जनहित के मुद्दों पर सिर्फ राजनीति करने तक सीमित है कांग्रेस

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  • प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर मसले पर देते हैं धमकी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी जनहित के मुद्दों पर सिर्फ राजनीति करने तक सीमित है। यही वजह है कि पिछले दो महीने के भीतर मप्र कांग्रेस ने जनहित के मुद्दे पर एक भी बड़ा आंदोलन नहीं किया है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी जनहित से जुड़े हर बयान में सरकार को आंदोलन करने की धमकी देते हैं। ऐसे में चाहे बाढ़ आपदा पीडि़तों को मुआवजा का मामला हो या फिर खाद संकट या फसल बीमा का मामला।
पटवारी ने बिगड़ती कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर भी आंदोलन की धमकी दी है। पटवारी पिछले दो महीने के भीतर एक बार भी जनहित के मुद्दे पर सडक़ पर नहीं उतरे हैं। दो महीने पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ अशोकनगर में अपराधिक प्रकरण दर्ज होने के विरोध में कांग्रेस ने 8 जुलाई को अशोकनगर जिला मुख्यालय पर बड़ा प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन को कांग्रेस ने न्याय सत्याग्रह नाम दिया था। इसके बाद प्रदेश में बाढ़ आपदा, नकली खाद-बीज वितरण, खाद संकट, सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार, फसल बीमा की राशि नहीं मिलना समेत अन्य मुद्दे शामिल है। इस सब मामलों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी से लेकर प्रदेश कांग्रेस के अन्य नेताओं को सरकार के खिलाफ आंदोलन की धमकी दी है। इतना ही नहीं भोपाल के लव जिहाद और प्रदेश में अवैध मादक पदार्थों की विक्री एवं बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर भी कांग्रेस ने आंदोलन की चेतावनी दी थी, लेकिन कांग्रेस एक मुद्दे को लेकर सडक़ पर नहीं उतरी। न ही कांग्रेस के नेताओं ने जनहित के मुद्दे को लेकर कोई आंदोलन किया। हालांकि पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर वोट चोरी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस नेता प्रदेश भर में कार्यक्रम कर रहे हैं।
इन मुद्दों पर दे चुके हैं आंदोलन की धमकी
बाढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी जनहित से जुड़े हर मुद्दे पर सरकार को आंदोलन की धमकी देते हैं। जुलाई में गुना जिले में बाढ़ के बाद पटवारी ने सरकार को पीडि़तों को तत्काल मुआवजा नहीं देने पर आंदोलन की धमकी दी थी। कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं होने पर भी सरकार का चेतावनी दी थी। इसी तरह ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण नहीं देने के विरोध में भी मप्र कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन की धमकी दी थी। नकली खाद-बीज की बिक्री एवं खाद संकट के विरोध में भी पटवारी ने सरकार को चेतावनी दी थी। अपराध एवं मादक पदार्थों की विक्री के विरोध में भी पटवारी ने आंदोलन की धमकी दी थी। भ्रष्टाचार के मामले में भी पटवारी सरकार को चेतावनी देते रहते है। खास बात यह है कि पटवारी एक मुद्दे को लेकर भी. आंदोलन खड़ा नहीं कर पाए हैं। जिसकी वजह कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी बताई जा रही है।
जिलाध्यक्षों की घोषणा के बाद से पटवारी के तेवर ढीले
कांग्रेस नेतृत्व ने संगठन सृजन अभियान के बाद मप्र में 71 जिलाध्यक्षों के नाम की एक साथ घोषणा की थी। प्रदेश में आधे से ज्यादा जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का विरोध हुआ था। जिसमें भोपाल एवं इंदौर में सबसे ज्यादा विरोध देखने को मिला। इंदौर पटवारी का गृह जिला है, फिर भी वहां के नेता इंदौर ग्रामीण जिलाध्यक्ष की नियुक्ति के विरोध में केंद्रीय कार्यालय तक विरोध प्रदर्शन करने पहुंच गए थे। बताया गया कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद उठे विरोध के बाद पटवारी के तेवर ढीले पड़ गए हैं। क्योंकि कुछ जिलों के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति से पार्टी के कुछ नेता नाराज है।

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