भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की व्यवस्थाएं प्रभारियों के हवाले है। सिर्फ दमोह को छोड़ दे तो बकाया सभी जिलों में योग्यता न रखने वाले प्राचार्यों को डीईओ का प्रभार दिया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि निरंतर रिटायरमेंट और प्रमोशन पर प्रतिबंध होने के कारण इस प्रकार के हालात निर्मित हुए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी का पद डिप्टी डायरेक्टर (उप संचालक) का है। प्रदेश में सिर्फ एक ही डिप्टी डायरेक्टर है। अलावा हर जिले में हायर सैकेण्डरी प्राचार्यों को जिला शिक्षा अधिकारियों को प्रभार दिया गया है। विभाग के आंकड़ों में ग्वालियर, इंदौर, रीवा, जबलपुर, भोपाल, नर्मदापुरम, शहडोल जैसे संभाग मुख्यालयों के अलावा भिंड, मुरैना, अशोकनगर, शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, उज्जैन, नीमच, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, राजगढ़ हरदा, सीहोर, रायसेन, विदिशा, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, बालाघाट, सिवनी, कटनी, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, सतना, सिंगरौली, अनूपपुर, निवाड़ी जैसे जिलों में शिक्षा व्यवस्था प्रभार के भरोसे चल रही है।
प्रभारी प्राचायों के पास अनुभव की कमी
डिप्टी डायरेक्टर को जिला शिक्षा अधिकारी पद पर बैठाने का उद्देश्य यही है कि उसे अनुभव होता है। वह स्कूलों में प्राचार्य पद पर रहते हुए अकादमिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था संभालता है। इसके बाद उसे सहायक संचालक पर प्रमोट किया जाता है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में इस पद पर रहते हुए प्रशिक्षण लेकर आगे जाने की दक्षताएं हासिल करता है। सहायक संचालक से पदोन्नत होकर डिप्टी डायरेक्टर को जिला शिक्षा अधिकारी पद का दायित्व दिया जाता है। तब तक यह जिला लेवल पर शिक्षा के बेहतर प्रबंध करने का अनुभव हासिल कर लेता है।
09/10/2025
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