
- बड़े शहरों के विकास को मिलेगा नया आयाम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मप्र के बड़े शहरों के विकास की जो परिकल्पना की है, वह अब साकार होने वाली है। इस संदर्भ में विधानसभा में मप्र महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक 2025 पास हो गया है। अब मप्र को 5 मेट्रोपॉलिटन सिटी मिलेगी।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मई में इंदौर में हुई कैबिनेट बैठक में डॉ. मोहन यादव की सरकार ने मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र नियोजन और विकास अधिनियम 2025 को मंजूरी दी थी। उसे इस मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया गया और चर्चा के बाद बिल को पारित कर दिया गया। अब इसके साथ ही बड़े शहरों के विकास को नया आयाम मिलेगा। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को मेट्रोपॉलिटन रीजन का दर्जा देने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। विधानसभा में मध्य प्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक 2025 पेश किया गया। विधेयक के लागू होते ही भोपाल और इंदौर जैसे प्रमुख शहरों को नए शहरी ढांचे के तहत विकसित किया जाएगा। इन शहरों के लिए मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता स्वयं मुख्यमंत्री करेंगे। भोपाल के लिए सीमांकन का सर्वे कार्य जारी है, जबकि इंदौर में यह प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।
जानकारी के अनुसार, बड़े शहरों को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने के लिए विधेयक में विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। विधेयक के अनुसार मुख्यमंत्री मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी के अध्यक्ष होंगे। एमआरडीए में 3 उपाध्यक्ष मंत्री होंगे, जिनमें नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और राजस्व मंत्री शामिल रहेंगे। मुख्य सचिव के साथ 7 विभागों के एसीएस या प्रमुख सचिव उस बॉडी का हिस्सा होंगे। इसके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य अथॉरिटी में होंगे। यह अथॉरिटी मेट्रोपोलिटन एरिया का प्लान तैयार करने के साथ इसके क्रियान्वयन में अहम भूमिका अदा करेगी। ऐसे ही मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी में एक अध्यक्ष और तीन उपाध्यक्ष होंगे। इसके अलावा कमेटी में एक सदस्य-सचिव सहित उतने सदस्य होंगे, जितने राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किए जाएं। कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य भी शामिल होंगे। यह कमेटी मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले विभिन्न प्राधिकरण, नगरीय निकायों व जिला पंचायतों के मध्य अधोसंरचना विकास एवं नई विकास योजनाओं में समन्वय का काम करेगी। कमेटी अथॉरिटी लैंड बैंक बनाकर उसका प्रबंधन करेगी, ताकि टाउनशिप और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को जमीन उपलब्ध कराई जा सके। मेट्रो रीजन सीमा के बाहर की योजनाएं एरिया डेवलपमेंट प्लान के तहत लागू होंगी। विधानसभा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि मेट्रोपॉलिटन सिटी में हमारी प्रायोरिटी इंडस्ट्रियल बेल्ट तय करने की है। सरकार ने तय किया है कि रोजगारपरक उद्योग लगाएंगे। महिला कर्मचारियों को 6000 और पुरुष कर्मचारी को 5000 रुपए इंसेंटिव दिया जाएगा। जहां इंडस्ट्री लगती हैं, वहीं हॉस्टल बन जाएंगे तो महिलाएं रात में भी काम कर सकेंगी। इसके लिए सरकार श्रम विभाग के माध्यम से कानून में बदलाव कर रही है। है। उज्जैन में साइंस सिटी भी बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि देश के मध्य में होने के कारण मध्यप्रदेश का भौगोलिक एरिया हमारे लिए बड़ा महत्व रखता है। सडक़, बिजली और हमारे प्रदेश के लोगों की मानसिकता राज्य की प्रगति के लिए सर्वाधिक अनुकूल है। उन्होंने कहा कि इंदौर का विकास जेट की गति से चल रहा है। इंदौर के साथ देवास, धार, उज्जैन भी डेवलप होंगे। भोपाल में भी विकास हो रहा है। हमारी प्रायोरिटी इंडस्ट्रियल बेल्ट तय करने की है। बाकी आवासीय और कमर्शियल जोन तो रहेंगे ही। सरकार ने तय किया है कि रोजगार परक उद्योग लगाएंगे।
