इंदौर-भोपाल के आयुक्तों के पास होंगे असीमित अधिकार

  • महानगर क्षेत्र एवं महानगर नियोजन का आयुक्त बनने लॉबिंग शुरू
  • गौरव चौहान
इंदौर-भोपाल

मप्र के 2 शहर इंदौर और भोपाल को मेट्रोपॉलिटन सिटी के रूप में विकसित करने की तैयारी चल रही है। इसका विकास कैसे होगा? इसको लेकर मप्र महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास बिल 2025 विधानसभा से पारित हो गया है। विधेयक में राज्य सरकार ने मेट्रोपॉलिटन एरिया बनाने के लिए महानगर नियोजन समिति, मेट्रोपॉलिटन एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, महानगर विकास एवं विशेष योजना और एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। वहीं विधानसभा में मप्र मेट्रोपॉलिटन रीजन बिल पास होने के बाद अब सीनियर आईएएस अफसरों ने भोपाल-इंदौर रीजन के आयुक्तों के पद के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है। ये नियुक्ति नवंबर तक की जा सकती है। इसके बाद ही दोनों रीजन के क्षेत्रों का निर्धारण होगा।
राज्य सरकार ने तय किया है कि भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉटिलन सिटी के रूप में विकसित करने के लिए दोनों शहरों का डेवलपमेंट प्लान कम से कम 15 साल के लिए तैयार होगा। इसमें यह भी तय होगा कि दोनों शहरों में आर्थिक विकास की नीति किस तरह की होगी। इसमें उपलब्ध संसाधनों के उचित उपयोग की रूपरेखा तय की जाएगी। इसके अलावा कृषि भूमि, जल निकास, यातायात, औद्योगिक क्षेत्र, पर्यटन, जल आपूर्ति, वन संरक्षण जैसे तमाम क्षेत्रों के लिए मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट एंड इंवेस्टमेंट प्लान में नीति तय की जाएगी। इसके लिए मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी प्लान का ड्राफ्ट तैयार करने में प्लानिंग कमेटी की मदद करेगा। इस अथॉरिटी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। इसके अलावा नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, राजस्व विभाग के मंत्री इसमें उपाध्यक्ष होंगे। मुख्य सचिव इसके सदस्य होंगे। अथॉरिटी के कामों के क्रियान्वयन के लिए कार्यकारी समिति बनेगी। इसके अध्यक्ष महानगर के आयुक्त होंगे।
आधा दर्जन से अधिक आईएएस सक्रिय
गौरतलब है कि महानगर क्षेत्र एवं महानगर नियोजन (मेट्रोपॉलिटन रीजन एंड मेट्रोपॉलिटन नियोजन सोसायटी), के अध्यक्ष सीएम होंगे और प्रशासनिक क्षेत्र से आयुक्त बनाए जाएंगे। आयुक्त मप्र शासन के सचिव या उससे ऊपर के अधिकारी को बनाया जाएगा। आयुक्त बनने की दौड़ में संजीव सिंह, दीपक सिंह, भरत यादव, विशेष गढ़पाले, मनोज खत्री, अविनाश लवानिया और संकेत भोंडवे बताए जा रहे हैं। मेट्रोपॉलिटन रीजन एवं नियोजन में विकास, परिवहन, योजना सहित तमाम तरह की समितियां होंगी। इन समितियों में भोपाल, इंदौर रीजन के वरिष्ठ सांसदों, विधायकों, जिला पंचायत सदस्यों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को इसमें एडजस्ट किया जा सकेगा। हालांकि इन समितियों में सदस्य के लिए मानदेय का प्रावधान नहीं होगा, लेकिन इन्हें तमाम तरह के अधिकार और सुविधाएं दी जाएगी। सीएम की अध्यक्षता वाली समिति में मुद्दों को उठाया जा सकेगा। जनप्रतिनिधियों के क्षेत्र में जो टॉउनशिप विकसित की जाएगी, उनकी अनुमतियां देने में भी इनकी राय ली जाएगी।
मलाईदार पोस्टिंग के लिए लॉबी शुरू
 इंदौर और भोपाल मेट्रोपॉलिटन सिटी के आयुक्त के पास असीमित अधिकार हैं। दरअसल, मेट्रोपॉलिटन रीजन में 5 से 6 जिले आएंगे। इसके अलावा इनमें दो नगर निगम और दो दर्जन से अधिक निकाय आएंगे। रीजन का एरिया करीब दस हजार वर्ग किलोमीटर का होगा। इस एरिया में आयुक्त कहीं भी योजनाएं लॉन्च कर सकेंगे, भूमि उपयोग में परिवर्तन, कॉलोनी की अनुमति देने सहित तमाम तरह के अधिकार होंगे। इसके अलावा यह जिला और शहर कोई भी योजना आयुक्त के अनुमति के बिना लॉन्च नहीं कर सकेंगे। इन मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले गांव और शहरों में बड़ी योजनाएं आयुक्त ही लॉन्च करेंगे। भोपाल और इंदौर के कलेक्टर और कमिश्नरों का रुतबा कम हो जाएगा। यह अधिकारी जिले और संभाग के सिर्फ राजस्व के काम करेंगे। विकास और योजनाओं सहित तमाम तरह के कार्य करने के अधिकार मेट्रोपॉलिटन रीजन के आयुक्त के पास होंगे। इसी तरह से नगर निगम आयुक्तों के काम का दायरा सीमित हो जाएगा, बड़े प्रोजेक्ट आयुक्त मेट्रोपॉलिटन रीजन के पास ही देने का अधिकार एक्ट में उल्लेख किया गया है, क्योंकि आयुक्त संबंधित रीजन में गठित विकास, परिवहन, वित्तीय, योजना सहित तमाम समितियों के अध्यक्ष होंगे।
अथॉरिटी को मिलेंगे अलग से अधिकार
मेट्रोपॉलिटन सिटी के लिए राज्य सरकार की तरफ से 200 करोड़ रुपए का डेवलपमेंट फंड उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी अपने स्तर पर 100 करोड़ का फंड सृजित करेगा। इसके लिए अथॉरिटी को अलग से टैक्स लगाने और भू अधिग्रहण जैसे कई अधिकार दिए जाएंगे। महानगर आयुक्त के अधिकारों में भी बढ़ोतरी होगी। उन्हें जांच, सर्वे, आदि के लिए अतिरिक्त अधिकार दिए जाएंगे। मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी के गठन के बाद विकास अनुमति देने के अधिकार स्थानीय निकाय के पास ही होगा। शासकीय विभागों को भी निर्माण के पूर्व अथॉरिटी को सूचना देनी होगी। आपत्ति होने पर अथॉरिटी इसे वापस भी कर सकेगी। विकास अनुज्ञा महानगर के आयुक्त के नाम से जारी होगी। विकास अनुज्ञा न मिलने पर अपील का प्रावधान होगा। स्थानीय स्तर पर भवन अनुज्ञा स्थानीय निकाय जारी करेगा।

Related Articles