- यूरिया के लिए धरना-प्रदर्शन करने और लाठी खाने को मजबूर किसान
- गौरव चौहान

मप्र में खाद की कमी आम हो गई है। हर साल किसान खाद के लिए परेशान होते हैं, लेकिन समस्या जस की तस रहती है। वर्तमान में मप्र के किसान यूरिया के लिए परेशान हो रहे हैं। सरकार का दावा है कि प्रदेश में खाद का स्टॉक भरपूर है, लेकिन वह जनता की पहुंच से दूर है। आलम यह है कि प्रदेश में यूरिया खाद की कमी को लेकर कई जिलों में किसानों का गुस्सा भले ही फूट पड़ा हो, लेकिन हकीकत यह है कि करीब 50 प्रतिशत जिलों के पास पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। समस्या असल में वितरण व्यवस्था की ढिलाई की है।
गौरतलब है कि रीवा में यूरिया खाद की कमी को लेकर बीते दिनों भले ही किसानों पर डंडे चले हो लेकिन यहां बीते साल की तुलना में करीब 1500 मीट्रिक टन से ज्यादा वितरण हुआ है, जबकि स्टॉक में भी 2 हजार टन से अधिक खाद रखा हुआ है। जबकि खाद संकट को लेकर सवाल करने वाले सांसद गणेश सिंह के सतना में 33 हजार 411 मीट्रिक टन खाद बांटा जा चुका है, जो कि बीते साल 31 हजार 487 मीट्रिक टन का ही वितरण हुआ था। इस जिले के पास अभी भी 2 हजार मीट्रिक टन से अधिक का स्टॉक है। उधर राज्य के कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना के गृह जिले मुरैना में बीते साल की तुलना में करीब 3 हजार टन कम वितरण हुआ है, यह स्थिति तब है जब स्टॉक में 2 हजार टन खाद रखा है तो वहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना में रिकार्ड वितरण होना सामने आया है। यहां 71 हजार 672 टन खाद बांटा जा चुका है जो कि बीते साल 54 हजार 282 टन का ही वितरण हुआ है। जबकि कुछ केंद्रीय व राज्य के कई कैबिनेट व राज्यमंत्री अपने-अपने गृह व प्रभार के जिलों में खाद होने के बावजूद वितरण कराने में पिछड़ गए हैं। वहीं कई जिलों के कलेक्टर जमीनी स्थिति से वाकिफ है और दबे मुंह कह रहे हैं कि किसान जितनी मांग कर रहे हैं उसके मुकाबले खाद ही नहीं है। जब खाद नहीं है तो उपलब्धता सुनिश्चित कराने का सवाल ही नहीं है। कोई भी कलेक्टर इस बात को खुलकर कहने के लिए तैयार नहीं है।
खाद की मारामारी, हो रही है कालाबाजारी
मप्र में खाद की किल्लत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। आलम यह है की खरीफ सीजन में पहले किसान डीएपी के लिए परेशान होते रहे, अब यूरिया के लिए मारामारी हो रही है। सरकार का दावा है कि प्रदेश में खाद का पर्याप्त भंडारण है। जबकि हकीकत में किसान परेशान हैं। यूरिया के लिए किसान रात तीन बजे से कतार में लग रहे और टोकन के बाद भी खाद नहीं मिल रही है। इससे परेशान किसान धरना, प्रदर्शन और चक्काजाम करने को मजबूर हो रहे हैं। प्रदेश में खरीफ 2025 के लिए 36 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद वितरण का लक्ष्य रखा गया है, इसमें यूरिया की खपत 17.40 लाख मीट्रिक टन बताई जा रही है, एसएसपी के लिए 6.50 लाख मीट्रिक टन, डीएपी के लिए 7.50 लाख मीट्रिक टन, एमओपी के लिए 5 हजार मीट्रिक टन और एनपी के के लिए 86 हजार मीट्रिक टन की डिमांड है। इतना बड़ा अंतर होने के कारण किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा है।
धरना, प्रदर्शन, आंदोलन के बाद भी खाद नहीं
मप्र में यूरिया की जबर्दस्त कमी है। इसके लिए प्रदेशभर के किसान परेशान हो रहे हैं। शिवपुरी, दमोह, मंडला, छिंदवाड़ा, रीवा, भिंड, खंडवा जैसे जिलों में खाद के लिए किसान रात 3 बजे से लाइन में लग रहे हैं तब भी मायूस होकर लौट रहे हैं। पिछले करीब एक महीने से यूरिया के लिए मारामारी मच रही है। किसानों ने इसके लिए धरना, प्रदर्शन, आंदोलन सब कुछ किया है पर यूरिया की जगह उन्हें सिर्फ आश्वासन और पुलिस की लाठियां मिल रहीं हैं। इससे प्रदेश के किसानों में खासी नाराजगी है। रीवा में किसानों का गुस्सा फूट पड़ा तो करहिया मंडी में बीते दिनों किसानों और प्रशासन के बीच जमकर तनाव पैदा हो गया। हालात इतने बेकाबू हुए कि पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। सतना सांसद गणेश सिंह ने खाद वितरण व्यवस्था को लेकर लिखे पत्र में कालाबाजारी की बात कही थी। हालाकि समस्या बताने पत्र तो लिखा, लेकिन कुछ देर बाद वे पलट गए और व्यवस्था पर संतोष भी जता दिया। पन्ना के देवेंद्रनगर में खाद की कमी और टोकन न देने के कारण किसानों और महिलाओं ने सलेहा सडक़ जाम कर दी और नारेबाजी की थी। पुलिस ने समझाइश देकर जाम खुलवाया था। भिंड में खाद को लेकर भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के बीच विवाद हो हुआ था। लाइन में लगे किसान भी आपस में भिड़ गए थे।
5.60 लाख मेट्रिक टन यूरिया मिलेगा
किल्लत के बची मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यूरिया की उपलब्धता के संबंध में अहम बयान दिया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 5.60 लाख मेट्रिक टन यूरिया प्राप्त होने की संभावना है। यह मात्रा आगामी डेढ़ माह में मिल जाएगी। सीएम ने बताया कि यूरिया का कुल भंडारण 15.60 लाख मेट्रिक टन है। इसमें से 13.92 लाख मेट्रिक टन यूरिया किसानों को वितरित की जा चुकी है और 1.68 लाख मेट्रिक टन यूरिया शेष है। प्रदेश में मक्का का क्षेत्रफल करीब 5 लाख हेक्टेयर बढ़ जाने के कारण यूरिया की मांग बढ़ी है। प्रदेश में आगामी डेढ़ माह में 5.60 लाख मेट्रिक टन यूरिया प्राप्त होने की संभावना है।