
- मोहन‘राज’ का नवाचार…
मप्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने औद्योगिक विकास को आधार बनाया है। इस कड़ी में मप्र में एमएसएमई विकास नीति 2025 को क्रियान्वित किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे प्रदेश में आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को नई गति मिलेगी।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मध्यप्रदेश में एमएसएमई का तेजी से विकास हुआ है। केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में अब तक नई एमएसएमई और स्टार्टअप पॉलिसी तथा कलस्टर विकास नीति से मध्यप्रदेश के एमएसएमई सेक्टर में जबरदस्त ग्रोथ हुई है। उद्यमिता और व्यापार यानि सेवा और उद्यम दोनों क्षेत्रों में यह ग्रोथ परिलक्षित हुई है तथा इसकी तस्दीक केन्द्र सरकार के उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर उपलब्ध आँकड़ों से की जा सकती है। एमएसएमई विभाग द्वारा एक जिला-एक उत्पाद में चुने गए उत्पादों के प्रचार-प्रसार के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। एक जिला-एक उत्पाद में चुने गए जिलों की विनिर्माण इकाइयों को करनाल (हरियाणा), कुरुक्षेत्र, सहारनपुर में एक्सपोजर और लर्निंग विजिट करायी गई। जिलों के उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग विकास, निर्यात विकास एवं संवर्धन, स्किल डेवलपमेंट, वित्त पोषण, गुणवत्ता एवं सुधार और प्रौद्योगिकी उन्नयन के भी प्रयास किए जा रहे हैं। एमएसएमई मंत्री चेतन्य कुमार काश्यप ने बताया है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के पंजीयन के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है। भारत सरकार के उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर अब तक 20 लाख से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाईयां पंजीकृत हो चुकी हैं। उद्यम सहायता पोर्टल के अनुसार प्रदेश में अब तक लगभग 23 लाख इकाईयां स्थापित हुई हैं। मंत्री श्री काश्यप ने बताया कि वर्तमान में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इकाइयों की कुल संख्या 43 लाख 32 हजार से अधिक हो गयी है। जिससे मध्यप्रदेश का स्थान देश के शीर्ष छह राज्यों की सूची में दर्ज हो चुका है। उल्लेखनीय है कि फरवरी 2025 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित की गई नवीन एमएसएमई नीति के बाद से बड़े पैमाने पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग स्थापित हुए है। मंत्री काश्यप ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार नवीन एमएसएमई विकास नीति 2025, स्टार्ट-अप नीति-2025 ईज ऑफ इइंग बिजनेस जैसी पहल ने उद्यमियों का भरोसा बढ़ाया है। राज्य में उद्यम स्थापना की प्रक्रिया अब पहले से कहीं अधिक आसान और पारदर्शी हो गई है जिससे औद्योगीकरण की प्रक्रिया में तेजी आई है। मंत्री श्री काश्यप ने कहा है कि इस वृद्धि से रोजगार, स्थानीय निवेश और आत्मनिर्भरता तीनों को एक साथ गति मिली है। एमएसएमई मंत्री चेतन्य कुमार काश्यप ने बताया महिला उद्यमिता में भी पिछले दो वर्षों में 15 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 की अपेक्षा 2024-25 में पंजीकृत इकाईयों की संख्या में 124279 की वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश सरकार का लक्ष्य अब 2026 तक 25 लाख एमएसएमई इकाइयों का आंकड़ा पार करने का है, जिससे 5 लाख से अधिक नए रोजगार सृजित होने की संभावना है। एमएसएमई मंत्री ने कहा है कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में यह उपलब्धि केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिले में बढ़ती औद्योगिक आत्मनिर्भरता और उद्यमशीलता का दर्पण है। जहां मेक इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल, विकसित