फॉरेन ट्रिब्यूनल से गैर-मुस्लिमों के मामले हटाने के लिए कोई आदेश नहीं: हिमंत

हिमंत

गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार ने 2015 से पहले विदेशी न्यायाधिकरणों से प्रवेश करने वाले गैर-मुस्लिम अवैध विदेशियों के मामलों को हटाने के लिए कोई विशेष आदेश नहीं दिया। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) ऐसे लोगों को पहले ही सुरक्षा देता है, इसलिए कोई नया आदेश देने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा, सीएम सरमा ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का घेराव किया। उन्होंने कहा कि राहुल ने अपने ही बयान से यह साबित कर दिया है कि मतदाता सूची की जांच के लिए एसआईआर जरूरी है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने भले ही इसकी आलोचना की हो, लेकिन असल में उन्होंने इस प्रक्रिया को समर्थन ही दिया है। सीएम सरमा ने गुवाहाटी में कैबिनेट बैठक के बाद संवादाताओं से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार ने सीएए में पहले से मौजूद निर्देशों के अलावा कोई निर्देश जारी नहीं किया है। अगर कोई कैबिनेट निर्णय होता है, तो मैं हमेशा आपके साथ साझा करता हूं। कोई विशेष निर्णय नहीं लिया गया है।’ हालांकि, उन्होंने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है। सीएम सरमा ने कहा कि यही कानून है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। जब तक सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज नहीं करता, यह देश का कानून है। इसके लिए किसी विशेष निर्णय की आवश्यकता नहीं है।

बता दें कि असम कैबिनेट की बैठक में पुस्तक वर्ष मनाने के लिए विस्तृत योजना तैयार करने, निवेश को बढ़ावा देने के लिए अनुकूलित प्रोत्साहनों को मंजूरी देने, बीटीआर में विकास खंडों का पुनर्गठन करने, एमबी 3.0 के तहत भूमि आवंटित करने और वन सुरक्षा बल के लिए राशन भत्ता बढ़ाने का संकल्प लिया गया। सीएम सरमा ने आगे कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने एफटी से मामले वापस लेने के संबंध में दो निर्णय लिए हैं। पहला, एक कोच-राजबोंगशी समुदाय के लिए और दूसरा गोरखा लोगों के लिए। उन्होंने कहा कि असम सरकार ने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे 2015 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिमों के खिलाफ चल रहे मामलों की समीक्षा करें और जरूरत पड़ने पर उन्हें विदेशी न्यायाधिकरणों से वापस ले लें।

पीटीआई को प्राप्त एक निर्देश के अनुसार, 22 जुलाई को अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह एवं राजनीतिक) अजय तिवारी ने सभी जिलों को एक चिट्ठी भेजी थी। उसमें कहा गया कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और रोहिंग्या जैसे विदेशियों की स्थिति की जांच की जाए। इसमें सुझाव दिया कि ऐसे सभी विदेशियों को सीएए के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने को कहा जाए और इसमें उनकी मदद भी की जाए। कानून के मुताबिक, असम में किसी भी व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का अधिकार सिर्फ विदेशी न्यायाधिकरणों को है। अगर कोई फैसला पक्ष में नहीं आता, तो वह व्यक्ति हाईकोर्ट में अपील कर सकता है। पिछले साल जुलाई में, सरकार ने सीमा पुलिस को भी कहा था कि वे 2015 से पहले आए गैर-मुस्लिम अवैध प्रवासियों के मामले विदेशी न्यायाधिकरणों को ना भेजें। उन्हें CAA के जरिये नागरिकता लेने की सलाह दी जाए।

CAA, 2019 के अनुसार, जो लोग बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आए हैं और हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन या पारसी हैं, उन्हें 5 साल भारत में रहने के बाद भारतीय नागरिकता दी जा सकती है। सीएम सरमा ने एसआईआर पर राहुल गांधी का घेराब किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने भले ही एसआईआर की आलोचना की है, लेकिन असल में उन्होंने इस प्रक्रिया को समर्थन ही दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि असम में बांग्लादेशियों के नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) जरूरी है।

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