विकास को मिलेगा नया ढांचा
मप्र मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट बिल, 2025 के तहत भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर व उज्जैन में मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमआरडीए) बनाई जाएगी। पहले चरण में भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने की शुरुआत होगी। जल्द ही दोनों शहरों के लिए एमआरडीए और मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी (एमपीसी) का गठन किया जाएगा। विधानसभा में मेट्रोपोलिटन बिल पर चर्चा के बाद उसे पारित किया जाएगा। भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया में भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा और राजगढ़ जिले के ब्यावरा को शामिल किया गया है। इन जिलों का सर्वे कर रीजनल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट प्लान बनेगा। भोपाल रीजन का कुल क्षेत्रफल करीब 9600 वर्ग किमी होगा। अनुमान है कि भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन की कुल आबादी 35 लाख होगी, लेकिन 60 लाख की संभावित आबादी के हिसाब से रीजन विकसित होगा। भोपाल विकास प्राधिकरण को मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलप करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। वहीं इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया में इंदौर, देवास, उज्जैन, धार व शाजापुर जिले को शामिल किया गया है। रीजन का कुल क्षेत्रफल करीब 9989 हजार वर्ग किमी का है। इस एरिया की आबादी 55 लाख के करीब होगी, मगर 75 लाख की आबादी को ध्यान में रखकर रीजन विकसित किया जाएगा। इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
प्राधिकरण का कार्यक्षेत्र मेट्रोपॉलिटन एरिया होगा, जहां वह भूमि उपयोग, अधोसंरचना, परिवहन, ऊर्जा, जल, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विषयों पर योजनाएं तैयार करेगा। इसके दायरे में नगरीय निकायों की विकास योजनाओं की निगरानी, टाउनशिप योजना का निर्माण, भूमि अधिग्रहण एवं आवंटन, तथा निवेश की संभावनाएं तलाशना शामिल रहेगा। प्राधिकरण द्वारा मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का गठन किया जाएगा, जो संबंधित शहरों में परिवहन नेटवर्क के विकास, संचालन, टिकटिंग प्रणाली और परिवहन संबंधी नीतिगत सलाह के लिए कार्य करेगी। प्रत्येक महानगर क्षेत्र में एक योजना समिति बनाई जाएगी, जिसमें क्षेत्रीय सांसद, महापौर और अन्य जनप्रतिनिधि सदस्य होंगे। यह समिति निवेश योजनाओं को अंतिम रूप देगी और दो या अधिक महानगरों को एकीकृत रूप से विकसित करने की रूपरेखा तैयार करेगी। प्राधिकरण को बीडीए (भोपाल विकास प्राधिकरण) या आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण) की तर्ज पर योजनाएं लागू करने और शुल्क वसूली का अधिकार प्राप्त होगा। इसके तहत दावा-आपत्ति और अधिसूचना की प्रक्रिया भी अनिवार्य रूप से अपनाई जाएगी। मेट्रोपॉलिटन सिटी के महानगर विकास आयुक्त, उसके अधीनस्थ अधिकारी और महानगर विकास समिति के किसी सदस्य के खिलाफ कोई भी वाद या अभियोजन दायर नहीं किया जा सकेगा। ऐसा सिर्फ उसी स्थिति में हो सकेगा, जब समिति द्वारा तय मापदंडों और व्यापक जनहित की अनदेखी की गई हो। नगरीय विकास और आवास विभाग के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विधानसभा में मेट्रोपॉलिटन सिटी डेवलपमेंट को लेकर विधेयक पेश किया है। विधेयक में प्रावधान किया है कि मेट्रोपॉलिटन सिटी के एरिया में आवासीय रूप में उपयोग में लाए जाने वाले किसी भवन या उसके बगीचे के हिस्से में महानगर आयुक्त की टीम केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य ही प्रवेश कर सकेगी। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को कम से कम 24 घंटे पूर्व प्रवेश करने की लिखित सूचना देना होगा। इस विधेयक में मेट्रोपॉलिटन सिटी के कार्यक्षेत्र, अथारिटी को लेकर कहा है कि राज्य सरकार महानगर क्षेत्र के लिए एक इंटीग्रेटेड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का गठन करेगी। इस अथॉरिटी द्वारा ट्रांसपोर्ट और परिवहन उपायों का एक्जीक्यूशन और कोआर्डिनेशन का कार्य किया जाएगा। अथॉरिटी में एक ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट भी शामिल होगा।
