
- सत्ता और संगठन ने बनाया फॉमूला…
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कोशिश है कि सरकार जनता के दर पर पहुंचे। इसके लिए उन्होंने मंत्रियों को अपने प्रभार वाले जिलों में लगातार सक्रिय रहने को निर्देशित किया है। लेकिन मंत्री राजधानी भोपाल का मोह नहीं त्याग रहे हैं। इसको देखते हुए अब सत्ता और संगठन ने फॉर्मला बनाया है कि मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में जनता दरबार लगाएं। इस दरबार में जनता की समस्याओं को सुना जाए और उनका निराकरण कराया जाए।
सत्ता और संगठन के निर्देशानुसार, प्रभारी मंत्रियों को प्रभार के जिलों में मूवमेंट बढ़ाना होगा। वहां जनता दरबार लगाने होंगे, ताकि लोग अपनी बात कह सकें। विभागीय योजनाओं की समीक्षा भी करनी होगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को यह टास्क दिया है। बता दें, कुछ जिलों में प्रभारी मंत्रियों की असंवेदनशीलता से संगठन के साथ लोगों में भी आक्रोश दिखाई दे रहा है। इसको लेकर सत्ता व संगठन से पूर्व में भी मंत्रियों को सप्ताह में दो दिन राजधानी में बैठने की नसीहत मिल चुकी है।
लोगों ने नहीं मिलते मंत्री
ज्यादातर मंत्री, प्रभार के जिलों में बहुत कम जा रहे हैं। वहां के लोग परेशान हैं, ये मंत्रियों को खोजते फिरते हैं। ऐसे मंत्री कैबिनेट बैठक वाले दिनों को छोड़ दें तो भोपाल में भी नहीं मिलते। इनका पूरा जोर अपनी विधानसभा क्षेत्र में रहता है। कुछ मंत्रियों से कार्यकर्ता भी नाराज है, क्योंकि मंत्री कब मिलेंगे, कहां जाएंगे, यही तय नहीं होता। सूत्रों के मुताबिक पार्टी से ही यह आवाज उठती रही है कि कुछ मंत्री ढूंढे नहीं मिलते, इस आधार पर पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सत्ता के साथ मिलकर मंत्रियों के कम से कम दो दिन भोपाल में बैठने के सुझाव दिए। यही अपेक्षा मौजूदा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी जाहिर कर चुके हैं। तब भी ज्यादातर बंगलों पर मंत्री प्रवास पर हैं का बोर्ड मिलता है। पार्टी के कार्यकर्ता हों या आमजन सभी की शिकायत है कि यदि उन्हें विभाग से या जिले से जुड़े कोई काम हो तो मंत्रियों की बहुत खोजबीन करनी पड़ती है। इस पूरी कवायद में कई बार दो सप्ताह तक लग जाते हैं। नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के केंद्रीय सदस्य रंजीत रघुनाथ ने सीएम की तरह मंत्रियों के कार्यक्रमों का प्रतिदिन शेड्यूल जारी करने की मांग की। वहीं चेतन्य कुमार काश्यप जैसे कुछ मंत्री ऐसे भी है, जिन्होंने आम लोगों, कार्यकर्ताओं की सहूलियत के लिए केंद्रीयकृत कार्यालय खोल रखा है। यहां आने वालों के कामों का डिजिटल रिकार्ड मेंटेन होता है। यदि मंत्री से प्रत्यक्ष मुलाकात नहीं हुई तो जरुरी मामलों में मंत्री स्वयं कॉल करके चर्चा भी करते हैं।
योजनाओं की समीक्षा करने का निर्देश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में जारी विकास गतिविधियों, जनकल्याणकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के मैदानी क्रियान्वयन की प्रभारी मंत्री अपने प्रभार के जिलों में समीक्षा करें। साथ ही जन समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर निराकरण करवायें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अक्टूबर माह में राज्य स्तर पर कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी। कॉन्फ्रेंस में सभी मंत्रीगण, कमिश्नर, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, संभागीय अधिकारी, आई.जी. सहित विभाग प्रमुख और सचिवालयीन अधिकारी शामिल होंगे। कॉन्फ्रेंस से पहले सभी कमिश्नर और कलेक्टर आगामी वर्ष की विकास कार्ययोजना भी तैयार करें, जिससे प्रदेश के विकास को और अधिक गति प्रदान की जा सके। गौरतलब है कि राजधानी में 7-8 अक्टूबर को प्रस्तावित कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में जिले के कलेक्टर, संभागों के संभागायुक्त, पुलिस रेंज के आइजी-डीआइजी और जिला पंचायत सीईओ सरकार के साथ जमीनी फीडबैक साझा कर सकेंगे। साथ ही मैदानी स्तर पर आने वाली चुनिंदा चुनौतियां भी बताएंगे, ताकि उनमें सुधार किया जा सके। प्रमुख नवाचार भी साझा किए जाएंगे, ताकि प्रदेश भर में उन्हें अपनाया जा सके। जबकि एसीएस, पीएस और सचिव आगामी रोडमैप पर बात करेंगे। सीएम डॉ. मोहन यादव ने गतदिनों बैठक के एजेंडे का रिव्यू किया। कॉन्फ्रेंस में जिलों के रोडमैप पर बात होगी। इन्हें संबंधित कलेक्टरों द्वारा पेश किया जाएगा। जिन कलेक्टरों के रोडमैप अच्छे होंगे, उन्हें दूसरे जिलों के लिए भी अपनाया जा सकेगा। इसके अलावा जिलों में नवाचारों पर भी चर्चा होगी।