देश की पहली ‘सोलर-प्लस-स्टोरेज’परियोजना बनी मिसाल

सोलर-प्लस-स्टोरेज परियोजना
  • मुख्यमंत्री डॉ. यादव बोले- परियोजना ने ग्रीन ऊर्जा और स्टोरेज को दी नई दिशा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहा है। मुरैना की यह परियोजना ‘सेवा पखवाड़ा’ के दौरान राष्ट्र को समर्पित है। उन्होंने कहा कि मुरैना सोलर प्लस स्टोरेज परियोजना से पूरे देश में ग्रीन ऊर्जा उत्पादन और स्टोरेज की नई राह खुलेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुरैना परियोजना में प्राप्त की गई सफलता के आधार पर लंबे समय की ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं के लिए संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परियोजना में प्राप्त किया गया कम टैरिफ प्रदर्शित करता है कि नवकरणीय ऊर्जा भी डिस्कॉम के लिए अधिक किफायती हो सकता है। मध्यप्रदेश ने नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में गत् दिवस प्राप्त निविदा में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। मुरैना में विकसित हो रही प्रदेश की पहली ‘सोलर-प्लस-स्टोरेज’ परियोजना में 2.70 रुपये प्रति यूनिट, अब तक की सबसे कम टैरिफ दर प्राप्त हुई है। यह देश की पहली परियोजना है, जिसमें 3 रुपये प्रति यूनिट से कम पर फर्म और डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी उपलब्ध होगी। यह परियोजना 95 प्रतिशत वार्षिक उपलब्धता के साथ भारत की पहली ‘सोलर-प्लस-स्टोरेज’ परियोजना बन गई है। अब तक देशभर की परियोजनाओं में केवल 50 प्रतिशत पीक ऑवर्स उपलब्धता और 85 प्रतिशत वार्षिक उपलब्धता सुनिश्चित हो पाती थी। मुरैना परियोजना इस ट्रेंड को बदलते हुए पीएम ऑवर्स में 95 प्रतिशत आपूर्ति के नए मानक स्थापित करेगी।  मुरैना परियोजना दो परियोजनाओं का मिश्रण है, जिसमें पहलाएक सामान्य सिंगल-चार्ज कम्पोजिट सोलर प्रोजेक्ट,जिसमें बैटरी को सोलर एनर्जी से चार्ज जाता है।दूसरा स्टोरेज एज ए सर्विस प्रोजेक्ट है, जिसमें अतिरिक्त ग्रिड पॉवर से रात के समय बैटरी दोबारा चार्ज की जाएगी। इससे सुबह के पीक ऑवर्स की आपूर्ति की जाएगी। इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि बैटरी, दिन में दो बार उपयोग की जाएगी। यह परियोजना सुनिश्चित करती है कि राज्य ग्रिड में उपलब्ध रात के समय अतिरिक्त बिजली का उपयोग सुबह की पीक ऑवर्समें विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा।
 मुरैना परियोजना पीक ऑवर्सऔर दिन के समय में समान स्तर की आपूर्ति (प्रत्येक इकाई से 220 मेगावाट) के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करती है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह द्वारा नियोजित भविष्य की परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त करता है जो दिन और रात के समय एक फ्लेटप्रोफाईलकी बिजली की आपूर्ति करते हुए एक ऐसीपरियोजना की आधारशिला रखेगी जो पूरे 24 घंटों के लिए समान स्तर की बिजली की आपूर्ति करे। यह नवकरणीय ऊर्जा को पारंपरिक ऊर्जा के समान निश्चितता प्रदान करेगा और इसे तकनीकी और व्यावसायिक रूप से समतुल्य बना देगी
 वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा
ई-रिवर्स नीलामी 19 सितंबर, 2025 को 25 वर्षों के लिए निर्धारित 2.70 रूपये प्रति यूनिटके ऐतिहासिक टैरिफ के साथ संपन्न हुई, नीलामी प्रक्रिया लगभग 12 घंटे चली। यह पूरे भारत में एफडीआरईनिविदाओं के लिए एक मील का पत्थर है,परियोजना के ई-रिवर्स ऑक्शन में 16 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया। यह क्षमता की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक सब्सक्रिप्शन था। ऑक्शन में अडानी रिन्यूएबल्स, एनटीपीसी रिन्यूएबल्स, रिन्यू सोलर, एसीएमई, एंजी एनर्जी, दिलीप बिल्डकॉन, एमबी पॉवर जैसी कंपनियाँ शामिल थीं।
एनर्जी ट्रांजिशन में मील का पत्थर
मुरैना भारत की एनर्जी ट्रांजिशनमें एक नया मोड़ है, उम्मीद है कि इस तरह के उत्साहजनक परिणाम देश को कोयला आधारित बिजली की तुलना में नवकरणीय ऊर्जा सहित ऊर्जा भंडारण का चयन करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, जिससे देश के स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य को बल मिले। यह परियोजना न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश को ऊर्जा सुरक्षा, किफायती दरों और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में सशक्त बनाएगी। नवकरणीय ऊर्जा अब पारंपरिक ऊर्जा के समान तकनीकी और व्यावसायिक रूप से प्रतिस्पर्धी बन चुकी है।
परियोजना की संरचना और क्षमता
मुरैना सोलर पार्क को रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड द्वारा क्रियान्वित किया गया है, जिसने पहले भी प्रतिष्ठित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को विकसित किया है। मुरैना परियोजना से उत्पादित बिजली राज्य द्वारा खरीदी जाएगी। मुरैना सोलर पार्क में 2 यूनिट स्थापित की जा रही हैं, प्रत्येकइकाई से तीनों चरणों में 220 मेगावॉट क्षमता ऊर्जा का उत्पादन होगा।
पहला चरण: वास्तविक समय पर सौर ऊर्जा (220 मेगावॉट तक)
दूसरा चरण: शाम के पीक ऑवर्स में 2 घंटे (बैटरी में संचित सौर ऊर्जा से)
तीसरा चरण: सुबह के पीक ऑवर्स में 2 घंटे (रात्रि में ग्रिड से चार्ज बैटरी से)
इस नवाचार से बैटरी का उपयोग दिन में दो बार संभव होगा, जिससे लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी। कुल मिलाकर सुबह और शाम के पीक ऑवर्स में 440 मेगावॉट सप्लाई सुनिश्चित होगी।

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