- घोषणा से पहले दिल्ली में होगी नए पदाधिकारियों की स्क्रीनिंग
- गौरव चौहान

मप्र में जिलों की कार्यकारिणी की घोषणा के बाद विवाद सामने आने के बाद भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर सतर्क हो गई है। पार्टी की कोशिश है कि मप्र भाजपा की कार्यकारिणी पूरी तरह फुलप्रूफ हो। यानी संगठन में कोई भी ऐसा पदाधिकारी ने हो जिसको लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो सके। इसलिए पार्टी ने निर्णय लिया है कि प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा से पहले सूची में शामिल पदाधिकारियों की दिल्ली में पूरी तरह स्क्रीनिंग की जाएगी।
गौरतलब है कि पहले नए अध्यक्ष के चुनाव में देरी और अब भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष चुने गए हेमंत खंडेलवाल की टीम के ऐलान में देरी चर्चा का विषय बनी हुई है। आदर्श संगठन के तौर पर गिने जाने वाले मप्र भाजपा के संगठन के गठन में देरी की वजह यह है कि पार्टी हर तरह के संतुलन बनाकर सूची फाइनल की जा रही है। निगम मंडलों में नियुक्ति के ऐलान के साथ हेमंत खंडेलवाल की नई टीम में अपना पुर्नवास देख रहे नेताओं की प्रतीक्षा कब खत्म होगी। माना जा रहा है कि निगम-मंडल से पहले पार्टी प्रदेश नेतृत्व की टीम घोषित कर दी जाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि निगम मंडल को लेकर भी प्रदेश से नई दिल्ली तक कवायद का दौर जारी है। ऐसा माना जा रहा है कि दशहरा पर्व के बाद पहले प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा की जाएगी। उसके बाद निगम मंडल, प्राधिकारण और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी। कहा जा रहा है कि निगम मंडल के ऐसे दावेदारों को जिनका जनाधार अपने क्षेत्रों में है उन्हें पहले प्रदेश संगठन में बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए राजी किया जाएगा।
विवादों के बाद चौकन्ना हाईकमान
प्रदेश भाजपा के कुछ जिलों की संगठनात्मक टीम में विवादित नाम शामिल होने के बाद शीर्ष हाईकमान चौकन्ना हो गया है। जानकारों की मानें तो टीम हेमंत की घोषणा तभी होगी, जब दिल्ली में टीम के नए पदाधिकारियों की पूरी तरह से स्क्रीनिंग हो जाएगी। इससे पहले प्रदेश नेतृत्व जिलों की टीम से विवादित नाम हटा सकता है। काफी इंतजार के बाद मध्यप्रदेश भाजपा को अपना नया प्रदेशाध्यक्ष मिला है। कुछ ऐसी ही स्थिति प्रदेश की नई टीम के गठन को लेकर है। हैरानी वाली बात यह है कि पूरे देश में मध्यप्रदेश के संगठन को सबसे आदर्श माना जाता है और पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व से लेकर संघ तक की पैनी नजर मध्यप्रदेश संगठन पर रहती है। ऐसे में प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी पाने के लिए वरिष्ठ से लेकर युवा कार्यकर्ता अपनी पूरी ताकत लगाएं हुए हैं। कुछ ऐसे नेताओं ने संघ के सामने अपनी दलील रखी है कि कई वर्षों से जनाधार और पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करने के बाद भी उन्हें हाशिए में रखा जा रहा है, तो युवाओं ने भी अपनी सक्रियता के दम पर प्रदेश स्तर के पद पाने का दावा ठोका है। पार्टी से जुड़े जानकारों की मानें तो लगभरा तीन माह पहले प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले हेमंत खंडेलवाल ने अपनी टीम का खाका तैयार कर लिया है और वह उसे जल्द घोषित करना चाहते थे। लेकिन तभी कुछ जिलों की संगठन में विवादित नाम सामने आने बाद मचे घमासान की वजह से प्रदेश की टीम की घोषणा रोकनी पड़ी है। सूत्रों का कहना है कि खंडेलवाल से संभावित सूची दिल्ली मांगी गई है, जहां से सूची में शामिल प्रत्येक कार्यकर्ता के बाद में हाईकमान स्तर से स्क्रीनिंग कराई जाएगी, जिससे टीम में शामिल एक भी नाम विवादित न रहे।
नेताओं के प्रभाव से बनी जिलों की कार्यकारिणी
भाजपा ने अपनी जिलों की कार्यकारणी के गठन के लिए अलग-अलग पर्यवेक्षकों को भेजा था। कहा जा रहा है कि जिन मापदण्डों के आधार पर पर्यवेक्षकों को जिला संगठन के पदाधिकारियों के नाम तय करने को कहा गया था, उनकी अनेदखी की गई और अधिकांश पर्यवेक्षकों द्वारा पार्टी के स्थानीय कद्दावर नेताओं, सरकार के मंत्रियों और दूसरे बड़े नेताओं के साथ बैठकर जिलों की टीम के लिए सूची तैयार कर ली, जिसे बाद में घोषित भी कर दिया गया। कई जिलों में विवादित नाम आने के बाद जहां पार्टी कार्यकर्ताओं में अंसतोष देखा गया तो विपक्षी दल ने भी पार्टी पर निशाना साधा। पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल ने रीवा सहित दूसरे उन जिलों की रिपोर्ट मांगी है, जहां पर संगठन में विवादित नाम शामिल किए गए है। कहा जा रहा है कि प्रदेश टीम की घोषणा से पहले जिला संगठनों में शामिल हुए विवादित नामों को हटाया जाएगा और संगठन के नियमानुसार खाली हुए पदों पर नए और सक्रिय चेहरों को जिम्मेदारी दी जाएगी। पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट को आधार मानकर रीवा में एक ऐसे कार्यकर्ता को जिला संगठन के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई, जिसे प्रदेश नेतृत्व द्वारा पूर्व में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। बताया गया है कि जिन्हें उपाध्यक्ष बनाया गया है, उन पर सरकारी अधिकारी के साथ मारपीट करने का आरोप लगा था। इसी तरह एक महिला कार्यकर्ता को मापदण्ड से बाहर जाकर पदाधिकारी बना दिया गया। नियमतया पार्टी के सक्रिय सदस्य को ही पदाधिकारी बनाया जाता है, लेकिन रीवा में इन नियम की भी अनदेखी की गई।