सत्ता-संगठन में समन्वय और राजनीतिक नियुक्तियों का खाका तैयार

  • सीएम हाउस में पॉवर टोली की हाई प्रोफाइल मीटिंग
  • गौरव चौहान
सत्ता-संगठन

मप में सत्ता और संगठन में समन्वय, राजनीतिक नियुक्तियों, प्रधानमंत्री के स्वेदशी अभियान, जीएसटी की दरों में कमी का व्यापक प्रचार-प्रसार आदि पर मंथन के लिए सीएम हाउस में भाजपा की पॉवर टोली की हाई प्रोफाइल बैठक हुई। मोहन सरकार में लंबे समय से लंबित निगम मंडलों में नियुक्तियों और प्रदेश की नई कार्यकारिणी को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई है। सत्ता और संगठन की पटरी बिठाने अब इस तरह की बैठकें नियमित तौर पर होंगी। इस बैठक में जो चुनिंदा चेहरे शामिल थे उसे मध्य प्रदेश में पार्टी की पॉवर टीम कहा जा सकता है। बताया जाता है कि अब सत्ता संगठन से जुड़े फैसलों में इस पॉवर टोली की भूमिका रहेगी। बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राजेन्द्र शुक्ल के अलावा वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयर्गीय, राकेश सिंह और प्रहलाद पटेल मौजूद थे। राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर शुरू हुई इन बैठकों का उद्देश्य केन्द्र और राज्य सरकारों की फ्लैगशिप योजनाओं के प्रचार-प्रसार समेत सत्ता और संगठन में जिलास्तर तक बेहतर तालमेल बनाना भी है।
दरअसल, मप्र की राजनीति में इस समय संगठन व सरकार दोनों स्तर पर नियुक्तियों और अफसरों के बीच बढ़ती तकरार को लेकर सियासी हलचल तेज है। ऐसे में सत्ता और संगठन में समन्वय बनाने के लिए सीएम हाउस में अहम बैठक हुई। यहां प्रदेश नेताओं के बीच लंबा मंथन हुआ। बैठक में कई अहम मुद्दों चर्चा की गई। 22 सितंबर (नवरात्रि) से जीएसटी की घटी हुई दरें देशभर में लागू हो रहीं हैं। मध्यप्रदेश में आम लोगों के बीच इसका प्रचार-प्रसार किया जाएगा। सत्ता-संगठन ने तय किया है कि सभी मंत्री विधायक और पार्टी के कार्यकर्ता जनता के बीच जाएंगे और जीएसटी की घटी दरों के फायदे बताएंगे। बैठक में यह भी हिदायत दी गई है कि सबको मिलकर एक ही दिशा में काम करना है। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। बैठक में यह भी तय किया गया है कि दशहरे पर शस्त्र पूजन को भव्यता से मनाया जाए।
तालमेल पर रहा फोकस
बैठक में भाजपा के संगठन और सत्ता के बीच तालमेल को लेकर चर्चा हुई है। दरअसल, कुछ महीनों से कई जिलों से भाजपा विधायकों, और प्रशासनिक अफसरों के बीच खींचतान के मामले सामने आए थे। खाद संकट को लेकर भिंड कलेक्टर और विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह का विवाद सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। बीजेपी विधायक सुरेन्द्र पटवा महिला पुलिस अफसर के खिलाफ सडक़ पर धरना दे चुके हैं। उनके बाद चाचौड़ा से बीजेपी की महिला विधायक प्रियंका पेंची ये आरोप लगा चुकी हैं कि गुना के एसपी अंकित सोनी महिला होने की वजह से उन्हे मानसिक रुप से प्रताडि़त करते रहे हैं। ऐसे तमाम मामलों को रोकने और सत्ता-संगठन में तालमेल बनाने पर चर्चा हुई है।  यह भी तय किया गया कि सत्ता संगठन में बेहतर तालमेल के लिए महीने में कम से कम एक बार इस तरह की बैठकों का आयोजन किया जाएगा। गौरतलब है कि हेमंत खंडेलवाल ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से सत्ता और संगठन में समन्वय पर खास फोकस करना शुरू किया है। वे इसके लिए लगातार जिलों में जाकर बैठक भी कर रहे हैं और भाजपा के पुराने नेताओं से भी मुलाकात कर रहे हैं।
