- प्रभारी रजिस्ट्रार के भरोसे मप्र विश्वविद्यालय
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रमोशन में देरी होने से प्रदेश के सभी शासकीय विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार और डिप्टी रजिस्ट्रार के पद खाली हैं। इनके स्थान पर प्रभारी अधिकारियों से काम चलाया जा रहा है। दरअसल, प्रदेशभर के शासकीय विश्वविद्यालयों में एक भी स्थायी कुलसचिव (रजिस्ट्रार) नहीं है। सभी की प्रशासनिक बागडोर प्रभारियों के भरोसे है। स्थिति यह है कि रजिस्ट्रार के पदों पर पिछले 12 साल से प्रमोशन नहीं हुआ है, इसलिए इन पदों पर डिप्टी रजिस्ट्रार और प्रोफेसर आसीन हैं। स्थायी अधिकारी ना होने के कारण प्रशासनिक व शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। नीतिगत निर्णय और प्रशासनिक कार्यों की गति धीमी है। फाइलें लंबित हैं, वित्तीय स्वीकृतियां समय पर नहीं हो रही हैं और परीक्षा व मूल्यांकन प्रक्रियाओं में भी विलंब हो रहा है। शिक्षाविदों का कहना है कि विवि की प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पद पर स्थायित्व ना होना दुर्भाग्यपूर्ण है। न्यायालय में आरक्षण मामला लंबित होने का हवाला देते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने 2013 से रजिस्ट्रार पद पर प्रमोशन नहीं किए हैं। इससे अधिकारियों में असंतोष है।
हालांकि जानकारों का कहना है कि विवि अधिनियम में प्रभारी रजिस्ट्रार का प्रावधान नहीं है। लेकिन प्रदेश में ऐसा हो रहा है। एक अधिकारी का कहना है कि विभाग कभी भी प्रभार छीन सकता है। सीनियरिटी का पालन नहीं हो रहा है, आर्थिक नुकसान भी है। प्रभारी रहने से भाव में भी अस्थिरता रहती है। इसका प्रभाव काम पर पडऩा लाजिमी है। पूर्व प्रभारी रजिस्ट्रार एचएस त्रिपाठी का कहना है कि प्रभारी व्यवस्था हमेशा कमजोर रहती है। इसका असर प्रशासनिक और शैक्षणिक गुणवता पर पड़ता है। वैसे भी विश्वविद्यालय अधिनियम में प्रभारी कुलसचिव का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इसलिए सशर्त प्रावधिक प्रमोशन का विकल्प अपनाया जाना चाहिए। दूसरा भोपाल में प्रदेशभर में गिने-चुने वरिष्ठ डिप्टी रजिस्ट्रार है। डॉ. आईके मंसूरी, जो बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार रहे हैं, अब बीयू में ही डिप्टी रजिस्ट्रार के तौर पर कार्यरत हैं। इधर, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रभारी रजिस्ट्रार अनिल शर्मा के पास दोहरा दायित्व है-वे बीयू के भी प्रभारी हैं। उज्जैन में कार्यरत होने के कारण व्यवहारिक तौर पर बीयू भोपाल में उपस्थिति संभव नहीं है। विभाग के इस अजीबो-गरीब निर्णय से बीयू में व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं।
पढ़ाई छोड़ प्रशासनिक कार्य कर रहे प्रोफेसर
कई विश्वविद्यालयों में जूनियर डिप्टी रजिस्ट्रार और प्रोफेसरों को प्रभारी रजिस्ट्रार बनाकर काम चलाया जा रहा है। रानी दुर्गावती विवि जबलपुर के प्रभारी रजिस्ट्रार डॉ. आरके बघेल, देवी अहिल्या विवि इंदौर के प्रभारी प्रञ्चल खरे, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि छत्तरपुर में डॉ. यशवंत पटेल, अटल बिहारी हिंदी विवि में डॉ. शैलेंद्र जैन, मह विवि में अजय वर्मा प्रभारी हैं। शहडोल विवि का प्रभार डॉ. सरिता चौहान को दिया गया था, लेकिन उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया। इधर, जीवाजी विवि ग्वालियर में प्रो. राकेश कुशवाहा, अवधेश प्रताप सिंह विवि रीवा में प्रो. परिहार, भोज विवि भोपाल में प्रो. सुशील मंडेरिया, ग्रामोदय विवि चित्रकूट में प्रो. रमेशचन्द्र त्रिपाठी और संस्कृत विवि उज्जैन में प्रो. सोनी प्रभारी रजिस्ट्रार के तौर पर कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त गुना, सागर और खरगोन विश्वविद्यालयों में भी प्रोफेसरों से रजिस्ट्रार का कार्य कराया जा रहा है।
