भोपाल-इंदौर सहित 6 शहरों में 10 माह बाद ही दौड़ पाएंगी ई-बसें

ई-बसें
  • डिपो और चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए टेंडर जारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोगों को ई-बस सुविधा के लिए अभी 10 माह का इंतजार और करना होगा। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर सहित 6 शहरों में डिपो और चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए टेंडर जारी किया गया है। निवेशकों को डिपो, चार्जिंग स्टेशन, सर्विस सेंटर बनाने सहित अन्य कामों में कम से कम 6 माह का समय लगेगा।  इन 6 शहरों में 582 ई-बसों का संचालन जल्द शुरू करने की तैयारी चल रही है।  इनमें से 472 बसें 32 सीटर और 110 बसें 21 सीटर होंगी। इन बसों का संचालन नगरीय निकायों को महंगा पड़ सकता है, क्योंकि इनके संचालन के लिए जीसीसी यानी ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रेक्ट मॉडल अपनाया गया है। इसमें इलेक्ट्रिक बस, ड्राइवर, कंडक्टर और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की ही रहेगी। सरकार केवल प्रति किलोमीटर के हिसाब से उसे भुगतान करेगी। प्रतिदिन न्यूनतम 180 किलोमीटर का भुगतान किया जाएगा।  सिंहस्थ प्लानिंग के चलते उज्जैन में अभी तक जगह का चयन नहीं किया है।  भोपाल में लालघाटी, आईएसबीटी के सामने, इंदौर में नायता मुंडला और देवास नाका, ग्वालियर में आईएसबीटी और रमौआ जबलपुर आईएसबीटी और कठौदा में बनाया जाएगा। बसों के संचालन के लिए प्रति किलोमीटर के अनुसार भुगतान होगा। इसके लिए केंद्र सरकार प्रति किलोमीटर के अनुसार 22 रुपए देगी। केंद्र सरकार यह राशि 2037 तक यानी 12 साल तक देगी। जो राशि बचेगी वह किराए से कवर होगी। जहां किराए से कवर नहीं हो पाएगी उसका भुगतान संबंधित नगरीय निकाय को करना होगा। जानकारी के अनुसार इंदौर में 150, भोपाल में 100, जबलपुर में 100, उज्जैन में 100, ग्वालियर में 100 और सागर में 32 बसें चलाई जाएंगी।
60 फीसदी राशि देगा केंद्र
सौ बसों के लिए डिपो, चार्जिंग पॉइंट, सर्विस सेंटर बनाने में 10 से 12 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 60 फीसदी राशि केंद्र और 40 प्रतिशत राशि राज्य को देना होगी। सरकार सिर्फ जमीन और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करेगी। चार्जिंग गन बसों का संचालन करने वाली कंपनी ही लगाएगी और बिजली का बिल भी कंपनी ही चुकाएगी। ऐसे 11 चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। जबकि टिकटिंग एजेंसी संबंधित निकाय तय करेंगे। टिकट का पैसा निकाय के पास जाएगा, इसी से बसों का भुगतान होगा। बसों के संचालन के लिए प्रति किलोमीटर के अनुसार भुगतान होगा। इसके लिए केंद्र सरकार प्रति किलोमीटर के अनुसार 22 रुपए देगी। केंद्र यह राशि 2037 तक यानी 12 साल तक देगी। जो राशि बचेगी वह किराए से कवर होगी। जहां किराए से कवर नहीं हो पाएगी उसका भुगतान संबंधित नगरीय निकाय को करना होगा। केंद्र ने इसकी भी पुख्ता व्यवस्था की है कि ई-बसों को नियमित भुगतान होता रहे। इसके लिए बैंक में एक एस्क्रो अकाउंट खुलवाया जाएगा। इसमें राज्य सरकार को कम से कम तीन माह का एडवांस पेमेंट जमा कराना होगा। यदि निकाय भुगतान करने में विफल रहते हैं तो इस अकाउंट में से संचालनकर्ता कंपनी को भुगतान हो जाएगा।
टिकट का पैसा निकाय के पास जाएगा
बसों के संचालन का काम कंपनियां करेंगी। चार्जिंग गन बसों का संचालन करने वाली कंपनी ही लगाएगी और बिजली का बिल भी कंपनी ही चुकाएगी। ऐसे 11 चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। जबकि टिकटिंग एजेंसी संबंधित निकाय द्वारा तय की जाएगी। टिकट का पैसा निकाय के पास जाएगा, इसी से बसों का भुगतान होगा। केंद्र ने इसकी भी पुख्ता व्यवस्था की है कि ई-बसों को नियमित भुगतान होता रहे। इसके लिए बैंक में एक एस्क्रो अकाउंट खुलवाया जाएगा। इसमें राज्य सरकार को 3 माह का एडवांस पेमेंट जमा कराना होगा। यदि निकाय भुगतान करने में विफल रहे तो इस खाते से संचालनकर्ता कंपनी को भुगतान हो जाएगा। आयुक्त नगरीय विकास एवं आवास संकेत भोंडवे ने कहा कि भोपाल सहित 6 शहरों में ई-बसों के लिए डिपो सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए टेंडर जारी किए हैं। डिपो बनाने के बाद बसें लाई जाएंगे, जिससे उनका संचालन हो सके।

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