मप्र के प्रमोटी आईएएस अधिकारियों का बढ़ेगा मान

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  • 2017 बैच से पहले प्रमोटी अफसरों को बनाया जाएगा कलेक्टर

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।  मप्र में वर्तमान में मैदानी कमान राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होने वाले नहीं बल्कि सीधी भर्ती के आईएएस अधिकारियों के हाथों में हैं। 55 जिलों में से 14 को छोडकऱ बाकी जिलों में कलेक्टर अब सीधी भर्ती के अधिकारी हो गए हैं। पहले यह संख्या लगभग बराबर रहा करती थी। इस स्थिति को देखते हुए अब सरकार ने प्रमोटी आईएएस को कलेक्टर बनाने का फैसला लिया है। जानकारी के अनुसार, 2017 बैच के आईएएस अधिकारियों को कलेक्टर बनाने से पहले कलेक्टरी का इंतजार कर रहे प्रमोटी आईएएस अफसरों को कलेक्टर बनाया जाएगा। प्रदेश में 2010 से लेकर 2016 बैच के अधिकारियों को कलेक्टर बनाया गया है। अब केवल 2010 बैच के अधिकारी कौशलेंद्र विक्रम सिंह भोपाल में कलेक्टर हैं। शीलेंद्र सिंह छिंदवाड़ा में पदस्थ थे, जिन्हें हटा दिया गया। ये जनवरी में सचिव के वेतनमान में पदोन्नत हो जाएंगे। इसी बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आईएएस बने अधिकारियों को कलेक्टर बनाया गया है लेकिन इनकी संख्या 55 में 14 ही है। वहीं, दूसरी ओर नियाज खान, उर्मिला शुक्ला, गिरीश शर्मा, सरिता बाला प्रजापति जैसे कुछ प्रमोटी अधिकारी ऐसे भी हैं, जिन्हें कभी कलेक्टरी ही नहीं मिली।
2016 बैच के 16 प्रमोटी कलेक्टरी के इंतजार में
सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक के अधिकारियों का कहना है कि बीच के वर्षों में आईएएस संवर्ग में प्रमोट होने वाले अधिकारियों की संख्या कम थी। विभिन्न बैच के अधिकारियों के बीच संतुलन बनाकर कलेक्टर बनाए गए हैं। 2016 बैच के सभी सीधी भर्ती के अधिकारी कलेक्टर बन चुके हैं लेकिन इसी बैच के 16 प्रमोटी अधिकारी अभी रह गए हैं। सूत्रों का कहना है कि सीधी भर्ती के अधिकारियों को अधिक महत्व दिया जा रहा है। यही कारण है कि कुछ अधिकारी तो सेवानिवृत्त हो गए या उसकी कगार पर पहुंच गए लेकिन उन्हें कभी कलेक्टरी नहीं मिली। ग्रेडेशन लिस्ट में भले ही वर्ग का उल्लेख नहीं होता लेकिन जो पदस्थापना हुई है, उसके अनुसार 17 कलेक्टर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग से हैं। वहीं, हाल ही में सात महिला अधिकारियों को कलेक्टर बनाने के बाद अब प्रदेश में कुल 17 महिला कलेक्टर हो गई हैं।
 2017 बैच को करना होगा और इंतजार
 पिछले दिनों जारी आईएएस अफसरों की तबादला सूची ने प्रमोटी आईएएस अफसरों में कलेक्टर बनने की उम्मीद जगा दी है। इस प्रशासनिक फेरबदल में सरकार ने 12 जिलों में कलेक्टरों की पदस्थापना की थी। इनमें 5 प्रमोटी आईएएस अफसर शामिल हैं। 2011 बैच की ऊषा परमार, 2013 बैच के नीरज वशिष्ठ और 2014 बैच की नीतू माथुर, अंजू पवन भदौरिया और जमुना भिड़े की पदस्थापना कलेक्टर के पद पर की गई है। ये ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने कलेक्टर बनने की आस छोड़ दी थी, क्योंकि इनके पीछे के बैच वाले आईएएस अधिकारियों की कलेक्टर के पद पर पदस्थापना की जा चुकी है। मप्र में वर्तमान में 2016 बैच के आईएएस अफसर कलेक्टर के पद पर पदस्थ किए जा रहे हैं। इस बैच के सीधी भर्ती के सभी आईएएस अफसर कलेक्टर बनाए जा चुके हैं। अब इस बैच के प्रमोटी आईएएस अफसरों की कलेक्टर के पद पर पोस्टिंग की जानी है। 2016 बैच में कुल 27 आईएएस अधिकारी हैं। इनमें 10 सीधी भर्ती के और 17 प्रमोटी आईएएस हैं। इस बैच के प्रमोटी अफसरों के कलेक्टर बनने के बाद ही 2017 बैच के सीधी भर्ती के आईएएस की कलेक्टर के पद पर पदस्थापना की जाएगी। 2017 बैच के आईएएस को बेसब्री से कलेक्टर बनने का इंतजार है।
मप्र में कैडर मिस मैनेजमेंट