भारत 2047 और एक जिला, एक उत्पाद जैसी राष्ट्रीय पहलो को प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू किया गया है वहाँ राज्य सरकार द्वारा लागू की गई नवीन एमएसएमई विकास नीति-2025 और स्टार्टअप नीति: 2025 ने उद्योगों को नई दिशा और गति दी है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई विभाग इन प्रयासों को उच्चतम स्तर तक ने जाने के लिए सतत रूप से कार्यरत रहेगा, ताकि प्रदेश के उद्योग क्षेत्र में निवेश, नवाचार और रोजगार सृजन को और अधिक प्रोत्साहन मिले। बेहतर ग्रोथ के प्रयासों में प्रदेश के सभी एक जिला एक उत्पादों की प्रदर्शनी- सतना जिला के चित्रकूट में ग्रामोदय से राष्ट्रोदय मेला में लगायी गयी। प्रदर्शनी में सभी जिलों से आए लगभग 100 स्टाल लगाए गए। कार्यक्रम में लगभग एक लाख लोगों द्वारा सहभागिता की गई। साथ ही अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, भारत सरकार के विभिन्न विभागों, मंत्रियों एवं जन-प्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता से इस दिशा में नया माहौल बना है। हाल ही में विभाग द्वारा ओएनडीसी, एफआईटीटी, एसआईडीबीआई, एचडीएफसी बैंक, एमवन एक्सचेंज, योर स्टोरी, एसोचैम, टाइ ग्लोयल और पीएचडीसीसीआई के साथ निष्पादित एमओयू से प्रदेश की एमएसएमई एवं स्टार्टअप को फंडिंग, मार्केटिंग, हेण्डहोल्डिंग, विलंबित भुगतान से राहत का माध्यम जैसी सुविधाएँ प्राप्त होना प्रारंभ हो गई है।
उद्यमियों को मिलेगी मनचाही जमीन!
सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम विभाग अब अपने नए औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश के इच्छुक उद्यमियों की जरूरत के अनुसार प्लॉट निकालेगा। इसके लिए उद्यमियों से सुझाव लिए जा रहे हैं। उद्यमियों को जितने बड़े प्लॉट की जरुरत होगी, उतना प्लॉट उन्हें आवंटित किया जाएगा। इसकी शुरुआत पांच नए औद्योगिक क्षेत्रों से की जा रही है। इससे विभाग को भी जमीन आवंटन में आसानी होगी और उद्यमियों को भी उनके उत्पादों की जरुरत के अनुसार प्लॉट मिल सकेगा। एमएसएमई विभाग ने हाल ही में पांच नए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास का काम शुरु किया है। लेकिन इन ले-आउट जारी कर सबसे पहले उद्यमियों से राय मांगी गई है कि उन्हें कितना बड़ा प्लॉट चाहिए। औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी अपने उत्पाद और यूनिट की जरूरत के अनुसार प्लॉट साइज तय करा सकेंगे। इससे उन्हें अपनी जरूरत के अनुसार जमीन मिल सकेगी। एक बार प्लॉट कट जाने पर उसे तोडऩे में बाद में काफी परेशानी होती है। इसलिए विभाग ने यह कवायद शुरू की है। प्रदेश में एमएसएमई विभाग के 6500 हेक्टेयर में 208 विकसित औद्योगिक क्षेत्र हैं। एमएसएमई में प्रदेश में अभी 18 लाख से अधिक उद्यम रजिस्टर्ड हैं। इनमें सबसे ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के हैं। इन उद्योगों में प्रदेश के लगभग 94 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। पहले ट्रेडिंग यूनिट एमएसएमई में शामिल नहीं था, लेकिन वर्ष 2021 में इसे शामिल किया गया। इसके बाद थोक और खेरची ट्रेड करने वाले व्यापारी भी इसमें पंजीकृत हो रहे हैं। इससे औद्योगिक क्षेत्रों में इनकी संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। एमएसएमई विभाग द्वारा विकसित किए जा रहे पांच नए औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश के इच्छुक उद्यमियों से सुझाव मांगे गए हैं कि उन्हें अपने उत्पाद के अनुसार कितने क्षेत्रफल का प्लॉट चाहिए। इससे बाद में प्लॉट साइज की परेशानी नहीं आएगी और उद्यमियों को भी उनकी जरूरत के अनुसार जमीन मिल जाएगी।
86 लाख रोजगार के अवसर होंगे उपलब्ध
मध्यप्रदेश में मोहन सरकार ने प्रदेश में निवेशकों को रिझाने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। समिट में पहले मोहन सरकार ने पिछले एक सप्ताह में ताबड़तोड़ फैसले लेकर 17 पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। मंगलवार को भोपाल में मोहन कैबिनेट की बैठक में प्रदेश को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए म.प्र. एमएसएमई विकास नीति-2025 और स्टार्ट-अप पॉलिसी और कार्यान्वयन योजना-2025 को मंजूरी दी है। प्रदेश में मोहन सरकार नई एमएसएमई नीति की मंजूरी दी है, उसमें सरकार का दावा है कि प्रदेश में 86 लाख रोजगार अवसर पैदा होगें। मोहन सरकार इस नीति को मंजूरी देकर ईज ऑफ डुइंग को प्रोत्साहित करेगी। इस नीति से सरकार ने 53 हजार करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है। सरकार इस नीति के तहत नवीन उद्योगों में नवकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देगी। सरकार निवेशकों को मशीनरी-बिल्डिंग में निवेश करने पर 40 फीसदी सब्सिडी भी देगी। निवेश और निर्यात को प्रोत्साहन-मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति-2025 के जरिए निवेश पर 40त्न तक की सहायता, नए उद्योगों में नवकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन, अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला उद्यमी इकाई को 48त्न की सहायता और पिछड़े विकासखण्डों में 1.3 गुना सहायता का प्रावधान किया गया है। निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए भी एमएसएमई नीति के तहत विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है। इस नीति में निर्यातक इकाई को निवेश पर 52त्न तक की सहायता, निर्यात हेतु माल ढुलाई पर अधिकतम 2 करोड़ रुपए की सहायता के साथ साथ निर्यात हेतु प्रमाण पत्र पर 50 लाख रुपए की सहायता का भी प्रावधान किया गया है। मध्यम इकाई को 100 से अधिक रोजगार देने पर डेढ़ गुना अनुदान दिया जाएगा। रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए प्रति कर्मचारी 5000 रुपए प्रति माह 5 वर्ष तक मदद की जाएगी। इसके साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण हेतु 13000 रुपए की सहायता का भी नीति में प्रावधान है। सेवा क्षेत्र को पहली बार सहायता-सेवा क्षेत्र में पहली बार सहायता दी गई है। इसमें लॉजिस्टिक, रिसाईकलिंग, मोटर यान स्क्रेपिंग के साथ साथ आर एंड डी शामिल है। मेडिकल डिवाइस और फुटवियर के लिए पहली बार विशेष पैकेज भी दिया गया है। वहीं, इस नीति के तहत नवीन क्षेत्र को सहायता देने का भी प्रावधान किया गया है। जिसके तहत एमएसई एक्सचेंज, लीन इंजीनियरिंग, टेस्टिंग लैब, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हेतु सहायता का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा मशीनरी में 10 करोड़ तक निवेश पर अजा/अजजा/महिला उद्यमी को 48 और 52 फीसदी सब्सिडी भी मिलेगी। जो निवेशक 10 करोड़ से अधिक का उद्योग लगाएगा उसे 1.5 गुना अतिरिक्त अनुदान मिलेगा। सरकार फार्मास्युटिकल और टेक्सटाइल में निवेश करने वालों को विशेष पैकेज देगी। इस नीति के तहत सरकार ने माल ढुलाई में 40 लाख तक की प्रतिवर्ष सहायता देने का फैसला किया है। माल ढुलाई में 5 वर्षों तक माल आर्थिक सहायता मिलेगी। इस नीति के तहत जो निवेशक रोजगार पैदा करेगा उसे अनुदान दिया जाएगा। 100 से अधिक रोजगार देने पर निवेशक को 1.5 गुना अतिरिक्त अनुदान मिलेगा। सरकार ने नई एमएसएमई नीति के तहत औद्योगिक भूमि-भवन आवंटन-प्रबंधन में भी बदलाव किया है। पहले लोगों को प्रथम आओ-प्रथम पाओ पद्धति से औद्योगिक भूखंड मिलता था, लेकिन अब ई-बिडिंग पद्धति से यह भूखंड उपलब्ध होगा। यानी, यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी।