ऐसे काम करेगा महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण
विधेयक में कहा है कि महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर किसी नगर विकास योजना के विकास कार्य को कर सकेगा। किसी अन्य निकाय को ऐसी नगर विकास योजना के लिए अधिकृत कर सकेगा। ऐसी नगर विकास योजना महानगर विकास और निवेश योजना की इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के अनुरूप होगी। प्राधिकरण इस योजना के संबंध में नगर तथा ग्राम निवेश के संचालक की शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा। व्यवस्था लागू होने के बाद महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण से डेवलपमेंट परमिशन लिए बिना क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं किया जा सकेगा। विधेयक में कहा है कि किसी भवन के मरम्मत और परिवर्तन के कार्य के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। केंद्र, राज्य सरकार के अधीन स्थापित कोई प्राधिकरण या अधिकार रखने वाले स्थानीय प्राधिकरण द्वारा किसी राजमार्ग, सडक़ या सार्वजनिक मार्ग के सुधार या मरम्मत के लिए कोई परमिशन की जरूरत नहीं होगी। जल निकासी, सीवर, मुख्य पाइप लाइन, केबल, टेलीफोन या अन्य उपकरण के निरीक्षण, मरम्मत, नवीनीकरण के लिए जिसमें किसी सडक़ को खोदा जाना शामिल हो, परमिशन की जरूरत नहीं होगी। कृषि के लिए की जाने वाली खुदाई के लिए भी परमिशन की जरूरत नहीं होगी।महानगर आयुक्त द्वारा अगर किसी क्षेत्र के प्रस्तावित विकास पर अगर कोई आपत्ति की जाती है तो आपत्तियों का समाधान करने के लिए विकास के प्रस्तावों में बदलाव करना होगा। महानगर आयुक्त की आपत्ति के साथ प्रस्ताव राज्य शासन को भेजे जाएंगे। अगर 30 दिन में कोई आपत्ति नहीं होती है तो माना जाएगा कि योजना उस सीमा तक अनुमोदित है जिस सीमा तक महानगर विकास एवं निवेश योजना क्षेत्र विकास, योजना नगर विकास स्कीम के नियमों के अधीन बनाए गए प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है। इंटीग्रेटेड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के काम भी तय कर दिए हैं। इसमें कहा है कि यह अथारिटी विभिन्न यातायात और परिवहन उपायों का सुपरविजन करेगी। साथ ही महानगर क्षेत्र में अपने स्थान पर प्रभावी परिवहन व्यवस्था को सुनिश्चित करेगी। अलग-अलग विभागों द्वारा किए गए यातायात और परिवहन उपायों को प्रभावी समन्वय और कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जाएगा। बड़ी यातायात और परिवहन योजनाओं को इस अथॉरिटी द्वारा मॉनिटर भी किया जाएगा। इसके साथ ही आवश्यक अनुसंधान भी किए जाएगी। विभिन्न विभागों और अभिकरणों की सभी कार्य योजनाओं को इंटीग्रेटेड कर महानगर क्षेत्र के ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट स्कीम के लिए भी एग्जीक्यूट करने का काम किया जाएगा। साथ ही सार्वजनिक परिवहन के विभिन्न मार्गों, जॉइंट टिकटिंग के मामले और फीडर सर्विसेज का भी इंटीग्रेशन अथॉरिटी द्वारा किया जाएगा। एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण की सिफारिश पर भी फोकस किया जाएगा। हर 3 महीने में इसकी एक बैठक होगी। इसके लिए प्राधिकरण को तकनीकी सहायक कर्मचारी और सचिव, सहायक महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे। महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण एक विस्तृत डेटाबेस तैयार करेगा और इसे अपडेट करने के लिए सर्वे कराएगा और इससे अलग-अलग स्टडी और आम जनता को भी उपलब्ध कराया जाएगा। डेटाबेस महानगर क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट और ट्रैफिक आवश्यकताओं की निगरानी करनी में सहायता करेगा।
2 महीने में निर्णय नहीं तो परमिशन मंजूर
