
- पुलिस मुख्यालय के निलंबित चार बाबू के कारनामे सीएमएचओ की रिपोर्ट से प्रमाणित
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय के निलंबित चार बाबू के खिलाफ जेपी अस्पताल के सीएमएचओ कार्यालय से रिपोर्ट मिल गई है। आरोपी एक ही बीमारी के इलाज की दवा के एक ही पर्चे दिखाकर सरकारी पैसों का गबन कर रहे थे।
इन्हीं की मदद से आरोपी चार कार्यालय के अफसरों और बाबूओंने मिलकर करीब एक करोड़ रुपए का फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। पुलिस के अनुसार बुधवार को निलंबित सूबेदार नीरज कुमार, एएसआई हर्ष वानखेड़े और हवलदार राजपाल ठाकुर के खिलाफ जालसाजी और गबन का प्रकरण दर्ज किया गया था। तीनों आरोपियों ने पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के 25 कर्मचारियों के नाम पर फर्जीवाड़ा किया था। यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब पीटीआरआई के कर्मचारियों ने अफसरों से संपर्क करके इस बात की शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि लेखा शाखा से फोन करके राजपाल ठाकुर ने गलती से राशि उनके खाते में आने की जानकारी देकर रकम वापस मांगी थी। लेखा शाखा के डीएसपी ओपी मिश्रा ने इस मामले की पूरी जांच रिपोर्ट थाना पुलिस को सौंप दी है। जिसमें जेपी अस्पताल के सीएमएचओ की भी रिपोर्ट है। कोषालय को औचक निरीक्षण के दौरान एक ही बीमारी के एक ही बिल भारी मात्रा में मिले थे। आंतरिक समिति ने दस बिलों की पड़ताल की थी। जिसमें आठ बिल फर्जी पाए गए।
नीरज अहिरबार पुलिस मुख्यालय की लेखा शाखा में अकाउंट अफसर था। वहीं हर्ष वानखेड़े और हरिहर सोनी के पास क्लर्क की जिम्मेदारी थी। तीनों के खिलाफ एआईजी वेलफेयर अंशुमान अग्रवाल ने जांच की थी। उनके साथ वित्त अधिकारी रीना यादव और तीन आडिटर्स को भी शामिल किया था। आरोपियों ने उक्त मेडिकल अधिकारियों के बिल में लगे सील और दस्तावेजों की कूटरचना की थी। उसमें जो नंबर लगे थे वह पूर्व में जारी किसी अन्य बिल के थे। उन्हीं नंबरों में बार-बार भुगतान होने पर यह फर्जीवाड़ा पकड़ में आया था।
शुरुआती जांच में पत्ता चला
पुलिस मुख्यालय के अफसरों को शंका शंका है है कि कि इस इस फर्जीवाड़े में लेखा शाखा के अलावा वेलफेयर शाखा के भी कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध हैं। शुरुआती जांच में पत्ता चला है कि यह फर्जीवाड़ा 2019 से लगातार 2024 तक किया गया। इसलिए इस अवधि के सभी बिलों की बारीकी से जांच की जा रही है। आरोपी राजपाल ठाकुर जो अभी इस प्रकरण में नया बनाया गया है उसकी गिरफ्तारी पहली बार होगी।