औद्योगीकरण की राह हुई आसान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के समग्र विकास के लिये निरंतर नई सोच के साथ परिश्रम कर रहे हैं। उनका प्रदेश के प्रति प्रेम और समर्पण आज मध्यप्रदेश के विकास की नई गाथा लिखने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समग्र विकास को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए ‘मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति-2025’ के क्रियान्वयन को मंजूरी दी। इससे प्रदेश में आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को नई गति मिलेगी। मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति-2025 में निवेश पर 40त्न तक की सहायता, नए उद्योगों में नवकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन, अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला उद्यमी इकाई को 48त्न की सहायता और पिछड़े विकासखण्डों में 1.3 गुना सहायता का प्रावधान किया गया है। निर्यात को प्रोत्साहित किया जायेगा। निर्यातक इकाई को निवेश पर 52त्न तक की सहायता, निर्यात हेतु माल ढुलाई पर अधिकतम 2 करोड़ रुपए की सहायता के साथ निर्यात के लिये प्रमाण पत्र पर 50 लाख रुपए की सहायता दी जायेगी। मध्यम इकाई को 100 से अधिक रोजगार देने पर डेढ़ गुना अनुदान दिया जाएगा। रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए प्रति कर्मचारी 5000 रुपए प्रति माह 5 वर्ष तक मदद की जाएगी। इसके साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण हेतु 13000 रुपए की सहायता का भी नीति में प्रावधान किया गया है।
एमएसएमई नीति में सेवा क्षेत्र में पहली बार सहायता देने के प्रबंध किये गये हैं। इसमें लॉजिस्टिक, रिसाइक्लिंग, मोटर यान स्क्रेपिंग के साथ आर एंड डी शामिल है। मेडिकल डिवाइस और फुटवियर के लिए पहली बार विशेष पैकेज भी दिया गया है। नीति में नवीन क्षेत्र को सहायता देने का भी प्रावधान किया गया है। इसमें एमएसएमई एक्सचेंज, लीन इंजीनियरिंग, टेस्टिंग लैब, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हेतु सहायता भी मिलेगी। मध्यप्रदेश एमएसएमई को औद्योगिक भूमि एवं भवन आवंटन तथा प्रबंधन नियमों में सशोधन भी किये जा रहे हैं। संशोधन अनुसार विकसित किए जाने वाले औद्योगिक भू-खंडों का आबंटन पहले आओ-पहले पाओ के स्थान पर ई-बिडिंग अब फ्लैटेड इंडस्ट्रियल एरिया और कॉम्पलेक्स का निर्माण और आबंटन का नवीन प्रावधान किया गया है। इन संसाधनों के बाद भूमि का आबंटन सरल, पारदर्शी एवं ऑनलाइन तरीके से त्वरित गति से हो सकेगा। इस नीति के तहत निवेशकों को व्यापक सहायता प्रदान करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने और निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इससे प्रदेश में छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के विस्तार को नई ऊर्जा मिलेगी। नई नीति में राज्य में स्थापित होने वाले उद्योगों को निवेश पर 40त्न तक की वित्तीय सहायता मिलेगी। इसके अलावा, अनुसूचित जाति/जनजाति और महिला उद्यमियों द्वारा स्थापित इकाइयों को 48त्न तक की सब्सिडी दी जाएगी। औद्योगिक रूप से पिछड़े विकासखंडों में उद्योग लगाने पर यह सहायता 1.3 गुना अधिक होगी, जिससे इन क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
प्रदेश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई नीति में निर्यातक इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है। इसमें निवेश पर 52त्न तक की वित्तीय सहायता, निर्यात के लिए माल ढुलाई पर अधिकतम 2 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी और निर्यात संबंधी प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर 50 लाख रुपए तक की सहायता शामिल है। प्रदेश में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए मध्यम श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों को 100 से अधिक लोगों को रोजगार देने पर डेढ़ गुना अधिक अनुदान दिया जाएगा। नई नीति में प्रति कर्मचारी 5 हजार रुपए प्रति माह की वित्तीय सहायता 5 वर्षों तक दी जाएगी। साथ ही औद्योगिक प्रशिक्षण और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रति कर्मचारी 13 हजार रुपए तक का प्रशिक्षण अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। नई एमएसएमई नीति लागू होने से मध्यप्रदेश में छोटे और मध्यम उद्योगों को नए अवसर मिलेंगे। इससे प्रदेश में औद्योगीकरण को गति मिलेगी। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दी गई वित्तीय सहायता और प्रोत्साहनों से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में मध्यप्रदेश की नई नीति महत्वपूर्ण साबित होगी। प्रदेश में नगरीय क्षेत्रों में शहरी पथ-विक्रेताओ को अपना व्यवसाय शुरू करने और आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिये पीएम स्वनिधि योजना में अब तक 13 लाख 46 हजार प्रकरणों में 2 हजार 78 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से हितग्राहियों को ब्याज सब्सिडी के रूप में 30 करोड़ रुपये की राशि भी दी गई है। केन्द्र सरकार ने पीएम स्वनिधि योजना का पुनर्गठन कर इसकी अवधि 31 मार्च, 2030 तक बढ़ा दी है। पथ-विक्रेताओं को योजना का लाभ देने के मामले में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है। प्रदेश के 3 नगरीय निकायों उज्जैन, खरगोन और सारणी को सर्वाधिक ऋण वितरण के लिये पुरस्कृत भी किया जा चुका है। पीएम स्वनिधि योजना में 42 अन्य नगरीय निकायों एवं बैंक शाखाओं का चयन उल्लेखनीय कार्य के लिये राष्ट्रीय स्तर पर किया गया है। राज्य में पथ-विक्रेता योजना में सफलतापूर्वक काम कर सकें, इसके लिये नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नगरीय निकायों के माध्यम से क्षमता निर्माण के लिये प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की है। हितग्राहियों को वित्तीय और डिजिटल साक्षरता, ई-कॉमर्स, पैकेजिंग, खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता का भी प्रशिक्षण दिलाया गया है। योजना में चयनित हितग्राहियों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि में भी वृद्धि की गयी है। योजना में पूर्व में 10 हजार के स्थान पर 15 हजार और 20 हजार के स्थान पर 25 हजार रुपये और अंतिम किश्त के रूप में 50 हजार रूपये की ऋण राशि दी जा रही है। डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिये हितग्राही को फुटकर लेन-देन पर 1200 रुपये और थोक व्यापार लेन-देन के लिये प्रतिवर्ष अधिकतम 400 रुपये तक कैश बेक की सुविधा दी जा रही है। पथ विक्रेता सुरक्षित रूप से व्यापार कर सके, इसके लिये नगरीय निकायों द्वारा आईडी प्रमाण-पत्र भी जारी किये गये हैं। पथ-विक्रेताओं और उनके परिवार को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिये जन-धन, पीएम सुरक्षा बीमा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति और पीएम श्रम योगी मानधन योजना, वन नेशन वन राशन कार्ड, जननी सुरक्षा, श्रमिक कल्याण और पीएम मातृ वंदना योजना से भी जोड़ा गया है। योजना में जो हितग्राही समय पर किश्त जमा कर रहे हैं, उन्हें क्रेडिट कार्ड की भी सुविधा भी दी जा रही है।
मध्यप्रदेश गढ़ रहा है नए प्रतिमान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश निवेश और औद्योगिक विस्तार के नए आयाम स्थापित कर रहा है। राज्य अपनी औद्योगिक क्षमताओं, निवेश अनुकूल नीतियों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुरूप विकसित बुनियादी ढांचे को प्रस्तुत कर रहा है। आईटी एवं प्रौद्योगिकी, पर्यटन, खनन, ऊर्जा, खाद्य प्र-संस्करण, फार्मा, कपड़ा, लॉजिस्टिक्स, कौशल विकास, ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस और पेट्रो केमिकल जैसे प्रमुख क्षेत्रों में मध्यप्रदेश ने खुद को निवेशकों के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित किया है। मध्यप्रदेश तेजी से डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की ओर बढ़ रहा है। 