
- भोपाल-इंदौर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे को मिली केंद्र सरकार की सैद्धांतिक स्वीकृति
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल-इंदौर के बीच नया ग्रीनफील्ड कॉरिडोर बनाया जाएगा। 200 किमी लंबे कॉरिडोर की लागत करीब 6 हजार करोड़ रुपए होगी। यह प्रस्तावित साउथ वेस्टर्न भोपाल बायपास के किसी एक जंक्शन या रातीबड़ के पास से निकाला जाएगा और सीधे इंदौर पहुंचेगा। इससे दोनों शहरों के बीच करीब 40 किमी की दूरी कम हो जाएगी। भोपाल-इंदौर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए केंद्र सरकार की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। एक्सप्रेस वे प्रारंभिक तौर पर फोर लेन होगा, लेकिन इसकी डिजाइन 8 लेन के हिसाब से होगी। इसमें प्रवेश के लिए एक्सेस कंट्रोल तीन जगह से होगा। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने इस एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक स्टडी रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसमें 30,000 पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) का अनुमान है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे को लेकर सीएस अनुराग जैन के समक्ष प्रजेंटेशन दिया जा चुका है। सरकार ने अपनी सहमति दे दी है। एक्सप्रेस-वे के लिए तीन रूट प्रस्तावित किए गए हैं। पहला रूट नीलबढ़ से चापड़ा रोड, दूसरा मंडीदीप से कसरावद और तीसरा मंडीदीप के आगे से लेकर इंदौर वेस्टर्न बायपास से जुड़ेगा। इस एक्सप्रेस-वे से महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के ट्रैफिक को सीधे इंदौर से जोडऩे का काम होगा। जबलपुर के ट्रैफिक को भोपाल के अंदर प्रवेश लेने के बजाय बाहर से डायवर्ट करने का प्रयास होगा।
लागत 6 हजार करोड़ अनुमानित
यह एक्सप्रेस-वे करीब 170 से लेकर 200 किलोमीटर का होगा। इससे भोपाल-इंदौर के बीच 35 से 40 किलोमीटर दूरी कम होगी। एक घंटा कम लगेगा, अभी साढ़े तीन से चार घंटे लगते हैं। यह बिल्कुल सीधा होगा, इसमें टर्न की गुंजाइश नहीं होगी। भोपाल, सीहोर, देवास में इसमें वाहनों को प्रवेश दिया जाएगा। इसकी लागत 6 हजार करोड़ अनुमानित है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनाने से लेकर भूमि अधिग्रहण और मुआवजा देने का काम केंद्र सरकार करेगी। माना जा रहा है कि इसका निर्माण सिंहस्थ के पहले तक पूरा हो जाएगा, जिससे कि वाहनों का आवागमन ज्यादा होने पर निर्माण की लागत वसूली जा सके। इससे उप्र, मप्र का कुछ हिस्सा, छत्तीसगढ़ और दक्षिणी राज्य कुछ हिस्से का ट्रैफिक को कंट्रोल किया जाएगा। रीजनल ऑफिसर एनएचएआई भोपाल एसके सिंह का कहना है कि भोपाल-इंदौर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का सर्वे पूरा हो गया है। अलग-अलग जगह से तीन रूट प्रस्तावित हैं। सभी प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजे जाएंगे। जिन प्रस्तावों पर सरकार की सहमति होगी उस पर काम होगा।
औद्योगिक विकास की बढ़ेगी रफ्तार
राजधानी और आर्थिक राजधानी के बीच इस नए कॉरिडोर से न सिर्फ ट्रांसपोर्ट सुविधा और कनेक्टविटी बेहतर होगी, बल्कि दोनों शहरों के बीच औद्योगिक विकास में गति आएगी। इसके किनारे मल्टी लॉजिस्टिक वेयरहाउस और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी विकसित होगा। फिलहाल दोनों शहरों के बीच सिक्सलेन में सेफ्टी पॉइंट के हिसाब से कई जगह कमजोर है। प्रस्तावित कॉरिडोर में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे।