
- नई दरें लागू होने के बाद स्थिति का आंकलन करेगी सरकार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में बदलाव के कारण जहां आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा, वहीं इसका असर राज्यों के राजस्व पर पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि इसके प्रभाव से राज्यों को कुछ महीने चुनौती पूर्ण होंगे। हालांकि जानकारों का कहना है की जीएसटी दरों में कटौती से बाजार में रौनक आएगी और कई समानों की बिक्री बढ़ेगी। इससे सरकार को अधिक टैक्स मिलने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार से राज्यों को जीएसटी के रूप में मिलने वाली राशि किसी भी राज्य के बजट की रीढ़ होती है। यदि इसमें कमी आती है, तो सीधा असर राज्यों की वित्तीय स्थिति पर पड़ता है।
गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में बदलाव किया है, जो 22 सितंबर से लागू होंगे। अब जीएसटी के 4 की जगह केवल 2 स्लैब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत होंगे। जीएसटी की नई दरें लागू होने के बाद इसका असर मप्र समेत अन्य राज्यों के राजस्व पर पड़ेगा। वित्त विशेषज्ञों के अनुसार जीएसटी की दरों में कमी से शुरुआती महीनों में केंद्र सरकार के जीएसटी कलेक्शन में गिरावट आने से राज्यों के राजस्व में कमी आने का अनुमान है। हालांकि चीजों की खपत बढने से लॉन्ग टर्म में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। हालांकि वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहली नजर में देखने पर समझ में आता है कि जीएसटी की नई दरें लागू होने से जीएसटी कलेक्शन में कमी आना स्वाभाविक है, लेकिन यह भी तय है कि नई दरें लागू होने से चीजें सस्ती होंगी, तो उनकी खपत भी बढ़ेगी। मप्र में पिछले वर्षों में जीएसटी संग्रह में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में जीएसटी संग्रह 15,544 करोड़ हुआ था। वहीं 2018-19 में 25,683, 2019-20 में 28,354, 2020-21 में 27,005, 2021-22 में 31,255, 2022-23 में 36,232, 2023-24 में 42,174 और 2024-25 में 29,438 करोड़ रूपए जीएसटी संग्रह हुआ है।
राज्य की योजनाएं होंगी प्रभावित
मप्र के संदर्भ में बात करें, तो राज्य सरकार की आय का बड़ा हिस्सा केंद्र से मिलने वाली जीएसटी की हिस्सेदारी पर निर्भर करता है। यदि केंद्र सरकार से जीएसटी की राशि में कमी आती है, तो इससे प्रदेश का बजट और विकास योजनाएं प्रभावित होंगी। जीएसटी से मिलने वाली राशि कम पर सरकार को न केवल विकास कार्यों में कटौती करनी पड़ सकती है, बल्कि कल्याणकारी योजनाओं और प्रशासनिक खर्चों पर भी दबाव बढ़ेगा। राशि कम होने की स्थिति में राज्य सरकार को अतिरिक्त कर्ज लेना पड़ सकता है। इसका असर भविष्य के बजट पर भी देखने को मिलेगा। जानकारों का कहना है कि जीएसटी कलेक्शन पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करेगा की जीएसटी की दरें लागू होने के बाद चीजों की खपत कितनी बढ़ती है। अधिकारियों का कहना है कि नई दरें लागू होने के बाद मप्र को केंद्र से मिलने वाली हिस्सेदारी में कमी आएगी या वृद्धि होगी, इस बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है। अक्टूबर के बाद इस बारे में कुछ कहा जा सकता है। चूंकि जीएसटी की राशि प्रदेश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए वित्त और वाणिज्यिककर विभाग इसका सतत आंकलन करेंगे। संचालक बजट राजीव रंजन मीना का कहना है कि चूंकि अभी जीएसटी की नई दरें लागू भी नहीं हुई हैं, इसलिए राजस्व के कम या ज्यादा होने के बारे में कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
टैक्स कम और राजस्व ज्यादा
आर्थिक विशेषज्ञ और इंडिया इकोनॉमिक एसोसिएशन के मप्र चैप्टर के अध्यक्ष देवेंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि वर्ष 2017 में लागू जीएसटी की दरें ज्यादा होने से सरकार को राजस्व कम मिला और खपत कम होने से प्रोडक्शन प्रभावित हुआ। अब सरकार ने टैक्स कम और राजस्व ज्यादा के कॉन्सेप्ट पर जीएसटी की नई दरें तय की हैं। फेस्टिव सीजन में जीएसटी की दरें कम होने से मार्केट में तेजी से बूम आएगा। चीजों की खपत बढ़ेगी, तो उत्पादन बढ़ेगा और उत्पादन बढ़ेगा, तो रोजगार बढ़ेगा। खपत बढऩे से सरकार को ज्यादा राजस्व मिलेगा। टैक्स चोरी रुकेगी। केंद्र सरकार ने जीएसटी को मिलने वाले राजस्व को लेकर विशेषज्ञों के साथ लंबा विमर्श करके ही नई दरें तय की होंगी, ताकि राजस्व में कमी न आए। फिर भी जीएसटी सुधार से शुरुआती छह महीनों में जीएसटी कलेक्शन पर असर पड़ सकता है। इस वित्त वर्ष की बची अवधि में जीएसटी संग्रह की राशि में कमी आ सकती है, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष से उसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगेंगे। लोगों के हाथ में अधिक पैसा आएगा और खपत बढऩे से राजस्व में बढ़ोतरी होगी। केंद्र सरकार मप्र सहित अन्य राज्यों के राजस्व में होने वाली कमी की क्षतिपूर्ति कर उनके नुकसान की भरपाई कर सकती है।
जीएसटी दरों में कटौती को बताया ऐतिहासिक निर्णय
जीएसटी दरों में कटौती पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भारत सरकार ने जीएसटी दरों में बदलाव कर मुक्त हृदय से देश के हर वर्ग को फायदा पहुंचाया है। जीएसटी के क्रांतिकारी बदलाव से देश की लगभग 90 प्रतिशत आबादी यानी 125 करोड़ से अधिक देशवासी लाभान्वित होंगे। प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और लघु एवं कुटीर उद्योग को भी व्यवसाय में इसका लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और तेजी से तीसरे स्थान की ओर बढ़ रहा है।