15 से अधिक आईटी पार्क और 50 से अधिक प्रमुख आईटी कंपनियों की उपस्थिति इसे टेक्नोलॉजी का उभरता हब बना रही है। इंदौर, भोपाल और जबलपुर में आईटी स्टार्ट-अप्स और इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे डिजिटल इंडिया मिशन को नया विस्तार मिल रहा है। प्रदेश में 3 यूनेस्को वल्र्ड हेरिटेज साइट्स, 2 ज्योतिर्लिंग, 12 राष्ट्रीय उद्यान और 11 स्थल यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल हैं। महाकाल लोक जैसी परियोजनाएँ धार्मिक पर्यटन को नए स्तर पर पहुँचा रही हैं। टाइगर स्टेट, लेपर्ड स्टेट, वल्चर स्टेट और चीता स्टेट के रूप में प्रदेश की विशेष पहचान पर्यटन को वैश्विक स्तर पर नई ऊँचाइयाँ दे रही है। देश के 90त्न हीरा भंडार, तांबा, मैंगनीज, ग्रेफाइट और रॉक फॉस्फेट के विशाल भंडार के साथ मध्यप्रदेश खनन क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। 700 से अधिक प्रमुख खनन परियोजनाएँ और 6 हजार से अधिक लघु खनिज खदानें प्रदेश की औद्योगिक प्रगति को गति प्रदान कर रही हैं। रीवा मेगा सोलर प्लांट, ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट और नीमच पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाएँ प्रदेश को ग्रीन एनर्जी हब बना रही हैं। सरकार की नवकरणीय ऊर्जा नीति-2022 में 53 हजार से अधिक मेगावॉट की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है। मध्यप्रदेश ऑर्गेनिक कृषि में देश का अग्रणी राज्य है। 11.24 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती और 30 हजार से अधिक किसान उत्पादक संगठनों के माध्यम से प्रदेश में खाद्य प्र-संस्करण उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। डेयरी, अनाज प्र-संस्करण, फल-सब्जी और मसाला उद्योग में नई संभावनाएँ निर्मित हो रही हैं। फार्मा सेक्टर में 13 हजार 158 करोड़ रूपये के निर्यात के साथ प्रदेश हेल्थ केयर मैन्युफैक्चरिंग में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत के पहले मेडिकल डिवाइस पार्क और फार्मा हब के रूप में प्रदेश, निवेशकों के लिए नए अवसर प्रदान कर रहा है। मध्यप्रदेश, जैविक कपास उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क, टेक्सटाइल ओडी-ओपी और वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट जैसी योजनाएँ प्रदेश को वस्त्र निर्माण का प्रमुख केन्द्र बना रही हैं। बुटिक प्रिंट जैसे पारंपरिक शिल्प को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। प्रदेश की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति इसे लॉजिस्टिक्स के लिए सबसे उपयुक्त बनाती है। मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क से तेज और कुशल आपूर्ति श्रृंखला की सुविधा मिल रही है। नए एक्सप्रेस-वे और औद्योगिक कॉरिडोर लॉजिस्टिक्स सेक्टर को और मजबूती प्रदान कर रहे हैं। मध्यप्रदेश स्किल डेवलपमेंट में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। ग्लोबल स्किल पार्क, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और निजी क्षेत्र के सहयोग से रोजगारपरक प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में 1500 से अधिक कौशल विकास केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। पीथमपुर ऑटो क्लस्टर, एशिया का सबसे लंबा हाई-स्पीड टेस्टिंग ट्रैक, 200 से अधिक ऑटो पाट्र्स निर्माता और 30 से अधिक ओरिजनल इक्युपमेंट्स मैन्यूफैक्चरर्स (ओईएम) के साथ प्रदेश ऑटोमोबाइल उद्योग में तेजी से विस्तार कर रहा है। ईवी मैन्युफैक्चरिंग और हरित गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए विशेष