भोपाल आकर दब गई… शिवपुरी नपा के घोटाले की फाइल

घोटाले की फाइल
  • फर्जी भुगतान करने वाले सभी प्राधिकारियों को भी बनाएं आरोपी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। शिवपुरी नगर पालिका में घपले-घोटाले के चर्चे भोपाल से लेकर दिल्ली तक हो रहे हैं। स्थानीय नेताओं के संरक्षण में हुए घोटाले के विरोध में स्थानीय नागरिकों से लेकर जनप्रतिनिधि भी विरोध में सडक़ पर उतर आए हैं, लेकिन घोटाले की जांच में स्थानीय प्रशासन ने चुन-चुनकर आरोपी बनाए हैं। इसको लेकर शिवपुरी से भाजपा विधायक देवेन्द्र जैन से सवाल उठाए हैं। जैन ने नगरीय प्रशासन आयुक्त संकेत भोंडवे को पत्र लिखा है कि शिवपुरी नगर पालिका में घोटाले के चलते जो प्रकरण दर्ज कराया है, उसमें फर्जी भुगतान करने वाले सभी प्राधिकारियों को आरोपी नहीं बनाया है। विधायक देवेन्द्र जैन ने आयुक्त को इसी महीने के शुरुआत में पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने शिवपुरी जिलाधीश द्वारा जांच के बाद दर्ज कराए गए अपराधिक प्रकरण 504/25 में घोटाले से जुड़े मुख्य प्राधिकारियों को आरोपी नहीं बनाए जाने पर सवाल उठाए। जैन ने कहा कि अपराधिक प्रकरण में भुगतानकर्ता प्राधिकारियों को आरोपी ही नहीं बनाया गया है। जबकि नगर पालिका में भ्रष्टाचार व घपले करने वालो वालो का एक गिरोह है।
तथ्यों पर कार्रवाई करेंगे
शिवपुरी कलेक्टर की रिपोर्ट पर कुछ लोगों को निलंबित भी किया जा चुका है। इस मामले की जांच चल रही है। जांच में जो नए तथ्य आएंगे। कार्रवाई करेंगे। – संकेत भोंडवे, आयुक्त, नगरीय प्रशासन संचालनालय कई काम या तो अधूरे हैं या शुरू ही नहीं हुए हैं। साथ ही साथ भुगतान में भी बड़ी गड़बडिय़ां मिलीं हैं। जांच में सामने आया कि कुछ ठेकेदारों को एक-दो माह में भुगतान कर दिया गया। वहीं, कई ठेकेदार लंबे समय से भुगतान के लिए चक्कर काट रहे हैं। परिषद और पीआईसी की बैठकों में वित्तीय स्थिति की अनदेखी की गई है।  जांच रिपोर्ट में उजागर हुए तथ्यों के अनुसार, बजट प्रावधानों को नजर अंदाज करते हुए करोड़ों के प्रस्ताव पास कर दिए गए। एक-एक लाख की फाइल बनाकर फर्जी भुगतान कराए गए। कई फाइलें नगर पालिका कार्यालय की बजाय अध्यक्ष के घर से संचालित की गईं, जिन पर अध्यक्ष ने अपनी तरफ से भुगतान करने की अनुमति देते हुए मामले में खुद को शक के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है, जिसकी अब जांच की जा रही है। जांच में पता चला है कि भवन निर्माण स्वीकृति पोर्टल पर 55 प्रकरण समय सीमा से बाहर लंबित मिले। आयुक्त भोंडवे ने इन सभी अनियमितताओं को देखते हुए कार्रवाई की है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि अन्य जिम्मेदार लोगों पर भी कार्रवाई होगी।
पार्षदों का सामूहिक इस्तीफा
अगर जांच में घोटाला उजागर और जांच का दायरा बढ़ा तो पार्षदों की बात सिद्ध हो जाएगी, जो पहले से ही उनके खिलाफ मोर्चा तैयार लिए बैठे हैं। 18 पार्षदों ने नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया है। इस्तीफा देने वाले पार्षदों में 12 भाजपा के हैं, जबकि चार पार्षद कांग्रेस तो दो पार्षद निर्दलीय हैं। बता दें कि शिवपुरी नगर पालिका में फर्जी भुगतान करने के मामले में पहले ही दो इंजीनियर सहित एक ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो चुकी है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
भोपाल से खाली हाथ लौटे पार्षद
नगर पालिका शिवपुरी में फर्जी भुगतान उजागर होने के बाद से भाजपा पार्षद समेत स्थानीय नागरिकों में शासन-प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है। जनता के विरोध चलते नगर पालिका के 18 भाजपा पार्षद इस्तीफा देने की खानापूर्ति कर चुके हैं। कुछ पार्षद फर्जी भुगतान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आयुक्त नगरीय प्रशासन के पास भी आए, लेकिन उन्हें भी खाली हाथ लौटना पड़ा। खास बात यह है कि शिवपुरी में नगर पालिका अध्यक्ष भाजपा की हैं। इस्तीफा देने वाले पार्षद भी भाजपा से हैं।
अध्यक्ष और सीएमओ को अपराधिक प्रकरण से दूर रखा
नगर पालिका की व्यवस्था में सभी बड़े भुगतान अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीएमओ) के हस्ताक्षर से ही होते हैं। शिवपुरी नगर पालिका में 57 करोड़ का फर्जी भुगतान हुआ था। जो अध्यक्ष गायत्री शर्मा, सीएमओ ईशांक धाकड़ के हस्ताक्षर से किया गया। शिवपुरी कलेक्टर ने घोटाले की जांच कराने के बाद अपराधिक प्रकरण दर्ज कराया, जिसमें ठेकेदार और उपयंत्री को आरोपी बनाया है जबकि फर्जी भुगतान करने वाले अध्यक्ष और सीएमओ को आरोपी नहीं बनाया है। हालांकि इस मामले में नगरीय प्रशासन संचालनालय ने सीएमओ ईशांक धाकड़ समेत दो पूर्व सीएमाओ निलंबित कर दिया, जबकि नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा को आरोप पत्र तक नहीं दिया गया है।

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