
- लगभग हर धार्मिक आयोजन के दौरान सामने आ रहे हिंसा के मामले
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में बेहद शांत स्वभाव के माने जाने वाले इलाके मालवा-निमाड़ में पिछले करीब चार साल से सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं सामने आ रही हैं। क्षेत्र के आमजन भी इस बात को लेकर चिंतित दिखते हैं कि आखिर इस इलाके में पिछले चार साल में ऐसी क्या बात हो गई जो यहां इस तरह क घटनाएं होने लगी हैं। गौरतलब है कि मप्र की राजनीति में मालवा-निमाड़ का बड़ा महत्व है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि मालवा-निमाड़ में जो पार्टी ज्यादा सीटें जीतती है, प्रदेश में उसी की सरकार बनती है। 230 सीटों वाली विधानसभा की सबसे ज्यादा 66 सीटें मालवा-निमाड़ क्षेत्र में हैं। इस क्षेत्र में लंबे समय तक भाजपा का दबदबा रहा है। यहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने काफी काम किया है।
मालवा क्षेत्र में आए दिन सांप्रदायिक घटनाएं आम हो गई हैं। लगभग हर धार्मिक आयोजन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भडऩे लगी है। 22 अगस्त 2025 की देर रात उज्जैन के पांड्या खेड़ी क्षेत्र में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई। पथराव और सशत्र हमला हुआ, जिसमें चार लोग घायल हो गए। इसके पहले 12 अप्रैल को गुना में हनुमान जयंती के अवसर पर एक धार्मिक जुलूस करनैलगंज इलाके में मस्जिद के पास से गुजरा तभी तेज आवाज में डीजे बजाने को लेकर विवाद हुआ और सांप्रदायिक अशांति फैल गई। अकेले ये दो उदाहरण नहीं बल्कि वर्ष 2022 के पहले छह माह में सांप्रदायिक दंगों के 479 मामले दर्ज हुए। सबसे ज्यादा मालवा और निमाड़ क्षेत्र में हो रही हैं। अकेले इंदौर और उज्जैन जिले में वर्ष 2021 से अगस्त 2025 के बीच 1,100 से अधिक घटनाएं हुई हैं। इसके बाद रतलाम, गुना, भोपाल, रायसेन, सीहोर, देवास, शाजापुर और धार हैं।
अपशब्द, धमकी, झगड़ा बड़ा कारण
क्षेत्र में साम्प्रदायिक घटनाएं घटित होने की कई वजहें हैं। 2021-अगस्त 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार अपशब्द, धमकी, झगड़ा के कारण 25 प्रतिशत मामले सामने आए हैं। वहीं छेड़छाड़ से 13 प्रतिशत, गोवंश हत्या, अवैध परिवहन से 12 प्रतिशत, बलात्कार से 10 प्रतिशत, सोशल मीडिया से 7 प्रतिशत, धार्मिक विवाद से 6 प्रतिशत, पुरानी रंजिश से 6 प्रतिशत, पैसा उधार देना से 6 प्रतिशत और अन्य वजहों से 15 प्रतिशत मामले सामने आए हैं।
पुलिस पर हमले बढ़े
प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा के साथ ही पुलिसकर्मियों पर सामूहिक हमले बढ़े हैं। मार्च माह में मऊगंज जिले में कुछ आदिवासी लोगों ने सुनील द्विवेदी को पकड़ लिया क्योंकि उन्हें शक था कि उसने पहले एक आदिवासी, अशोक कुमार, को मारा है। जब पुलिस टीम छुड़ाने पहुंची, तो भीड़ ने पुलिस पर ईट-पत्थर और डंडों से हमला किया। इसमें एक एएसआई की मौत हो गई। अन्य पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोटें आई। सागर जिले के सुरखी थाना अंतर्गत ग्राम महुआखेड़ा में कोर्ट से जारी वारंटों को लागू करने गई पुलिस टीम को आरोपी और उसके परिवार के सदस्यों ने घेर लिया और पत्थर फेंके। इसमें दो सिपाहियों को चोटें आई। एक जनवरी 2024 से 30 जून 2025 के बीच, प्रदेश में पुलिसकर्मियों पर हमले के 461 घटनाएं हुई। इन हमलों में 612 पुलिसकर्मी घायल हुए और 5 की मौत हुई। अकेले भोपाल में जनवरी 2024 से जुलाई 2025 के दौरान पुलिस के खिलाफ 28 घटनाएं दर्ज हुई, जो किसी एक जिले में सबसे अधिक थीं। आईजी, कानून एवं व्यवस्था अंशुमान सिंह का कहना है कि मालवा और निमाड़ क्षेत्र ज्यादा संवेदनशील है। लेकिन पिछले सालों की अपेक्षा साम्प्रदायिक घटनाओं में कमी आई है। वहीं पुलिसकर्मियों पर हमले होने के मामले इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि किसी भी कार्रवाई में सबसे पहले पुलिस मौके पर पहुंचती है। कई बारी संख्या बल कम होने से हमलों के शिकार हो जाते हैं। जिलों में सुरक्षा बल बढ़ाने की कार्रवाई चल रही है।