अधिनियम में यह भी प्रावधान किया है कि अगर आवेदन मिलने की तारीख से 2 महीने की अवधि में महानगर आयुक्त परमिशन जारी करने का निर्णय नहीं लेते हैं तो इस अवधि के बाद यह माना जाएगा कि परमिशन मंजूर हो गई है। लेकिन, अगर 2 महीने के बाद में किसी सूचना याद दस्तावेज के लिए अतिरिक्त जानकारी मांगी गई है तो उस तिथि से उत्तर प्राप्त होने तक की अवधि को दो माह की अवधि में काउंट नहीं किया जाएगा। जारी परमिशन को 3 साल तक वैलिड माना जाएगा। इसके बाद दोबारा आवेदन मिलने पर साल दर साल बढ़ाया जा सकेगा लेकिन यह 5 साल से अधिक नहीं होगा। महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण एक महानगरीय भूमि बैंक की स्थापना करेगा और उसकी देखरेख भी करेगा जिसमें सभी अधिग्रहित की गई जमीन, आवंटित जमीन और खरीदी या प्राप्त की गई जमीन की निगरानी और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी शामिल होगी। इसके लिए समय-समय पर इसका पुनर्विलोकन भी किया जाएगा। अधिनियम में कहा है कि प्राधिकरण के प्रशासकीय कार्यों के 200 करोड़ रुपए की प्रारंभिक पूंजी से एक महानगर विकास निधि का सृजन करेगी। अधिनियम में प्रावधान है कि आवासीय भवन के रूप में उपयोग में लाए जाने वाले किसी भवन या उससे लगे बगीचे के हिस्से में महानगर आयुक्त की टीम केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य की प्रवेश कर सकेगी। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को 24 कम से कम 24 घंटे पूर्व प्रवेश करने की लिखित सूचना देना होगा। अधिनियम में यह प्रावधान है कि महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के किसी सदस्य या किसी अधिकारी या किसी कर्मचारी या नियम की अधीन बनाई गई समिति के किसी सदस्य के खिलाफ तब तक कोई भी वाद, अभियोजन या कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। जब तक अधिनियम के अधीन सद्भाव पूर्वक किए गए किसी कार्य का उल्लंघन नहीं हुआ हो।
हर महानगर क्षेत्र के लिए महानगर योजना समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और एक सदस्य सचिव सहित अन्य सदस्य होंगे। जिन्हें राज्य सरकार तय करेगी। सांसद और विधायक जिनके निर्वाचन क्षेत्र पूरी तरह से या आंशिक रूप से महानगर क्षेत्र में स्थित हैं। वे समिति की बैठकों के स्थायी विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे। महानगर क्षेत्र में नगर पालिका, नगर परिषद के अध्यक्ष और नगर निगम के महापौर भी यदि समिति के निर्वाचित सदस्य नहीं है तो भी वह स्थायी विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे। समिति पूरे महानगर क्षेत्र के लिए एक महानगर विकास और निवेश योजना का प्रारूप तैयार करेगी। अधिनियम में प्रावधान किया है कि सरकार महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण बनाएगी, जिसमें मुख्यमंत्री अध्यक्ष होंगे। नगरीय विकास और आवास विभाग के मंत्री तथा पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री उपाध्यक्ष के रूप में काम करेंगे। राजस्व विभाग के मंत्री भी उपाध्यक्ष होंगे। कमेटी में मुख्य सचिव के साथ नगरीय विकास एवं आवास, राजस्व, परिवहन, लोक निर्माण, पर्यावरण, पंचायत और ग्रामीण विकास तथा ऊर्जा विभाग के एसीएस, प्रमुख सचिव और सचिव सदस्य के रूप में काम करेंगे। वे संभाग आयुक्त जिनका मुख्यालय मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में स्थित है वह भी कमेटी में शामिल रहेंगे। संचालक नगर संचालनालय नगर व ग्रामीण निवेश के संचालक भी सदस्य होंगे। महानगर आयुक्त की जिम्मेदारी उसे सौंपी जाएगी जो शासन में सचिव स्तर से कम पद वाला न हो। महानगर आयुक्त इसके सदस्य संयोजक के रूप में काम करेंगे। विशिष्ट विषय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले चार से अधिक व्यक्ति विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए जाएंगे। सभी नगर निगम आयुक्त, सभी रेलवे क्षेत्र के महाप्रबंधक, भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय के प्रतिनिधि, मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक, महानगर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधानसभा के चार सदस्य जो नामांकित होंगे वह भी कमेटी के सदस्य होंगे। नगर निगम के महापौर, नगर पालिकाओं