भाजपा में नकेल, कांग्रेस में अनुशासन भंग का खेल

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  • नेताओं की अनुशासनहीनता पर सख्ती का प्रभाव

    गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। राजनीति में अनुशासन और सुचिता का बड़ा महत्व होता है। लेकिन देखा जा रहा है कि मप्र में पिछले कुछ सालों से भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की अनुशासनहीनता बढ़ती जा रही है। नेताओं की बढ़ती अनुशासनहीनता पर नकेल कसने के लिए भाजपा और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने चेतावनी दी है। इसका भाजपा के नेताओं का बड़बोलापन थम साग या है, लेकिन कांग्रेस में अनुशासन भंग का खेल जारी है। कांग्रेस में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद से अनुशासनहीनता सडक़ पर नजर आने लगी है।
    गौरतलब है कि गतदिनों भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रदेश संगठन को राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने अनुशासन का पाठ पढ़ाया। भाजपा में अमित शाह तो कांग्रेस में राहुल गांधी ने इसे पार्टी हित में सर्वोपरि बताया। भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष बनते ही हेमंत खंडेलवाल ने इस पर प्रभावी तरीके से काम किया। नेताओं के बीच विवाद, अनर्गल बयानबाजी, नेताओं के स्वजन की अनुशासनहीनता और अधिकारियों से विवाद के मामलों में नेताओं को बुलाकर प्रदेश कार्यालय में सख्त चेतावनी दी गई। उन्हें चेतावनी भी दी गई कि अब इस तरह की स्थिति दोबारा न बने। बता दें कि लगभग दो माह में ऐसे चार मामले सामने आ चुके हैं। कांग्रेस की बात करें तो तीन जून को भोपाल आए राहुल गांधी ने अनुशासन का पाठ पढ़ाया। सख्त कदम उठाने की बात कही, पर .. लक्ष्मण सिंह के निष्कासन का मामला छोड़ दें, तो इसका असर कहीं और नहीं दिख रहा है। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद आधा दर्जन से अधिक जिलों में विरोध के बाद भी व्यक्तिगत रूप से बुलाकर समझाइश नहीं दी गई। मीनाक्षी नटराजन द्वारा टिप्पणी का मामला हो या फिर कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे पर डीएफओ से रुपये मांगने का आरोप, सभी में पार्टी में चुप्पी है।
    भाजपा के इन नेताओं को मिल चुकी है हिदायत
    भाजपा में नेताओं के बीच विवाद, अनर्गल बयानबाजी, नेताओं के स्वजन की अनुशासनहीनता और अधिकारियों से विवाद के मामलों में हिदायत मिल चुकी है। 21 जुलाई 2025 को महाकाल मंदिर उज्जैन में इंदौर से भाजपा विधायक राकेश (गोलू) शुक्ला और उनके पुत्र रुद्राक्ष का गर्भगृह में बिना अनुमति प्रवेश का मामला सामने आया। प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल तथा संगठन महामंत्री हितानंद ने विधायक को प्रदेश कार्यालय में बुलाकर चेताया।  25 जुलाई को रीवा में सेमरिया से पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी ने महिला सीएसपी को असंवेदनशील कहा। प्रदेश संगठन से कड़ी चेतावनी मिली तो तीन दिन बाद माफी मांगी। दतिया जिले के सेवढ़ा से विधायक प्रदीप अग्रवाल के बेटे का वीडियो बहुप्रसारित हुआ, जिसमें वह विधायक लिखी गाड़ी में सायरन बजाते हुए सभा में पहुंचा। 30 जुलाई को हेमंत खंडेलवाल और हितानंद ने बुलाकर सख्त लहजे में समझाया। 27 अगस्त भिंड में भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के साथ अभद्रता की। हाथ उठाने की कोशिश की, जिस पर कुशवाह को प्रदेश कार्यालय में सख्त लहजे में खंडेलवाल और हितानंद ने समझाया। प्रदेश मंत्री भाजपा रजनीश अग्रवाल का कहना है कि इतिहास गवाह है कि अनुशासनहीनता के मामले में भाजपा ने बड़े से बड़े नेताओं को भी माफ नहीं किया। अनुशासन हमारी कार्यपद्धति की अहम विशेषता है। इससे समझौता नहीं कर सकते। कहीं अनुशासन भंग होता है तो समाज के ध्यान में भी आता है, इसलिए इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं कर सकते। जिस स्तर पर अनुशासन टूटने का प्रयास होता है, उसी स्तर पर कार्रवाई होती है। कांग्रेस का स्वभाव ही अनुशासनहीनता है और ऊपर तक है।
    कांग्रेस में कोई सख्ती नहीं दिख रही
    संगठन सृजन अभियान के अंतर्गत जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का भोपाल, इंदौर, उज्जैन, बुरहानपुर, रायसेन, देवास, सतना सहित कई जिलों में विरोध हुआ दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कार्यालय के बाहर भी इंदौर के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। इसके बाद भी न व्यक्तिगत रूप में बुलाकर समझाइश दी गई न ही कोई नोटिस दिया गया। एआईसीसी के डेलीगेट्स के चयन में मंदसौर की पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर नीमच से प्रतिनिधि बनाए गए गौरव रघुवंशी की जगह अन्य किसी को अवसर देने की बात कही। बालाघाट से कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे पर डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने पैसे मांगने के आरोप लगाए, पर प्रदेश संगठन की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं लिया गया। 14 जुलाई को कांग्रेस विधायक अभिजीत शाह का पुलिस अधिकारी के साथ विवाद हुआ, पर पार्टी की तरफ से पूछपरख नहीं की गई। मप्र कांग्रेस के संगठन प्रभारी संजय कामले का कहना है कि मैं सहमत हूं इस बात से कि अनुशासन के मामले में पार्टी गाइडलाइन का जिस तरह से पालन होना चाहिए, नहीं हो रहा है। अब हमने नए सिरे से शुरुआत की है। जिलाध्यक्षों के चयन में विरोध करने वालों के लिए पहली बार चेतावनी पत्र दिया कि इंटरनेट मीडिया से विरोधी पोस्ट हटाएं। उसका असर भी हुआ। यह सख्त कदम था। कई जगह कार्यकर्ता अनुशासनहीनता करते हैं, जिलों में उन पर संज्ञान लिया जाना चाहिए, प्रदेश कार्यालय से नहीं कर सकते।

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