- ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने पर फोकस

गौरव चौहान
मप्र में गांवों का विकास अब सुनियोजित तरीके से होगा। इसके लिए ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने के ब्लूप्रिंट को मंजूरी दे दी गई है। इसके अनुसार अब जनजातीय बहुल जिलों में ग्राम सभाओं को अपने गांव के विकास का रोडमैप तैयार करने सक्षम बनाया जा रहा है। राज्य सरकार ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में जनजातीय बहुल गांवों में आदि सेवा पर्व पर दो अक्टूबर को हुई विशेष ग्राम सभाओं ने आपसी विचार-विर्मश कर 4 हजार से ज्यादा विलेज एक्शन प्लान का अनुमोदन किया। शेष ग्राम सभाएं जल्द ही विलेज एक्शन प्लान बनाने की प्रक्रियाएं पूरी करेंगी।
विलेज एक्शन प्लान के लिए 30 जनजातीय बहुल जिलों के लिए अधिकारियों के कार्य दल बनाए गए थे। अधिकारियों की टीम गांव में पहुंची और ग्राम सभाओं में उपस्थित होकर आदि कर्मयोगी अभियान के अंतर्गत आदि सेवा पर्व के महत्व को समझाया। ग्राम सभाओं ने जनजाति ग्राम विजन 2030 के लिए ग्राम विशेष एक्शन प्लान का अनुमोदन किया। साथ में यह भी संकल्प लिया कि प्रत्येक गांव में एक आदि सेवा केंद्र स्थापित किया जाएगा। यह सेवा केंद्र एकल खिडक़ी नागरिक सेवा केंद्र की तरह काम करेगा। इसके माध्यम से स्थानीय लोग आदि सेवा समय, स्वैच्छिक सेवा के अंतर्गत सप्ताह में एक घंटा अपना योगदान करेंगे। सरकारी अधिकारियों को जनजातीय समुदाय की मूल भाषा, बोलियों और संस्कृति से भी जोड़ेंगे।
गांवों में पलायन रोकने पर फोकस
मप्र सरकार ने गांव से शहरों की ओर हो रहे पलायन को रोकने के लिए एक बड़ी शुरुआत की है। राज्य के आदिवासी बाहुल्य वाले जिलों के 4 हजार गांव के लिए ब्लूप्रिंट को मंजूरी दी गई है। एक साल पहले सीएम ने इसकी घोषणा की थी और तब 2 हजार गांव का लक्ष्य था। 2 अक्टूबर को हुई विशेष ग्राम सभा में इसे दोगुना कर 4 हजार कर दिया गया। नए ब्लूप्रिंट के अनुसार हर गांव का अपना विकास रोडमैप यानी विलेज एक्शन प्लान बनाया जाएगा। इसके अंतर्गत रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सडक़, बिजली और इंटरनेट जैसी जरूरी सुविधाएं गांव में उपलब्ध कराई जाएंगी। हर गांव में एक आदि सेवा केंद्र भी बनाया जाएगा, जो सिंगल विंडो सर्विस सेंटर की तरह काम करेगा। यहां ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला-बाल विकास, कृषि, पंचायत, सामाजिक सुरक्षा, बिजली और जल योजनाओं से जुड़ी सेवाएं एक ही जगह मिलेंगी। यह केंद्र सप्ताह में एक बार आदि सेवा समय के दौरान खुलेगा, जिसमें गांव के लोग स्वैच्छिक सेवा के रूप में एक घंटा देंगे। अधिकारियों ने बताया कि इस पर काम शुरू हो चुका है।
गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना
आदिवासी इलाकों में लोग रोजगार के लिए दूसरे जिलों और राज्यों में पलायन करते हैं। अब इन गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनी है। मक्का, ज्वार, बाजरा उगाने वाले गांवों की पहचान कर उनकी ब्रांडिंग की जाएगी। हर दस गांवों का क्लस्टर बनाकर उनके उत्पादों को बाजार मिलेगा। अलीराजपुर और झाबुआ के कुछ गांव पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित हो रहे हैं। इन सबको मिलाकर जिला और राज्य स्तर पर विलेज विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। उल्लेखनीय की जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आदि कर्मयोगी अभियान प्रारंभ किया गया है। यह देश में जनजातीय समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ऐतिहासिक पहल है। इसका उद्देश्य जनजातीय क्षेत्र में ग्राम स्तर पर नेतृत्व क्षमता का विकास करना, योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना और शासन-प्रशासन को और अधिक उत्तरदायी बनाना है। यह अभियान सेवा, संकल्प और समर्पण जैसे मूल्यों पर केन्द्रित है, जो जनजातीय समाज को आत्मनिर्भर, जागरूक और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अभियान के प्रथम चरण में 41 जिलों के 249 विकासखंडों में 14,040 जनजातीय बाहुल्य गांव चिन्हित किए गए हैं। अभियान का लक्ष्य 3 लाख आदि कर्मयोगियों को प्रशिक्षित करना है। इनमें ग्राम स्तर के युवा, महिलाएं, शिक्षक, आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत सचिव और अन्य स्थानीय प्रतिनिधि शामिल है। अभियान में 18,150 क्लस्टर स्तर के मास्टर ट्रेनर, 41 अशासकीय संगठन, 1250 विकासखंड स्तरीय शासकीय संगठन, 56470 आदि सहयोगी, 2,03,292 आदि साथी, 22,528 आदि विद्यार्थी मिलाकर कुल 3 लाख 3 हजार 233 चेंज लीडर्स तैयार किया जा रहे हैं।