जिलों के फेर में अटकी प्रदेश कार्यकारिणी

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  • भाजपा में संगठन विस्तार…फूंक-फूंक बढ़ाया जा रहा कदम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में कांग्रेस जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद उठे बगावती लहर को देखते हुए भाजपा सतर्क हो गई है। इसलिए पार्टी संगठन विस्तार के लिए फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही है। इसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि आलाकमान से मिली हरी झंडी के बाद 26 दिनों में अभी तक 10 जिलों में की कार्यकारिणी घोषित हो पाई है। जिलों की कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाने के कारण प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी अटका हुआ है। जानकारी के अनुसार, सभी जिलों की कार्यकारिणी के गठन के बाद ही भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन होगा। इस कारण फिलहाल प्रदेश भाजपा फिलहाल संगठन विस्तार में उलझी हुई है। सात महीने बाद जिलों की कार्यकारिणी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू तो हो गई है, लेकिन इसकी रफ्तार ज्यादा धीमी है। पिछले 20 से 25 दिन में 62 में से सिर्फ 10 जिलों की कार्यकारिणी ही घोषित हो पाई है। भाजपा को अभी 50 जिलों की कार्यकारिणी घोषित करना है। प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती संगठन विस्तार है। इसमें जिला कार्यकारिणी और प्रदेश कार्यकारिणी की जमावट अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए करने की जिम्मेदारी भी है।
ऑब्जर्वर ने 16 अगस्त तक सौंपी दी थी रिपोर्ट
प्रदेश अध्यक्ष ने 10 से 15 अगस्त के बीच प्रदेश के सभी जिलों में दो-दो ऑब्जर्वर जिला कार्यकारिणी के गठन के पहले भेजे थे। ऑब्जर्वर ने 13 से 16 अगस्त के बीच अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सौंप दी थी। इसके बाद भी जिला कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया सितंबर में शुरू हो पाई है। अभी स्थिति यह है कि एक-एक जिलों की कार्यकारिणी घोषित की जा रही है। जबकि सभी जिलों से कार्यकारिणी के लिए उपयुक्त नामों की लिस्ट 13 से 16 अगस्त के बीच प्रदेश कार्यालय में आ चुकी है। गौरतलब है कि भाजपा की जिला कार्यकारिणी का गठन पिछले सात महीने से अटका हुआ है। जिला अध्यक्षों की घोषणा जनवरी में हो गई थी।
कई जिलों में उलझा पेंच
भाजपा ने जिला कार्यकारिणी की नियुक्तियों का श्रीगणेश तो किया, लेकिन अभी कई जिले बाकी हैं। सूत्रों के मुताबिक इसकी अलग-अलग वजह बताई जा रही है। ग्वालियर, इंदौर व सागर जैसे जिलों में जिला कार्यकारिणी के गठन में पार्टी नेताओं के प्रभाव के चलते देरी होना बताया जा रहा है। कई और जिलों में इस तरह की स्थिति है। जिला कार्यकारिणी के अलावा जिलों के अंदर भी भाजपा में कई स्तर पर नियुक्तियां होनी है, जिसका खाका तैयार किया जा रहा है। उधर, भाजपा में प्रादेशिक स्तर पर की जाने वाली नियुक्तियों को लेकर एक दौर का मंथन पूरा हो चुका है, लेकिन यह अंतिम नहीं है। अभी अलग-अलग नामों पर विभिन्न स्तर पर मंथन होना है। कुछ नामों पर शीर्ष नेतृत्व से भी राय ली जा सकती है। उसके बाद इन नामों को हरी झंडी दी जाएगी। उसके पहले संभागीय स्तर पर नियुक्तियां शुरू होनी है। असंतुष्ट नेताओं को साधने पर भी फोकस है।
एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूला का ध्यान
भाजपा के लिए इस बार प्रदेश कार्यकारिणी का गठन करना भी आसान नहीं होगा। प्रदेश कार्यकारिणी से सांसद, विधायकों की जिम्मेदारियां कम की जाएंगी। संगठनात्मक नियुक्तियों में एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूला का भी ध्यान रखा जाना है। इसके अलावा सबसे अहम है अगले विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारियां। अगले चुनाव को देखते हुए भाजपा संगठन का विस्तार कर रही है। ऐसे में स्थानीय नेता और जमीनी कार्यकर्ताओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।  

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