नीतियाँ लागू की जा रही हैं। प्रदेश में रक्षा उत्पादन और एयरोस्पेस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए विशेष क्लस्टर बनाए जा रहे हैं। डीआईसी इंदौर, एमआरओ हब और एयरोस्पेस पार्क के माध्यम से प्रदेश डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को गति दे रहा है। विन्ध्य बेसिन में ओएनजीसी द्वारा गैस उत्पादन से प्रदेश भारत के 9वें उत्पादक बेसिन के रूप में उभरेगा। बीना में 49 हजार करोड़ रुपये की लागत से स्थापित हो रहा डाउनस्ट्रीम पेट्रो केमिकल कॉम्प्लेक्स इस क्षेत्र में निवेश के नए द्वार खोल रहा है।
हम सोने का बाज बनने जा रहे
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा साल 2017 में मध्य प्रदेश में एमएसएमई को सब्सिडी दिए जाने का वादा तो किया गया था, लेकिन उसे निभाया नहीं गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 तक का बैकलॉग खत्म कर दिया गया है, जल्द ही 2017 का भी कर दिया जाएगा। सम्मेलन में 700 से ज्यादा एमएसएमई इकाइयों को 200 करोड़ के अनुदान की राशि जारी की गई। इसके अलावा सिंगल क्लिक के माध्यम से 80 से ज्यादा स्टार्टअप को एक करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर की गई। डॉ. मोहन यादव ने कहा जिस तरह किसान पूरे देश के लिए अपनी मेहनत से अन्न उत्पादन करने का काम करता है। सिपाही सीमा पर अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा करता है, उसी तरह उद्योगपति बुद्धि, युक्ति और पैसा लगाकर अपनी बड़ी भूमिका अदा करते हैं। ईश्वर ने हर किसी को अपनी अलग क्षमता और योग्यता दी है। इस क्षमता और योग्यता से ही देश मजबूत बनता है। बदलते दौर में अब हम फिर सोने की चिडिय़ा नहीं, बल्कि देश सोने का बाज बनने जा रहा है। स्वदेशी की भावना के बलबूते पर स्वावलंबन के मार्ग पर अपने घर का बाजार और घर की जरूरत को पूरा करते हुए देश को आगे बढ़ाएंगे और मध्य प्रदेश को भी आत्मनिर्भर बनाएंगे।
मोहन यादव ने कहा, रेल के बारे में कभी कहा जाता था कि ट्रेन कभी समय पर आ ही नहीं सकती, लेकिन अब वह पुराने समय की बात हो गई है। कांग्रेस सरकार के समय दो-चार ट्रेन चल गई तो चल गई, लेकिन आज सिर्फ मध्य प्रदेश में डेढ़ लाख करोड़ की रेल की योजनाओं का बजट है। हमारा फोर लेन का ट्रैक बनना असंभव सी बात लग रही थी, लेकिन अब यह रास्ता खुल गया है।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा, एक हजार से ज्यादा भूखंडों का आवंटन यह कम बड़ी बात नहीं है। इस साल बीते छह साल से ज्यादा, एक साल में भूखंड दिए गए हैं। 63 स्टार्टअप को आर्थिक सहायता दी जा रही है। 700 इकाईयों को 197 करोड़ की राशि दी गई। 237 इकाइयों को भूखंड आवंटन पत्र दिए गए। इसके अलावा 5084 युवाओं को 347 करोड़ का लोन दिया जा रहा है। सीएम ने कहा, आज देश में जिस तरह का समय चल रहा है उसमें देश की 80 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में एमएसएमई से ही जुड़ी है। देश की जीडीपी का 30 फीसदी एमएसएमई से आता है। इसी कारण भारत दुनिया में चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बना है। मध्य प्रदेश के कई उत्पाद इंटरनेशनल ब्रांड बन रहे हैं। कोशिश कर रहे हैं कि एमएसएमई की सभी सुविधाएं एक छत के नीचे मिल जाए। एमएसएमई मंत्री चैतन्य कश्यप ने कहा, पहले दो साल उद्योगपति के लिए सबसे कठिन होते हैं और ऐसे समय में यदि सरकार की मदद मिल जाती है तो उद्योग को चलाने में मदद मिलती है। अगस्त 2025 तक जितने भी प्रकरण थे, उन सभी की सब्सिडी का वितरण किया गया है। अब पूरे प्रदेश के हर ब्लॉक को चिन्हित किया जाएगा कि कहां-कहां उद्योग की संभावनाएं हैं। हमारे उद्यमी हर जिले और गांव में तैयार हुए हैं, लेकिन संसाधनों की उपलब्धता कराना हमारी जिम्मेदार है। जहां भी उद्योग की संभावना है, वहां व्यवस्थाएं की जाएंगी।
