिसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया। अभिषेक बनर्जी ने मृतक प्रदीप कर के परिवार से मुलाकात की और इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एसआईआर की घोषणा के दो दिन बाद 48 घंटे के भीतर दो लोगों की मौत हो चुकी है। अगर किसी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए तो वह गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार हैं। उन्होंने मांग की कि इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को घोषणा की थी कि विशेष गहन पुनरीक्षण का दूसरा चरण 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया जाएगा। आयोग ने बताया कि अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी। चुनाव आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना और त्रुटियों को दूर करना है, ताकि आगामी चुनावों में सटीक और पारदर्शी मतदान सुनिश्चित हो सके। हालांकि पश्चिम बंगाल में इसे लेकर राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है।

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