के अध्यक्ष, जिला पंचायत के अध्यक्ष भी शासन द्वारा नामांकित तीन सदस्यों में शामिल रहेंगे। इस प्राधिकरण की बैठक छह माह में कम से कम एक बार होगी। महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण की एक एग्जीक्यूटिव बॉडी होगी जिसके महानगर आयुक्त अध्यक्ष होंगे। नगर निगम के आयुक्त, मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल के आयुक्त, मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त सचिव, परिवहन विभाग के उप परिवहन आयुक्त नगर व ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे। अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट को भी इस कमेटी में शामिल किया जाएगा।
15 वर्ष के लिए प्लान तैयार करेगी समिति
महानगर क्षेत्र विकास समिति को जो काम करना है उसके अंतर्गत वह 15 साल के लिए महानगर विकास और निवेश योजना का प्रारूप तैयार करेगा। इसमें महानगर क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए प्रस्ताव तैयार करने और नीतियां बनाने का काम होगा। साथ ही विकास योजनाएं तैयार करने, आवासीय क्षेत्र की कृषि योग्य भूमि, वन क्षेत्र, बंजर भूमि, राजमार्ग, रेलवे, जल, निकाय, खनन क्षेत्र और इकोसिस्टम के हिसाब से भूमियों के उपयोग की नीति तैयार करने का काम किया जाएगा। परिवहन, ऊर्जा, संचार, नेटवर्क जैसी सुविधाओं के साथ-साथ बिजली संयंत्र, सडक़ें, राजमार्ग, रेलवे, हवाई अड्डे और जल मार्गों की वर्तमान स्थिति और प्रस्तावों को भी बताना होगा। पर्यटन स्थलों और प्राकृतिक सौंदर्य वाले क्षेत्र के साथ ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व वाले स्थलों और पर्यटन क्षेत्र के संरक्षण संवर्धन और विकास के लिए नीति तैयार करने की जिम्मेदारी समिति की होगी। जल ग्रहण प्रबंधन, जलापूर्ति, वर्षा जल संचयन, भूजल संवर्धन, बाढ़ नियंत्रण और जल प्रदूषण के रोकथाम का काम समिति द्वारा करने के लिए प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। शहरी सुधारों के अंतर्गत जलापूर्ति, बिजली, संचार, गैस, वर्षा जल निकासी, सीवरेज, कचरा निपटान, स्वास्थ्य सुविधाएं, सामाजिक कल्याण एवं वायु तथा जल में प्रदूषण नियंत्रण के सुधार के लिए प्रस्ताव तैयार करने का भी काम समिति द्वारा किया जाएगा। इसके साथ ही आवास एवं सामुदायिक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए नीतियां भी बनाने की जिम्मेदारी समिति की होगी। यातायात एवं परिवहन तथा सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव और नीति तैयार करने का काम किया जाएगा। समय सीमा में विभिन्न प्रस्ताव और कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए रणनीति बनाने और प्राथमिकता तय करने की जिम्मेदारी होगी। वन क्षेत्र के पुनर्जीवन के लिए उपाय करना होगा। इफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मामलों में वास्तविक नियंत्रण और भवनों की ऊंचाई व अन्य सुझाव देने का काम भी किया जाएगा। महानगर क्षेत्र की व्यवस्थित विकास एवं प्रबंधन के लिए अन्य सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी समिति फोकस करेगी।
दो बड़ी सौगातों से बदलेगा मप्र का हुलिया
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही सौगातों का पिटारा लेकर मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री अक्टूबर माह में मध्य प्रदेश आएंगे और प्रदेश को 2 बड़ी सौगातें देंगी। यह प्रदेश के विकास और परिवहन क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। मध्य प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा की तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। पीएम मोदी अक्टूबर माह में मध्य प्रदेश आएंगे। वे प्रदेश के महू के पास बन रहे पीएम मित्र पार्क और मध्य प्रदेश की दूसरी मेट्रो ट्रेन का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पीएम मोदी को न्यौता देने दिल्ली गए थे। मध्य प्रदेश में पीएम मोदी का इस साल का यह चौथा दौरा होगा। इसके पहले पीएम मोदी 31 मई को भोपाल आए थे। इस दौरान उन्होंने इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना और