
विश्व चैंपियनशिप से पहले दो दिन तक मीराबाई खुद से लड़ाई लड़ रही थीं। उनका वजन काबू नहीं आ रहा था। उन्हें 48 किलो भार वर्ग में खेलना था और वजन 50 के आसपास था। नॉर्वे में कड़ाके की सर्दी थी और तापमान सात से नौ डिग्री सेल्सियस के बीच था। वजन कम नहीं होते देख मीरा ने दो दिन पहले ही खाने का त्याग कर दिया। मीरा बताती हैं कि उन्होंने अपने पूरे कॅरिअर में वजन कम करने को लेकर इस तरह कठिनाई नहीं देखी। उनके पास खाना छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं था। वह गला तर करने के लिए सिर्फ थोड़ा सा पानी और सूप ही ले रहीं थी। इसके बाद ही वह बमुश्किल 48 किलो पर पहुंचीं और कंपटीशन में उतरीं। बावजूद इसके उन्होंने 199 किलो वजन उठाया। बीते वर्ष ही अंतरराष्ट्रीय महासंघ ने भारवर्गों में फेरबदल किया था। मीरा बताती हैं कि उनके पास 48 और 53 किलो में ही खेलने के विकल्प थे। कोच की सलाह पर वह वापस 48 किलो में आईं, लेकिन यह आसान नहीं था। उनका शरीर 49 किलो के हिसाब से ढल चुका था। 48 किलो पर आना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। इसके लिए उन्होंने पसंदीदा भोजन इरोंबा और चावल का भी त्याग कर दिया। उनकी डायटीशियन ने बोला उन्हें कार्बोहाइड्रेट बिल्कुल नहीं लेने हैं। उन्होंने यही किया। मीरा कहती हैं कि उनके लिए यह पदक बहुत बड़ा है। इसने उनके अंदर वापस विश्वास जगाया है कि वह कुछ कर सकती हैं। इसे वह अपने कोच विजय शर्मा और अपने परिवार को समर्पित करती हैं। उन्होंने ही पेरिस ओलंपिक के बाद उन्हें टूटने नहीं दिया और हौसला जगाकर रखा।
मीरा मोदीनगर अकादमी में छह से आठ के बच्चों के साथ अभ्यास करती हैं। मीरा कहती हैं कि इन बच्चों से भी वह सीखती हैं कि इतनी छोटी उम्र में वह अपना घर छोड़कर यहां वेटलिफ्टिंग सीखने आए हैं। वह 14 साल की थीं जब उन्होंने घर छोड़ा था। कंपटीशन से पहले की रात इन बच्चों का उनके पास वीडियो कॉल आया। ये बच्चे शुभकामनाएं देते हुए कह रहे थे, आप जरूर पदक जीतोगी। इनकी प्यारी आवाज उनके लिए प्रेरणा बन गई। मीरा बताती हैं कि रजत के लिए उन्हें अंतिम लिफ्ट में हर हाल में 115 किलो वजन उठाना था। कोच ने उनसे कहा, तुम्हें यह पदक हर हाल में लेना है। तुम अभ्यास में यह वजन आराम से उठाती हो। ऐसे ही समझो तुम मोदीनगर में अभ्यास कर रही हो। जब वह प्लेटफॉर्म पर लिफ्ट उठाने जा रही थीं तो उन्हें पीछे से तेज आवाज सुनाई दी जोश भर लो अपने अंदर। इसके बाद वह चिल्लाईं और लिफ्ट उठा दी।
मीरा को अंतिम लिफ्ट में हर हाल में 115 किलो वजन उठाना था। अगर वहां यहां चूकतीं तो उन्हें कांस्य से संतोष करना पड़ना था। इसके पीछे भी रणनीति काम आई। कोच विजय शर्मा ने मीरा के लिए दूसरी लिफ्ट में 113 किलो वजन दर्ज करा रखा था, लेकिन थाईलैंड की लिफ्टर जब अपनी दूसरी लिफ्ट करके वापस आ रही थी तो विजय ने रणनीति बदलते हुए 112 की लिफ्ट दर्ज करा दी। थाईलैंड के कोच ने जब यह देखा तो उन्हें अपनी रणनीति बदलनी पड़ी। उन्होंने अपनी लिफ्टर की अंतिम लिफ्ट 112 के बजाय 113 कर दी, जिसे वह उठा नहीं पाईं। मीरा को आगे निकलने के लिए अब 115 हर हाल में उठाना था, जिसे उन्होंने बिना मुश्किल के उठा लिया। अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग महासंघ ने शुक्रवार को भारतीय वेटलिफ्टिंग महासंघ के हाल ही में हुए चुनाव को मान्यता प्रदान कर दी। सहदेव यादव हाल ही में अहमदाबाद में वेटलिफ्टिंग महासंघ के अध्यक्ष बने हैं। भारतीय वेटलिफ्टिंग महासंघ को एशियाई चैंपियनशिप की मेजबानी भी सौंपी गई है, जिसका आयोजन अगले वर्ष अहमदाबाद में होना है।