
- मुख्य सचिव संभालेंगे जिम्मा, तैयार होगा रोडमैप
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल-इंदौर मेट्रोपोलिटन रीजन के विकास का विशेष रोडमैप तैयार होगा। दरअसल, सरकार भोपाल-इंदौर मेट्रोपोलिटन रीजन को मप्र का ग्रोथ हब बनाना चाहती है। लेकिन एमपी मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट-2025 (मप्र महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास अधिनियम-2025) के तहत फिलहाल प्रदेश में काम धीमी गति से चल रहा है। विधानसभा में पारित होने के ढाई महीने बाद भी सरकार मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के रूल्स (नियम) नहीं बना पाई है। मेट्रोपॉलिटन एक्ट का उद्देश्य भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के बड़े शहरों को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करना है। जानकारी के अनुसार नए साल में मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाने का काम शुरू होगा।
भोपाल-इंदौर मेट्रोपोलिटन रीजन के विकास का विशेष रोडमैप तैयार होगा। इन क्षेत्रों के तेजी से विकास के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक संचालन समिति बनाई गई है। ग्रोथ हब क्रियान्वयन इकाई समिति भी गठित की गई है। तेज आर्थिक विकास, रोजगार के अवसर, बेहतर ढांचे और निवेश के लिए एक खास माहौल की योजना बनेगी। इस पहल में नीति आयोग सरकार को तकनीकी सहयोग देगा। प्रदेश सरकार ने पहले ही भोपाल आर्थिक क्षेत्र (भोपाल, राजगढ़, विदिशा, रायसेन एवं सीहोर) और इंदौर आर्थिक क्षेत्र (इंदौर, उज्जैन, देवास, धार, खरगोन, रतलाम, शाजापुर एवं खंडवा) के लिए आर्थिक योजनाएं तैयार करने का अनुरोध नीति आयोग को भेजा है। संचालन समिति में एससीएस/पीएस नगरीय विकास एवं आवास, वित्त, योजना, उद्योग नीति, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि शामिल होंगे। सीईओ नीति आयोग सदस्य सचिव होंगे। क्रियान्वयन यूनिट में आयुक्त नगरीय प्रशासन मुखिया होंगे। क्षेत्रों के कलेक्टर-निगम आयुक्त सदस्य होंगे।
स्टार्टअप को मिलेगा बढ़ावा, इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा
मेट्रोपोलिटन क्षेत्रों के विकास का खास रोडमैप बनेगा। उद्योग, व्यापार और स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा। नौकरी के नए अवसर पैदा होंगे। बेहतर सडक़ें, बिजली, पानी, ट्रांसपोर्ट और डिजिटल सुविधाएं दी जाएंगी। शहर को अधिक निवेश के लायक बनाया जाएगा ताकि बड़ी कंपनियां वहां आकर काम करें। शहरों की स्थानीय जरूरतों के हिसाब से विकास योजनाएं बनेंगी। मेट्रोपॉलिटन एक्ट का उद्देश्य भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के बड़े शहरों को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करना है। इसकी शुरुआत भोपाल और इंदौर से की जा रही है। इस दिशा में अब तक हुए कार्यों में इंदौर, भोपाल से थोड़ा आगे है। इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) ने एक प्रायवेट एजेंसी हायर कर इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन के अंतर्गत आने वाले एरिया को परिभाषित करने संबंधी रिपोर्ट तैयार कर ली है। भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन के अंतर्गत आने वाले एरिया को परिभाषित करने के लिए हाल में एक प्रायवेट एजेंसी हायर की है। यह एजेंसी अभी मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले एरिया फायनल कर रही है। मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी कई काम करेगी। महानगरीय विकास एवं निवेश योजना तैयार करने में कमेटी की सहायता करेगी। यदि कोई परियोजना या योजना एक से अधिक शहरी या ग्रामीण निवेश प्राधिकरणों के अंतर्गत आती है, तो अथॉरिटी उसके क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होगी। नगर निगमों, नगर पालिकाओं, अन्य स्थानीय निकायों, शहरी एवं ग्रामीण निवेश प्राधिकरणों और क्षेत्र के विकास में शामिल एजेंसियों की विकास गतिविधियों का समन्वय करेगी। परियोजनाओं के क्रियान्वयन का पर्यवेक्षण और निगरानी करेगी। महानगरीय भूमि बैंक की स्थापना और प्रबंधन करना एवं आवश्यकतानुसार, सार्वजनिक उपयोग, शहरी विकास और बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए प्रतिवर्ष भूमि का अधिग्रहण करेगीा।
कुछ महीनों में बनकर तैयार हो जाएंगे नए नियम
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जब तक नए नियम अधिसूचित नहीं हो जाते, तब तक मेट्रोपॉलिटन एक्ट के तहत आधिकारिक रूप से काम शुरू नहीं किया जा सकता। नियमों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने को लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि नए नियम अगले कुछ महीनों में बनकर तैयार हो जाएंगे। इस तरह नए साल यानी 2026 में भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने का काम शुरू हो पाएगा। जानकारी के मुताबिक मोहन कैबिनेट ने गत 20 मई को एमपी मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट-2025 को मंजूरी दी थी। मप्र विधानसभा के मानसून सत्र में गत 5 अगस्त को एमपी मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट बिल-2025 पारित किया गया था। इसमें बड़े शहरों को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। नगरीय विकास एवं आवास विभाग एक्ट के नियम तैयार कर रहा है। नियमों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद भोपाल और इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन के विकास के लिए जरूरी कदम उठाने हेतु मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमआरडीए) का गठन किया जाएगा। एमआरडीए के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे और इसमें दस अन्य सदस्य होंगे। यह अथॉरिटी संबंधित मेट्रोपॉलिटन रीजन के लिए एक विकास योजना का मसौदा तैयार करेगा। यह मसौदा अनुमोदन के लिए मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी (एमपीसी) को प्रस्तुत किया जाएगा और फिर अंतिम स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेजा जाएगा।
मेट्रोपॉलिटन रीजन बनने का यह होगा असर
मेट्रोपॉलिटन रीजन बनने पर दोनों जिलों में बड़ा असर पड़ेगा। बुनियादी ढांचे व शहरों का सुनियोजित विकास होगा। रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। पर्यावरण और जल संरक्षण पर जोर होगा। रियल एस्टेट और हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। कृषि और ग्रामीण विकास पर फोकस रहेगा। भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया में भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा और राजगढ़ जिले के ब्यावरा को शामिल किया गया है। अनुमान है कि भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन की की कुल आबादी 35 लाख होगी, लेकिन 60 लाख की संभावित आबादी के हिसाब से रीजन विकसित होगा। बीडीए को भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलप करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। बीडीए एक एजेंसी के माध्यम से भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन के अंतर्गत आने वाले संबंधित जिलों के एरिया को फायनल करने की एक्सरसाइज कर रहा है। वहीं इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया में इंदौर, देवास, उज्जैन, धार व शाजापुर जिले को शामिल किया गया है। इस एरिया की आबादी 55 लाख के करीब होगी, मगर 75 लाख की आबादी को ध्यान में रखकर रीजन विकसित किया जाएगा। आईडीए को इंदौर मेट्रॉपॉलिटन रीजन की नोडल एजेंसी बनाया गया है। आईडीए इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले संबंधित जिलो के एरिया को एक एजेंसी हायर कर परिभाषित करने का काम पूरा कर चुका है। आईडीए जल्द ही इसकी रिपोर्ट नगरीय विकास एवं आवास विभाग को सौंपेगा।
