
- लाइन लॉस कम करने बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार की कवायद
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में बिजली वितरण व्यवस्था को दुरूस्त कर लाइन लॉस को कम करने की कवायद वर्षों से चल रही है। मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी को इससे कुछ हद तक फायदा भी पहुंचा है। इसको देखते हुए अब मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में जुटी है। इसके तहत अंडरग्राउंड केबल बिछाई जा रही है। लाइन लॉस कम करने बिजली वितरण व्यवस्था में कई स्तर पर सुधार किया जा रहा है। मेंटेनेंस में ड्रोन और एआई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस व्यवस्था को मजबूत करने कंपनी अपनी कर्ज सीमा भी बढ़ाएगी। जानकारी के अनुसार बिजली वितरण व्यवस्था को दुरूस्त करने और लाइन लॉस को कम करने के लिए मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने अपनी कर्ज सीमा को बढ़ाने का फैसला किया है। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 में दिए प्रस्ताव के अनुसार अब कंपनी 13500 करोड़ रुपए की जगह 17500 करोड़ रुपये तक का कर्ज ले सकेगी। यह निर्णय कंपनी के निदेशक मंडल की 129वीं बैठक में लिया गया। कंपनी के अनुसार 30 जून 2024 तक उस पर 13311.70 करोड़ रुपए का ऋण है, जिसमें लिए गए ऋण, बकाया ब्याज और अप्रयुक्त स्वीकृत ऋण शामिल हैं। आने वाले पांच साल में कंपनी को लगभग 4100 करोड़ के अतिरिक्त ऋण की जरूरत होगी, जिसमें नए प्रोजेक्ट्स और भविष्य की कार्ययोजनाएं शामिल हैं।
अतिरिक्त 4,100 करोड़ के कर्ज की जरूरत
कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यदि अतिरिक्त 4,100 करोड़ रुपये का कर्ज लिया जाता है, तो कुल उधारी 17411.70 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। इस स्थिति में मौजूदा सीमा 13,500 करोड़ रुपए से लगभग 4,000 करोड़ रुपये अधिक कर्ज की अनुमति चाहिए। इसी के चलते कंपनी ने विशेष प्रस्ताव लाकर शेयरधारकों की सहमति लेने का निर्णय किया है। सिर्फ कर्ज लेने की ही नहीं, बल्कि उसके लिए सुरक्षा बनाने की भी आवश्यकता होगी। कंपनी ने प्रस्ताव रखा है कि 17,500 करोड़ रुपये तक की राशि के लिए कंपनी अपनी परिसंपत्तियों को सुरक्षा के तौर पर गिरवी रख सकेगी। प्रदेश की बिजली सप्लाई को सुधारने, अघोषित बिजली कटौती कम करने और मेंटेनेंस के लिए बिजली कंपनी नई तकनीक का उपयोग कर रही है। हाई वोल्टेज लाइनों की पेट्रोलिंग तक ड्रोन तकनीक से की जा रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करने से ट्रिपिंग और ब्रेकडाउन में भी कमी आई है। प्रदेश की ट्रांसमिशन कंपनी 10 हजार टावरों की पेट्रोलिंग ड्रोन तकनीक से कर चुकी है। इस तकनीक के उपयोग से ट्रिपिंग और ब्रेकडाउन में 35 फीसदी तक की कमी आई है।
लाइनों के रखरखाव में तकनीक का उपयोग
ट्रांसमिशन कंपनी अति उच्च दाब लाइनों के रखरखाव में इस तकनीक का उपयोग कर रही है। प्रदेश की मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने भी मेंटेनेंस के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग किया है, जो सफल रहा था। दरअसल ड्रोन से हाई वोल्टेज लाइनों का मेंटेनेंस बिना जोखिम के कम समय में किया जा सकता है। प्रदेश में बिजली की डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसके चलते इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी इजाफा किया जा रहा है। पिछले 13 साल में प्रदेश में 33 केवी लाइन का विस्तार 22 हजार किमी से ज्यादा हो चुका है। वर्तमान में 33 केवी लाइंस 61 हजार 162 किलोमीटर हो गई है। साल 2011 में 33 केवी लाइन की लंबाई 38 हजार 867 किमी थी। प्रदेश में सिंचाई के लिए किसानों को बिजली उपलब्ध कराने ट्रांसफॉर्मर लगाए जा रहे है। इसके तहत एक लाख 30 हजार ट्रांसफॉर्मर लगाए जा चुके हैं।