
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे, मप्र सडक़ विकास निगम की परियोजनाओं के निर्माण के लिए अर्जित भूमि का नामांतरण के बाद राजस्व अभिलेख में नाम अनिवार्य रूप से दर्ज करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने कहा कि राजस्व अभिलेखों में भू-अर्जन की कार्रवाई होने के बाद भी संबंधित विभाग का नाम दर्ज नहीं होता। इस वजह से कालांतर में विभिन्न तरह के विवाद की स्थिति बनी रहती है। कलेक्टरों से कहा गया है कि वह भू अर्जन के बाद तत्काल बाद संबंधित विभागों का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराएं। यदि इसमें किसी भी तरह की कोताही पाई गई तो इसके लिए संबंधित जिलों के कलेक्टर जिम्मेदार होंगे। राज्य शासन की तरफ से लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में मप्र के सभी 55 जिलों के कलेक्टरों को राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज करने का पत्र दिया है।
दस्तावेजों में संबंधित विभाग का नाम अद्यतन नहीं करते
विभाग ने कहा कि अभी देखने में आया है कि कई कलेक्टर भू-अर्जन के बाद भी दस्तावेजों में संबंधित विभाग का नाम अद्यतन नहीं करते। इस वजह से अवसर विवाद की स्थिति पैदा होती है। इस विवाद की वजह से कई मामले कोर्ट में पेंडिंग है। इस वजह से विभाग का समय अनावश्यक रूप से जाया होता है। विभाग ने कलेक्टरों से कहा कि अपने अधीनस्थ राजस्व अमले को भू अर्जन की कार्रवाई के बाद राजस्व अभिलेख में संबंधित विभाग का नाम दर्ज करने के लिए निर्देशित करें।
विवाद की स्थिति न हों
कलेक्टरों से कहा गया कि विभाग का नाम दर्ज नहीं होने के कारण इसमें भविष्य में किसी भी तरह की विवाद की स्थिति उत्पन्न नहीं हो। पीडब्ल्यूडी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग, मार्ग, रेलवे, रेलवे मप्र सडक़ विकास निगम की विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण, उन्नयन के लिए समय-समय पर केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय तथा मप्र शासन लोक निर्माण विभाग के पक्ष में निजी भूमि का अर्जन किया जाता है।
इस संबंध में मू अर्जन की कार्रवाई राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956, रेलवे एक्ट 1989, भू अर्जन पुनर्वासन एवं पुनव्यर्वस्थापन में उचित प्रतिकार एवं पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 तथा मप्र की आपसी सहमति क्रय नीति 2014 के तहत मू-अर्जन अधिकारी तथा सक्षम प्राधिकारी भू अर्जन के माध्यम से की जाती है।
विभागों को जारी कर चुके निर्देश
नगरीय विकास एवं आवास विभाग में 12 हजार 3 बिलों का भुगतान नहीं किया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 17 हजार 49 बिलों का भुगतान नहीं किया ठाया है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने 9 हजार 965 बिलों की 34 करोड़ 45 लाख रुपए की राशि का बकाया बिल नहीं चुकाया है। स्कूल शिक्षा विभाग को 18 हजार 539 बिलों के 29 करोड़ 64 लाख रुपए चुकाना बाकी है। स्वास्थ्य महकमा भी मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का बकायादार है। उसे 1 हजार 910 बिलों के 21 करोड़ 7 लाख रुपए चुकाना बाकी है। जलसंसाधन विभाग ने ही 497 बिलों के 13 करोड़ 97 लाख रुपए नहीं चुकाए है। गृह विभाग ने 2070 बिजली बिलों के 10 करोड़ 49 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया है। पीएचई को 445 बिलों के 11. करोड़ 35 लाख रुपए चुकाना है। आदिम जाति कल्याण विभाग ने 6 करोड़ 87 लाख राजस्व विभाग ने 3 करोड़ 76 लाख रुपए बकाया है।
विभाग नहीं दे रहे 72 हजार बिजली बिलों के 406 करोड़ रुपए
प्रदेश के सोलह सरकारी महकमों पर 72 हजार 900 बिजली बिलों की 406 करोड़ 36 लाख रुपए की राशि बकाया है। ये महकमें लगातार नोटिसों के बांद भी बिजली बिलों का भुगतान नहीं कर रहे है सर्वाधिक बकाया राशि नगरीय विकास एवं आवास विभाग पर 125 करोड़ 62 लाख रुपए और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पर 102 करोड़ 32 लाख रुपए है। हालांकि वित्त विमाग ने बजट दिया है मगर विभाग भुगतान नहीं कर रहे है।
