
एमपी कैडर के 16 एसएएस अब कहलाए जाएंगे आईएएस
मध्य प्रदेश कैडर के 16 राज्य प्रशासनिक सेवा, एसएएस अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा, आईएएस में पदोन्नत किया गया है। इनमें वे अधिकारी भी शामिल हैं जो विभागीय जांच के चलते पिछले सालों में प्रमोशन से वंचित रह गए। राकेश कुशरे और नंदाभलावे कुशरे को एक साथ पदोन्नति मिली है, वे पति-पत्नी हैं। जांच में क्लीनचिट मिलने के बाद नारायण प्रसाद नामदेव और कैलाश बुंदेला भी आईएएस बन गए हैं। उज्जैन नगर निगम के पूर्व कमिश्नर आशीष पाठक को भी आईएएस में पदोन्नति दी गई है। मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल, पब्लिक ग्रीवेंस एंड पेंशन्स, डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग, डीओपीटी की ओर से सोमवार को 2023 और 2024 बैच के लिए आईएएस अवॉर्ड का नोटिफिकेशन जारी किया गया। इन दोनों सालों के लिए राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की विभागीय पदोन्नति समिति, डीपीसी की बैठक पिछले महीने हुई थी। अब नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इन दोनों सालों में 8-8, यानी कुल 16 अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत कर दिया गया है
कर्मचारियों की पदोन्नति मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई आज
कर्मचारियों की पदोन्नति मामले में मप्र हाईकोर्ट में सुनवाई 9 सितंबर को होगी। पदोन्नति मामले में हाईकोर्ट में यह पांचवीं सुनवाई होगी। प्रदेश के 5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों की नजर कोर्ट की सुनवाई पर रहेगी। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सरकार का पक्ष रखेंगे। इसके लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन और तुषार मेहता को हायर किया है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2016 से कर्मचारियों की पदोन्नति संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसे देखते हुए पदोन्नति का रास्ता खोलने के लिए डॉ. मोहन यादव कैबिनेट ने 17 जून को मप्र लोक सेवा प्रमोशन नियम-2025 को मंजूरी दी थी। सरकार ने पदोन्नति के नए नियमों के संबंध में 19 जून को गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया था। मुख्य सचिव अनुराग जैन के निर्देश पर सभी विभागों ने डीपीसी की बैठकें बुलाने की तैयारियां कर ली थीं। इस बीच पदोन्नति के नए नियमों के विरोध में कुछ कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंच गए।
सरकार की लापरवाही से गई पुलिसकर्मियों की जान
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि उज्जैन में तीन जांबाज पुलिसकर्मियों की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि सरकार की घोर लापरवाही और नाकामी का सबूत है। सरकारी गाड़ी स्टार्ट न होने और पुल पर बैरिकेडिंग व रोशनी न होने की वजह से तीन पुलिसकर्मी ड्यूटी करते हुए शहीद हो गए। आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है? मुख्यमंत्री खुद गृह मंत्री भी हैं, ऐसे में पुलिस की सुरक्षा, संसाधन और व्यवस्था की जिम्मेदारी सीधे-सीधे उन्हीं पर है। उन्होंने कहा कि कभी पुलिस पर हमले, कभी थानों से पुलिसकर्मी की गाडिय़ों की चोरी, यह सब सरकार की नाकामी और गैर-जिम्मेदारी का जीता-जागता सबूत है। पटवारी ने कहा कि उज्जैन हादसे की न्यायिक जांच कराई जाए, दोषी अधिकारियों और जिम्मेदार विभागों पर तत्काल कार्रवाई हो।
मानवाधिकार उल्लंघन के रोजाना 29 मामले, 4669 शिकायतें लंबित
सागर जिले के ग्राम बारधा में अवैध क्रेशर से करंट लगने के मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पिछले दिनों सागर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को कड़ी फटकार लगाई। आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा, जिसमें कहा गया है कि इस घटना में करंट लगने से हाथ कटवाने को मजबूर हुए बालक मानस शुक्ला के परिजनों को 10 लाख रुपए की सहायता क्यों न दी जाए? आयोग ने सागर कलेक्टर संदीप जीआर को इस मामले में जिम्मेदार मानते हुए उनके विरुद्ध डीओपीटी में शिकायत कर कार्रवाई के लिए पत्र लिखने को कहा है। मप्र के संदर्भ में बात करें तो यहां 2024-25 में मानव अधिकार उल्लंघन के रोजाना करीब 29 मामले सामने आए हैं। पिछले पांच वर्षों में राज्य में मानव अधिकार उल्लंघन की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2024-25 में मानव अधिकार उल्लंघन के कुल 10 हजार 373 मामले सामने आए। राज्य सरकार ने हाल में मप्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मानव अधिकार उल्लंघन की शिकायतों और उनके निराकरण की वार्षिक घटनाओं का ब्यौरा प्रस्तुत किया।