3 साल बाद भी नियमित सेवकों की सुविधाएं लागू नहीं

-कृषि विभाग के अफसरों पर परिवीक्षा अवधि का नियम पर पड़ रहा भारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में होने वाली नई भर्ती पर प्रोबेशन पीरियड (परिवीक्षा अवधि) को पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार ने एक साल बढ़ा दिया। पहले यह दो साल होती थी, अब यह तीन साल हो रही है। लेकिन कृषि विभाग में परिवीक्षा अवधि का यह नियम अधिकारियों पर भारी पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, तीन साल की अवधि उपरांत इनको नियमित सेवकों की सभी सुविधाएं लागू की जानी हैं। कृषि विभाग में दो हजार अधिकारी कर्मचारी ऐसे हैं, जिनका प्रोवेशनर पीरियड समाप्त हो गया, लेकिन अभी तक इनके प्रस्ताव डिवीजनल डिपार्टमेंट प्रमोशन कमेटी की बैठक में नहीं पहुंच पाया है।
गौरतलब है कि कृषि विभाग में मैदानी अमले की कमी को पूरा करने के लिए साल 2018 में दो हजार कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सहित अन्य लिपिकीय पदों को भरने के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। यह एग्जाम मप्र कर्मचारी चयन मंडल कराया गया था। यहीं से परीक्षा के माध्यम से इन रिक्त पदों पर पूर्ति हुई थी। परीक्षा के बाद कोरोना की पहली लहर आई, तब परिणाम आने में विलंब हुआ। एक साल बाद रिजल्ट आया। तब साल 2021 के अंत में इनका परीक्षा परिणाम घोषित हुआ और इनकी नियुक्ति की गई थी। चूंकि शासन का नियम है कि नव नियुक्त अधीकारी कर्मचारियों को तीन साल की परिवीक्षा (प्रोवेशन पीरियड) निकलना होगा। कृषि विभाग में यह समय निकल चुका है, लेकिन अभी तक इनकी परिवीक्षा अवधि को समाप्त नहीं किया जा सका है। इस कारण तीन साल का प्रोवेशनर पीरियड पूर्ण होने के बाद परिवीक्षा समाप्त नहीं होने से इन अधिकारी कर्मचारियों की सभी सुविधाएं थम गई हैं। परिवीक्षा टर्म खत्म नहीं होने के कारण इनकी वेतन वृद्धि पर विराम लग गया है। प्रदेश में कर्मचारियों को केन्द्रीय तिथियों में महंगाई भत्ता मिल रहा है। लेकिन यहां पर तीन साल की सेवा नूरी कर चुके अधिकारी कर्मचारी डीए से लेकर अवकाश नगदीकरण, उपादान, बीमा क्लेम सहित अन्य सुविधाओं वंचित है।
डीपीसी में नहीं पहुंचा प्रस्ताव
शासन के नियम अनुसार विभागों में हर तीन माह में संभागीय पदोन्नति समिति की बैठक (डिवीजनल डीपीसी) होना अनिवार्य है। कृषि विभाग में भी प्रत्येक तीन माह में यह बैठकें संभागीय स्तरों पर कराई जा रही है। इन बैठकों में ही इनकी सीआर पहुंचना थी। अगर गोपनीय चरित्रावली सही है तो डीपीसी के अनुमोदन उपरांत इनकी परिवीक्षा समाप्त मानी जानी थी। विभाग से अभी तक इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं होने के कारण डीपीसी की बैठकों में इस प्रपोजल की प्रतीक्षा की जा रही है। जबकि भोपाल से लेकर रीवा, जबलपुर, सागर, इंदौर, नर्मदापुरम जैसे संभागों में नव नियुक्त अधिकारी कर्मचारी अपनी बात विभाग तक पहुंचा चुके हैं। परिवीक्षा सहित अन्य समस्याओं को लेकर इन अधिकारी-कर्मचारियों ने विभाग मंत्री एंदल सिंह कंसाना से मुलाकात की है। मंत्री को बताया गया है कि तीन साल के प्रोवेशनर पीरियड को खत्म करने पर विभाग ने कोई विचार नहीं किया है। पड़ोसी छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में कृषि विस्तार अधिकारियों को 2800 ग्रेड-पे मिल रहा है, लेकिन मप्र में 2400 दिया जा रहा है। वेतन की अन्य विसंगतियां भी मंत्री को बताई गई हैं। इस संबंध में मंत्री कंसाना से दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन क्षेत्रीय प्रवास पर होने के कारण उनका मोबाइल कवरेज एरिया के बाहर बताता रहा।

Related Articles