- अपने ही विभाग में उपेक्षित ग्रामीण विकास सेवा के अफसर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में जिला पंचायत सीईओ बनने के लिए ग्रामीण विकास सेवा के अफसर तरस रहे हैं। पंचायत विभाग के अफसर लगातार मांग कर रहे हैं कि ग्रामीण विकास सेवा के अफसरों को जिला पंचायत सीईओ की पदस्थापना दी जाए। लेकिन हर बार उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है। अभी हाल ही में सरकार ने बीस जिलों में जिला पंचायत अधिकारियों की पदस्थापना की है पर इनमें से एक भी जगह ग्रामीण विकास सेवा के अफसरों को पदस्थ नहीं किया गया है। इससे इन कैडर के अफसरों में गहरी निराशा है।
जानकारी के अनुसार, पंचायती राज का पंचायत से लेकर जनपद तक क्रियान्वयन करने वाले इन अफसरों को पिछले लंबे समय से जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के रूप में पदस्थापना नहीं हो पा रही है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने दो दिन पूर्व 18 आईएएस और राज्य प्रशासनिक सेवा के आठ अफसरों के तबादले और नई पदस्थापना के आदेश जारी किए थे। इस आदेश के तहत बीस जिलों में नए जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की पदस्थापना की गई है पर इनमें एक भी ग्रामीण विकास सेवा का अफसर नहीं है। गौरतलब है कि राज्य ग्रामीण विकास सेवा के अफसरों का 2012 में काडर रिव्यू हुआ था और यह मामला प्रदेश की कैबिनेट में भी आया था। उस समय कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि जिलों में मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के लिए 13 पद आरक्षित किए जाएंगे। शुरूआत में इसका पालन हुआ और 10 से 12 जिलों में जिला पंचायत सीईओ के तौर पर इस सेवा के अफसरों के तैनात किया गया पर धीरे-धीरे इनकी संख्या में कमी आती गई और अब हालत यह है कि प्रदेश के किसी जिले में इस सेवा के अफसर तैनात नहीं है। जिलों में अपनी पदस्थापना को लेकर इस कैडर के अफसर पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल से भी मिल चुके हैं पर हल अब तक कुछ नहीं निकला है।
आधा दर्जन जिलों में आईएएस को दोहरा प्रभार
गौरतलब है कि प्रदेश की 313 जनपद पंचायतों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी इस सेवा के काम कर रहे हैं। इन्हें पदोन्नत कर संयुक्त आयुक्त बनाया जाता है। इन अफसरों की संख्या प्रदेश में चालीस के करीब है। इनमें से दस अधिकारी संभागीय मुख्यालयों पर संयुक्त आयुक्त के रूप में तैनात हैं, शेष केन्द्र सरकार प्रवर्तित योजनाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। गौरतलब है कि सीईओ जिला पंचायत पंचायत स्तर तक चलने वाली केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं में वन, महिला बाल विकास, उद्यानिकी, कृषि, सामाजिक न्याय समेत 22 विभागों का कार्डिनेशन करता है। इस सेवा के अधिकारियों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि सरकार ने आधा दर्जन जिलों में आईएएस को अपर कलेक्टर के साथ जिला पंचायत अधिकारी भी बनाया है। इन जिलों में शहडोल, रतलाम, बुरहानपुर, अनूपपुर, डिंडोरी और श्योपुर जिले शामिल हैं। इन सभी को पदोन्नत कर नई पदस्थापना दी गई है। अफसरों का कहना है कि दो प्रभार देने के स्थान पर इस कैडर के अधिकारियों को अवसर मिलना चाहिए था। पूर्व प्रांताध्यक्ष जनपद पंचायत सीईओ संघ भूपेश गुप्ता का कहना है कि ग्रामीण विकास सेवा के अफसरों को जिलों में सीईओ न बनाने से इस वर्ग के अफसरों में निराशा है। सरकार हमसे जनपदों में तो काम लेना चाहती है पर जिलों में पदस्थापना नहीं करती, जबकि इस सेवा के अफसरों को ही मैदानी स्तर का सबसे ज्यादा अनुभव होता है।