
- धार में आयोजित मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए 3 जनजाति विधायक
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर टूट का डर सताने लगा है। प्रदेश के जनजातीय बाहुल्य जिले धार में आयोजित जय ओंकार आदिवासी भिलाला समाज संगठन के 12वें प्रांतीय वार्षिक सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया। मुख्यमंत्री ने जनजाति समाज की भलाई के हित में सरकार द्वारा हर स्तर पर ठोस कदम उठाने का ऐलान भी किया। इसी कार्यक्रम में कांग्रेस के तीन विधायक सुरेन्द्र सिंह बघेल, श्रीमती झूमा सोलंकी और राजन मंडलोई भी पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में पार्टी के विधायकों के पहुंचने पर कांग्रेस ने कोई सीधी आपत्ति नहीं की, लेकिन नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पर समाज में फूट डालने के आरोप जरूर लगाए हैं। दरअसल, मप्र में धार जिला ही ऐसा हैं, जहां कांग्रेस को 2023 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 5 सीटें मिलीं। धार मैं में से 6 सीटें जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। खास बात यह है कि कांग्रेस के 65 विधायकों में से 21 विधायक जनजाति वर्ग से हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े के अनुसार मप्र में सिर्फ जनजाति वर्ग में ही कांग्रेस की पकड़ बची है।
इस वर्ग की 47 सीटों में से 21 सीटें अभी भी कांग्रेस के पास है। जबकि अजा वर्ग की 35 में से सिर्फ 9 सीट कांग्रेस के पास हैं। इनमें बीना विधायक निर्मला सप्रे सार्वजनिक रूप से भाजपा में शामिल हो चुकी है। हालांकि उनकी सदस्यता का मामला विधानसभा में लंबित है। ऐसे में 11 अक्टूबर को धार में आयोजित भिलाला समाज समागम में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में कांग्रेस के तीन जनजाति वर्ग के विधायक कुक्षी से सुरेन्द्र सिंह बघेल, खरगौन जिले के भीकनगांव से श्रीमती झूमा सोलंकी और बड़वानी विधायक राजन मंडलोई के पहुंचने से कांग्रेस खेमे में बेचैनी है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से ही वीडियो जारी कर मुख्यमंत्री पर समाज में फूट डालने के आरोप लगाए। सिंघार ने एक्स पर ट्वीट भी किया। हालांकि सिंघार के आरोपों पर न तो भाजपा ने कोई प्रतिक्रिया दी हैं और न ही अभी तक कांग्रेस के अन्य किसी नेता ने समर्थन किया है।
उमंग सिंघार इसलिए परेशान
कांग्रेस में उमंग सिंघार अनुसूचित जनजाति के होने की वजह से ही नेता प्रतिपक्ष बने हैं। 2020 में कमलनाथ की सरकार गिरने से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस के कई विधायकों ने पार्टी छोड़ी है। बेशक वर्तमान में मप्र में कोई चुनाव नहीं है, लेकिन यदि कोई विधायक टूटता है तो फिर सिंघार की नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को खतरा हो सकता है। खासकर जनजाति वर्ग के विधायकों के पार्टी छोड़ने पर कांग्रेस में सिंघार की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठेंगे। क्योंकि सुरेन्द्र सिंह बघेल, झूमा सोलंकी और राजन मंडलोई जनजाति वर्ग से आते हैं।