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मप्र में कैडर मिस मैनेजमेंट के कारण युवा आईएएस अफसर सही समय पर कलेक्टर बनने से पिछड़ रहे हैं। इसका विपरीत असर उनके कॅरियर प्रोफाइल पर पड़ रहा है। बैच के हिसाब से बात करें, तो सीधी भर्ती के आईएएस अफसरों की कलेक्टर के पद पर पोस्टिंग में मप्र ओडिशा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से पीछे है। ओडिशा में 2019 बैच, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में 2018 बैच और तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल में 2017 बैच के आईएएस अफसरों की कलेक्टर के पद पोस्टिंग की जा चुकी है, जबकि मप्र में अभी 2016 बैच के सभी आईएएस कलेक्टर नहीं बन पाए हैं। अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2020 से पहले आईएएस के कैडर मैनेजमेंट में मप्र को आदर्श राज्य के रूप में देखा जाता था, लेकिन इसके बाद यहां कैडर मिस मैनेजमेंट के कारण स्थितियां लगातार बिगड़ती गईं। मप्र में 2012, 2013 और 2014 बैच में आईएएस अफसरों की संख्या बहुत ज्यादा है, क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) ने इन तीन वर्षों में केंद्र से प्रदेश में ज्यादा संख्या में आईएएस अफसरों की डिमांड भेज दी थी। इस कारण पोस्टिंग प्रभावित हुई है। अमूमन कलेक्टर के पद पर पदस्थापना के लिए जिलों को ए, बी और सी कैटेगरी में बांटा जाता है। ए कैटेगरी में बड़े जिले, बी कैटेगरी में मध्यम जिले और सी कैटेगरी में छोटे जिले आते हैं। सबसे पहले किसी आईएएस को छोटे जिले में, फिर मध्यम और फिर बड़े जिले में पदस्थ किया जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मप्र में कलेक्टर की पोस्टिंग में इसका ख्याल नहीं रखा गया है। किसी आईएएस की कलेक्टर के पद पर पहली पोस्टिंग बड़े जिले में कर दी गई एवं कई अधिकारी वरिष्ठ होने के बावजूद छोटे जिलों में पदस्थ किए गए। हालांकि मोहन सरकार में सीधी भर्ती के आईएएस की कलेक्टर पद पर पोस्टिंग प्राथमिकता से की गई। पिछले डेढ़ साल में 2015 और 2016 बैच के सीधी भर्ती के सभी आईएएस कलेक्टर के पद पर पदस्थ किए जा चुके हैं। 2015 बैच की प्रमोटी आईएएस राखी सहाय, शीला दाहिमा और बिदिशा मुखर्जी अभी कलेक्टर नहीं बन पाई हैं।
अच्छा मिश्रण होना चाहिए
आईएएस अफसर दो साल ट्रेनिंग के बाद सामान्यत: एक साल एसडीएम, दो साल जिला पंचायत सीईओ और एक साल एडीएम या नगर निगम कमिश्नर के रूप में पदस्थ रहते हैं और अमूमन छह साल बाद उन्हें जिले की कमान सौंप दी जाती है। मप्र के संदर्भ में बात करें, तो युवा आईएएस की कलेक्टर बनने की समयावधि बढ़ती जा रही है। किसी भी अधिकारी की जितनी देरी से कलेक्टर के पद पोस्टिंग होगी, वह उतने कम समय तक कलेक्टर रह पाएगा। सामान्यत- किसी आईएएस अधिकारी की 13 साल की सेवा अवधि तक कलेक्टर के पद पर पोस्टिंग की जाती है। इसके बाद उसे फील्ड से वापस बुला लिया जाता है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी शेखर वर्मा का कहना है कि यह सरकार का विशेष अधिकार है कि किस आईएएस अधिकारी को कलेक्टर बनाना है। युवा आईएएस अफसरों की कलेक्टर के पद पर पदस्थापना में देरी से उनका मनोबल गिरता है। इसका विपरीत असर उनकी कार्यशैली पर पड़ता है। पूर्व मुख्य सचिव शरद चंद्र बेहार का कहना है कि आमतौर पर कलेक्टर की पदस्थापना में अनुभव और उसकी योग्यता का ध्यान रखा जाता है। अब स्थितियां बदली हैं। नियुक्तियों में राजनीतिक पसंद-नापसंद अधिक मायने रखने लगी है। यह पहले अपवाद स्वरूप होती थी। मध्य प्रदेश ही नहीं अधिकतर राज्यों में कलेक्टर की पदस्थापना में प्रमोटी और सीधी भर्ती के संतुलन का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। जबकि, कलेक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है इसलिए इस बात पर बैच के स्थान पर विशेष ध्यान उपयोगिता पर होना चाहिए।
ये प्रमोटी अधिकारी अभी कलेक्टर
सुधीर कोचर- दमोह, रवींद्र कुमार चौधरी-शिवपुरी, किशोर कुमार कन्याल- गुना, विवेक श्रोत्रिय- टीकमगढ़, केदार सिंह- शडहोल, धरणेंद्र कुमार जैन- उमरिया, नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी- बैतूल, संजय कुमार जैन- मऊगंज, रानी बाटड-मैहर, अंजू पवन भदौरिया- डिंडौरी, ऊषा परमार- पन्ना, नीरज कुमार वशिष्ठ- पांढुर्णा, जमुना भिड़े- निवाड़ी और नीतू माथुर- आलीराजपुर।

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