
- डॉ. मोहन सरकार की निवेश मित्र नीतियों का असर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मप्र में विकास के लिए औद्योगिकीकरण की नीति अपनाई है। इसके लिए निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे देशी और विदेशी निवेशकों का आकर्षण मप्र की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसका परिणाम यह हुआ है कि मप्र के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मप्र ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में निर्यात के क्षेत्र में नई उपलब्धि हासिल की है। फेडेरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का कुल निर्यात 6 प्रतिशत बढकऱ 66,218 करोड़ रुपये हो गया। यह अब तक का सबसे अधिक है।
रिपोर्ट के अनुसार फार्मास्यूटिकल, इंजीनियरिंग गुड्स और सोया आधारित कृषि उत्पाद मिलाकर मप्र ने विश्व बाजार के प्रतिमानों के अनुसार निर्यात रैंकिंग में बढ़ोतरी की है। निवेश मित्र औद्योगिक विकास की नीतियां, औद्योगीकरण का बढ़ता आधार मप्र का निर्यात बढऩे के प्रमुख कारण है। रिपोर्ट के अनुसार, मर्केंडाइज एक्सपोर्ट में 66,218 करोड़ रुपये का योगदान रहा, जबकि स्पेशल इकोनॉमिक जोन से आईटी कंपनियों ने 4,038 करोड़ रुपये का निर्यात किया। आर्थिक विकास और निर्यात बढ़ोतरी की बदौलत राष्ट्रीय रैंकिंग में मध्य प्रदेश 15वें से 11वें स्थान पर पहुंच गया है।
फार्मास्यूटिकल निर्यात सबसे ज्यादा
पिछले वर्ष तक राज्य के शीर्ष निर्यात सेक्टर में फार्मास्यूटिकल, एनिमल फीड, मशीनरी, एल्युमिनियम और टेक्सटाइल शामिल थे। इस साल फार्मास्यूटिकल का निर्यात 11,968 करोड़, एनिमल फीड 6,062 करोड़, एल्युमिनियम 4,795 करोड़ और मशीनरी 5,497 करोड़ रुपये रहा। अमेरिका, बांग्लादेश, फ्रांस, यूएई और नीदरलैंड प्रमुख निर्यात बाजार रहे।
पीथमपुर के कारण धार जिला सबसे आगे
जिला स्तर पर पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के कारण धार 17,830 करोड़ रुपये के निर्यात के साथ सबसे आगे रहा, जबकि इंदौर ने 13,500 करोड़ रुपये और उज्जैन ने 2,288 करोड़ रुपये का निर्यात किया। पिछले छह वर्षों से राज्य का निर्यात लगातार बढ़ा है। वर्ष 2019-20 में 37,692 करोड रुपए, 2020-21 में 47,959 करोड रुपए, 2021-22 में 58,407 करोड रुपए, 2022-23 में 65,878 करोड रुपए, 2023-24 में 65,255 करोड़ रुपए और 2024-25 में 66,218 करोड रुपए का निर्यात मप्र से हुआ। इसमें स्पेशल इकोनामिक जोन से हुए निर्यात के आंकड़े भी शामिल है। सरकार की निवेश मित्र नीतियों, औद्योगिक आधार के विस्तार, निर्यात प्रोत्साहन अधोसंरचना और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मजबूत संबंधों को इस उपलब्धि का मुख्य कारण माना जा रहा है।