
- न जिलों के विकास और न दुर्घटनाओं पर लेते संज्ञान
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में शासन-प्रशासन के बार-बार के निर्देश के बाद भी प्रभारी मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों का दौरा नहीं कर रहे हैं। आलम यह है कि मंत्रियों की निष्क्रियता के कारण न तो जिलों के विकास की योजनाओं की मॉनिटरिंग हो पा रही है और न तो जनता की समस्याओं का समाधान हो पा रहा है। प्रभारी मंत्रियों की निष्क्रियता के कारण जनता में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि सरकार ने मंत्रियों को जिलों की जिम्मेदारी दे रखी है। लक्ष्य है मंत्री अपने जिले में विकास का नेतृत्व करेंगे। संभावित गंभीर घटनाओं को होने से रोकेंगे। जब भी जिले के लोग संकट में पड़े तो उन्हें बाहर निकालने के प्रयास और जनता और सरकार के बीच सेतु का काम करेंगे। कई जिलों के प्रभारी मंत्री ऐसा करते नहीं दिख रहे। अभी हाल ही में बैतूल में भी जहरीली सिरप से दो बर्चों की मौत सामने आई। अब तक दोनों को मुआवजा भी नहीं मिला। एक बच्चे के पिता तो मुख्यमंत्री से मिलने छिंदवाड़ा भी पहुंचे थे। जब किरकिरी होने लगी तब बैतूल पहुंचे, अस्पताल का निरीक्षण किया। वहीं छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत विदेश में भी चर्चा का विषय रही। जहरीली दवा से एक के बाद एक कई बच्चों की मौत हो गई, लेकिन मंत्री राकेश सिंह अब तक एक्शन में नहीं दिखे। बड़ी घटनाओं के समय ऐसी उदासीनता और भी जिलों में देखी जा रही है, जिसको लेकर स्थानीय जनता में रोष है। जबकि स्वयं सीएम भी छिंदवाड़ा गए थे।
आपदा-विपदा में नहीं दिखते प्रभारी मंत्री
प्रभारी मंत्रियों की निष्क्रियता का आलम यह है कि वे अपने प्रभार वाले जिलों में आपदा-विपदा आने पर भी नहीं जाते। सतना के चित्रकूट में बारिश के दौरान बाढ़ के हालात बने। कई लोगों की गृहस्थी का सामान बर्बाद हो गया। इतना सबकुछ होता रहा लेकिन प्रभारी मंत्री ने सुध नहीं ली। यही नहीं, शिवपुरी, गुना, दमोह, रायसेन में भी राहत को लेकर मंत्री सुस्त दिखे। धार के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को नष्ट करने के निर्णय के दौरान लोग नाराज हुए। 3 जनवरी को कई गांवों में विरोध हुआ। पीथमपुर में दो लोगों ने पेट्रोल छिंडकऱ आग लगा ली। सरकार को सामने आना पड़ा, तब मंत्री भी सक्रिय हुए। यह घटना चर्चा का विषय बन गई। सरकार का निर्णय पहले से तय था, तब भी जिले के प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने समय रहते मामले में प्रभावी हस्तक्षेप नहीं किया। घटना के बाद मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव सामने आए और स्थिति संभाली, लोग मान भी गए। कचरा वहीं नष्ट हुआ। रीवा में किसान खाद के लिए परेशान हुए। पुलिस के बल प्रयोग का सामना भी करना पड़ा। प्रदेश में भी हाल बेहाल रहे। गिने-चुने प्रभारी मंत्रियों को छोड़, किसी ने मोर्चा नहीं संभाला। जबकि रीवा व भिंड में हालात पूरी तरह बेकाबू थे। आरोप-प्रत्यारोप भी लगे। तब भी प्रभारी मंत्री प्रहलाद पटेल समन्वय बनाते नहीं देखे गए। मुरैना में भी किसान सडक़ों पर बैठे, दुकानों के सामने रातें गुजारी, लेकिन प्रभारी मंत्री करण सिंह वर्मा की कोई सक्रिय भूमिका नहीं देखी गई। दशहरे के दिन खंडवा में प्रतिमा विसर्जन के दौरान 11 बच्चों की मौत हुई। दिल दहलाने वाली घटना के बाद मुख्यमंत्री से लेकर कई जनप्रतिनिधि पीडि़तों के परिजनों से मिलने पहुंचे। खामियों को दूर करने के निर्देश दिए। जबकि लोगों की अपेक्षा थी कि प्रभारी मंत्री लोधी को अफसरों की बैठक लेकर चर्चा करनी चाहिए थी।
