
- पितृपक्ष के बाद मप्र में बदलेगा राजनीतिक परिदृश्य
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। छत्तीसगढ़ के बाद अब जल्द ही मप्र में कैबिनेट विस्तार होने जा रहा है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के बीच निगम, मंडल और प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्ति और मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा हो चुकी है। संभावना जताई जा रही है कि पितृपक्ष के बाद राजनीतिक नियुक्तियों के साथ मंत्रिमंडल विस्तार की दिशा में सरकार आगे कदम बढ़ाएगी।
गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव निगम, मंडल और प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्ति और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर केंद्रीय नेतृत्व से कई बार मुलाकात कर चुके हैं। बताया जाता है कि आलाकमान ने मप्र की सत्ता और संगठन के प्रमुखों को फ्री-हैंड दे दिया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि मप्र में सत्ता-संगठन के लंबित मामलों पर पितृपक्ष के बाद फैसले होने लगेंगे। भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की टीम, निगम-मंडलों में दर्जा मंत्रियों की ताजपोशी और मंत्रिमंडल विस्तार/फेरबदल का भी बेसब्री से इंतजार हो रहा है। हाईकमान ने नियुक्ति के इंतजार में बैठे दावेदारों को नवरात्रि से लंबित मामलों पर फैसले लेने के संकेत दिए हैं।
आधा दर्जन मंत्रियों पर तलवार
सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल में फेरबदल में आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों को बाहर किया जा सकता है। कुछ मंत्रियों ने स्वयं मंत्रिमंडल से हटने की इच्छा जताई है, क्योंकि वे अपने विभागों में प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं। इस फेरबदल में उन मंत्रियों पर विशेष नजर है, जिनका प्रदर्शन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कार्यकारिणी, निगम-मंडल से लेकर मंत्रिमंडल के मामले में भी नवरात्रि से फैसले शुरू हो जाएंगे। मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट में अभी 31 मंत्री हैं जबकि निर्धारित प्रावधान के अनुसार 34-35 मंत्री हो सकते हैं। खाली 4 पदों के लिए कई दिग्गज कतार में हैं।
संगठनात्मक बदलाव की संभावना
मंत्रिमंडल फेरबदल के साथ-साथ संगठन में भी बड़े बदलाव की संभावना है। प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के अलावा, निगम-मंडलों और विकास प्राधिकरणों में नियुक्तियां जल्द करने की योजना है। यह कदम कार्यकर्ताओं की नाराजगी को कम करने और संगठन को मजबूत करने के लिए उठाया जा सकता है। इसके अलावा, आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए पार्टी नए चेहरों को मौका देने और क्षेत्रीय व जातिगत संतुलन बनाए रखने की रणनीति पर भी काम कर रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष खंडेलवाल की नियुक्ति को सवा दो महीने बीत चुके हैं। उनकी कार्यकारिणी का गठन होना बाकी है। पार्टी में कई स्तर पर विचार-विमर्श हो चुका है लेकिन पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई। यही स्थिति निगम-मंडल और प्राधिकरणों में सियासी नियुक्तियों के मामले में भी है। भाजपा संगठन 62 जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लगभग 8 महीने हो चुके हैं। लेकिन बमुश्किल डेढ़ दर्जन जिलों की कार्यकारिणी ही घोषित हो पाई है। संगठन ने पहली बार जिलों में नई टीम के लिए रायशुमारी भी कराई है इसके बावजूद नई टीम की घोषणा होने में समय लग रहा है। मोहन सरकार ने फरवरी 2024 में निगम-मंडल और प्राधिकरणों में तैनात सभी दर्जा मंत्रियों की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं। इसके बाद से भाजपा के नए-पुराने सभी नेता ताजपोशी का दबाव बनाए हुए हैं। नेताओं को उपकृत करने की मंशा से ये नियुक्तियां होना हैं। अभी निगम-मंडल और आयोगों की संबंधित विभाग के मंत्री अथवा अधिकारी कमान संभाले हुए हैं। इस मुद्दे पर प्रदेश के नेताओं की केंद्रीय हाईकमान से कई दौर की चर्चा हो चुकी है। कुछ वरिष्ठ नेताओं के पुनर्वास का मामला केंद्रीय हाईकमान को लेना है।
संगठन में माननीयों को नहीं मिलेगा स्थान!
मप्र भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में माननीयों यानी सांसद-विधायकों को स्थान नहीं मिलेगा! भाजपा ने कार्यकारिणी गठन को लेकर फॉर्मूला तैयार किया है। बताया जा रहा है कि वर्तमान मंत्री, सांसद, विधायक भी कार्यकारिणी से बाहर होंगे। अभी सात सांसद और एक कैबिनेट समेत छह विधायक पदाधिकारी हैं। वहीं 14 प्रदेश उपाध्यक्ष, पांच महामंत्री और 13 प्रदेश मंत्री है। मप्र में भाजपा ने प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर प्लान बनाया है। इसके तहत सांसद और विधायकों को जगह नहीं मिलेगी। नए लोगों को एडजस्ट किया जाएगा। बताया जा रहा है कि पितृपक्ष के बाद प्रदेश कार्यकारिणी का ऐलान हो जाएगा। अभी कार्यकारिणी में जो जनप्रतिनिधि पदाधिकारी हैं उनमें प्रदेश उपाध्यक्ष- मुरैना सांसद संध्या राय, राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीक, भोपाल सांसद आलोक शर्मा, अनुसूचित जाति मंत्री नागर सिंह चौहान और आलोट विधायक चिंतामण मालवीय शामिल है। प्रदेश महामंत्री- राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार, जतारा विधायक हरिशंकर खटीक और भोपाल पश्चिम विभाग भगवान दास सबनानी हैं। प्रदेश मंत्री- सागर सांसद लता वानखेड़े, जबलपुर सांसद आशीष दुबे, और जयसिंह नगर विधायक मनीषा सिंह हैं। संयुक्त कोषाध्यक्ष- उज्जैन उत्तर विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा हैं। वहीं 7 मोर्चा संगठनों में से 3 की कमान सांसद, एक मंत्री के पास है। राज्यसभा सांसद नारोलिया, महिला मोर्चा की अध्यक्ष है, सांसद दर्शन चौधरी किसान मोर्चा के अध्यक्ष है और एक कैबिनेट मंत्री ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष हैं। इधर, प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने बताया कि कार्यकारिणी का गठन प्रदेश अध्यक्ष का विशेष अधिकार है। केंद्र के निर्देश और सबके समन्वय से कार्यकारिणी का गठन करते हैं। किस कार्यकर्ता को स्थान मिलेगा किसे नहीं, यह समन्वय से तय होगा।