नवरात्रि में होगी निगम मंडलों में ताजपोशी
गौरतलब है कि प्रदेश में लंबे समय से निगम-मंडल में नियुक्तियां अटकी हुई हैं। चर्चा है कि पितृपक्ष की समाप्ति के बाद भाजपा संगठन और सरकार मिलकर निर्णय लेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश संगठन की टीम इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रही है। वहीं दावा किया जा रहा है कि नवरात्रि के दौरान नेताओं को निगम मंडल में नियुक्तियां की जा सकती है। वहीं 18 साल पुराने बुंदेलखंड, महाकोशल और विंध्य विकास प्राधिकरण में भी राजनीतिक नियुक्तियां होने को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं। यहां से पांच वर्ष पहले (6 मार्च 2019) कांग्रेस सरकार ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष हटा दिए थे। तब से अधिकारी और कर्मचारी भी एक-एक करके अपने मूल विभाग में चले गए। इस वित्तीय वर्ष में बजट प्रावधान भी नहीं किया गया। लेकिन, अब निगम-मंडलों में नई नियुक्तियां होने की संभावना को देखते हुए आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग ने द्वितीय अनुपूरक बजट में राशि उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव भेजा है। इन तीनों प्राधिकरणों का गठन भाजपा सरकार में वर्ष 2007 में हुआ था। इसके पीछे उद्देश्य था कि जिलों में आर्थिक पिछड़ापन दूर करने के लिए निर्माण और विकास कार्य कराए जाएंगे। प्राधिकरणों को 44 प्रमुख कार्य की जिम्मेदारी दी गई है। शिक्षा भवनों का निर्माण, निर्वाचन क्षेत्र में मौजूद विवि में बाउंड्रीबॉल, शौचालय आदि निर्माण। शिक्षण संस्थाओं के लिए फर्नीचर, टाट-पट्टी क्रय करना, सार्वजनिक वाचनालय, अध्ययन कक्ष निर्माण। गांवों, कस्बों अथवा नगरों में कुआं और नलकूप, प्याऊ, गर्मियों में पानी के टैंकर उपलब्ध कराना जेलों, शासकीय कन्या आश्रमों, अनाथालयों, अस्पतालों में पेयजल व्यवस्था करना। सरकार ने प्राधिकरण गठित जरूर कर दिए लेकिन साल दर साल इनका बजट कम होता चला गया और इस साल एक रुपया नहीं मिला। सबसे अधिक वर्ष 2018-19 में हर प्राधिकरण को 5 करोड़ से अधिक की राशि दी गई थी। इस राशि में पांच-छह जिलों का विकास करना होता है।
स्वदेशी के लिए चलेगा अभियान
 गौरतलब है कि हाल ही में अपने जन्मदिन पर मध्यप्रदेश के दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पौन घंटे से अधिक उद्बोधन में स्वदेशी पर खासा जोर दिया था और लोगों को शपथ दिलवाई थी कि वे देश में बना सामान ही खरीदेंगे। पीएम के जाने के बाद से प्रदेश सरकार और संगठन इस मामले में सक्रिय हो गई है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पहले से ही स्वेदशी पर जोर दे रहा है और इसके लिए उसने स्वदेशी जागरण मंच समेत अपने अन्य अनुषांगिक संगठनों के माध्यम से अभियान भी छेड़ रखा है। बैठक का उद्देश्य सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल बनाना था। बैठक में राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने कहा कि सभी एक ही दिशा में कार्यशील रहें और तालमेल के साथ संगठन और सरकार के काम को जनता तक सकारात्मक तरीके से पहुंचाए। केन्द्र सरकार ने जीएसटी की दरों में कमी की है। इसका संगठन कैसे राजनीतिक लाभ ले और आम जनता को इसके फायदे से किन-किन तरीकों से अवगत कराया जाए इस पर भी बैठक में बात हुई। बैठक में दशहरे पर शस्त्र पूजन और आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान पर भी चर्चा हुई।

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