उज्जैन में क्षिप्रा के विभिन्न घाटों का लोकार्पण किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी मध्य प्रदेश यात्रा के दौरान 2 महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का लोकार्पण करेंगे। इनमें पहला है पीएम मित्र पार्क, जिसे प्रदेश में कपड़ा उद्योग के नए युग की शुरूआत माना जा रहा है। दूसरा है भोपाल मेट्रो यह राजधानी भोपाल के परिवहन व्यवस्था के हिसाब से मील का पत्थर साबित होगा। आइए बताते हैं आखिर क्यों दोनों प्रोजेक्ट बेहद खास हैं। प्रदेश की औद्योगिक नगरी इंदौर संभाग के धार जिले में आने वाले भैंसोला में 2177 एकड़ में पीएम मित्र पार्क आकार ले रहा है। पीएम मित्र यानी प्रधानमंत्री मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड एपेरल पार्क। इसे पीएम मोदी के 5 एफ विजन फार्म टू, फाइबर टू, फैक्ट्री टू, फैशन टू, फॉरेन के आधार पर विकसित किया जा रहा है। इसके इंफ्रास्ट्रक्चर डेवपलमेंट पर 2050 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। इसके पहले चरण में केन्द्र सरकार ने 773 करोड़ के टेंडर जारी किए थे। पीएम मित्र पार्क को मध्य प्रदेश के लिए एक बड़ी सौगात माना जा रहा है। इस पार्क में कपास से धागा, धागे से कपड़े और तैयार कपड़े की बिक्री और निर्यात तक का काम एक ही स्थान से किया जा सकेगा। यानी यहां कटाई, बुनाई, प्रोसेसिंग, रंगाई, छपाई और परिधानों के निर्माण जैसे सभी काम होंगे। इस सौगात को मध्य प्रदेश के विकास और कपड़ा उद्योग के नए युग की शुरूआत माना जा रहा है। इस पार्क के लिए अभी तक 10 हजार करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव सरकार को मिल चुके हैं। देश और विदेश की कई बड़े टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने यहां निवेश को लेकर रूचि दिखाई है।
वहीं मप्र में इंदौर के बाद अब राजधानी भोपाल में भी यात्री मेट्रो में सफर करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका लोकार्पण करने आ रहे हैं। भोपाल मेट्रो के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है। पहले चरण में मेट्रो सुभाष नगर से एम्स के बीच दौड़ेगी। इन दोनों के बीच की दूरी 6.22 किलोमीटर है। इन दोनों के बीच भोपाल का सबसे बड़ा कमर्शियल क्षेत्र एमपी नगर और रानी कमलापति रेलवे स्टेशन और एम्स है। इस रूट पर मेट्रो 40 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ेगी। इस रूट के निर्माण पर 2225 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। मेट्रो के लिए पिछले 7 सालों से इंतजार किया जा रहा था। मेट्रो प्रोजेक्ट को मोदी सरकार ने ही साल 2018 में मंजूरी दी थी, इसके बाद 2019 में इसका काम शुरू हुआ था। भोपाल मेट्रो रूट के ब्लू और ऑरेंज लाइन को भी 2030 तक पूरी तरह शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मध्य प्रदेश में लगातार दौरा होता रहा है। साल 2025 में ही पीएम मोदी का यह चौथा दौरा होगा। इसके पहले पीएम प्रदेश के छतरपुर, अशोकनगर और इसके पहले बाद भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। पिछले 10 सालों के दौरान पीएम मोदी करीबन 45 से ज्यादा दौरे कर चुके हैं। यानी साल में औसतमन उनके 4 से 5 दौरे हो जाते हैं। इस साल पीएम 3 बार पहले भी मध्य प्रदेश आ चुके हैं। 23 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छतरपुर के ग्राम गुढा में बागेश्वर धाम आश्रम पहुंचे थे। पीएम मोदी ने यहां आश्रम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री द्वारा बनवाया जा रहे कैंसर हॉस्पिटल का भूमि पूजन किया था। प्रधानमंत्री यहां करीबन डेढ़ घंटे तक रूके थे। छतरपुर से लौटकर पीएम मोदी भोपाल में रूके थे। 24 फरवरी को भोपाल में पीएम मोदी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल हुए थे। 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अशोकनगर के ईसागढ़ तहसील के आनंदपुर धाम पहुंचे थे। पीएम मोदी यहां करीबन 2 घंटे तक रुके थे। 31 मई को पीएम मोदी भोपाल आए थे और अहिल्याबाई महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने इंदौर मेट्रों का भी लोकार्पण किया था।
