
- अब सीएम करेंगे योजनाओं के मेंटेनेंस पर निर्णय
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जल जीवन मिशन के तहत मप्र में एकल नल जल योजनाएं उन गांवों के लिए हैं जहां छोटे जल स्रोत हैं और जहां स्थानीय स्तर पर पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। राज्य सरकार ने 27,990 गांवों के लिए एकल ग्राम नलजल योजनाएं स्वीकृत की हैं, जिनमें से 15,542 योजनाएं पूर्ण कर ली गई हैं। लेकिन सरकार तीन महीने से एकल नल जल योजनाओं के ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस (संचालन एवं संधारण) की जिम्मेदारी सौंपने को लेकर अंतिम निर्णय नहीं ले पाई है। पहले मुख्य सचिव, फिर मंत्री और अब एकल नल जल योजनाओं के ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस का मामला मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास पहुंच गया है। यानी अब सीएम योजनाओं के मेंटेनेंस पर निर्णय करेंगे।
गौरतलब है कि यह योजना, छोटे गांवों और बस्तियों के लिए है जहां स्थानीय जल स्रोतों से पानी की आपूर्ति की जा सकती है। इन योजनाओं में, प्रत्येक घर को एक नल कनेक्शन प्रदान किया जाता है, जिससे उन्हें स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध होता है। प्रदेश में जल जीवन मिशन में एकल नल जल योजनाओं पर सरकार करीब 20 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इसका करीब 90 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, लेकिन सरकार तीन महीने से एकल नल जल योजनाओं के ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस (संचालन एवं संधारण) की जिम्मेदारी सौंपने को लेकर अंतिम निर्णय नहीं ले पाई है। पहले मुख्य सचिव, फिर मंत्री और अब एकल नल जल योजनाओं के ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस का मामला मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास पहुंच गया है।
बैठक में प्रस्तुत की जाएगी पॉलिसी
जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए जल्द ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री एवं मुख्य सचिव की बैठक बुलाई है। बैठक में पीएचई विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री के समक्ष एकल नल जल योजनाओं के ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस के संबंध में तैयार की गई पॉलिसी प्रस्तुत करेंगे। बैठक में पॉलिसी को मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद इसे कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में जल जीवन मिशन में एकल नल जल योजनाओं की संख्या 27 हजार 990 है। नई पॉलिसी के अनुसार एकल नल जल योजनाओं के मेंटेनेंस के लिए पूरे प्रदेश में क्लस्टर बनाए जाएंगे। प्रत्येक क्लस्टर में 100 गांवों को शामिल किया जाएगा। इस तरह एकल नल जल योजनाओं के मेंटनेंस के लिए कुल 280 क्लस्टर बनाए जाएंगे। क्लस्टर में शामिल सभी 100 गांवों में एकल नल जल योजनाओं का मेंटेनेंस का कार्य एक एजेंसी को सौंपा जाएगा। किसी गांव से पानी सप्लाई में दिक्कत या पंप में तकनीकी खराबी संबंधी कोई भी शिकायत आती है, तो उसके निराकरण की पूरी जिम्मेदारी संबंधित एजेंसी की होगी। एजेंसी को तय समयावधि में शिकायत का निराकरण कर इसकी जानकारी विभाग के संबंधित अधिकारी को ऑनलाइन देना होगी। प्रदेश में एकल नल जल योजनाओं का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। दिसंबर, 2025 तक एकल नल जल योजनाओं का काम पूरा करने का लक्ष्य तय है।
मेंटेनेंस पर सालाना एक हजार करोड़ खर्च
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पूर्व के अनुभव के आधार पर यदि जल जीवन मिशन के उद्देश्य को लॉन्ग टर्म में सफलतापूर्वक पूरा करना है, तो एकल नल जल योजनाओं का मेंटेनेंस नई पॉलिसी के अनुसार करना जरूरी है। एकल नल जल योजनाओं के मेंटेनेंस पर सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह राशि राज्य सरकार वहन करेगी। जानकारी के अनुसार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की मंशा है कि एकल नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण की जिम्मेदारी पूरी तरह से ग्राम पंचायतों को सौंपी जाए, जबकि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एजेंसीज को हायर कर उन्हें एकल नल जल योजनाओं के मेंटेनेंस का काम सौंपने की बात कह रहा है। विभाग का कहना है कि भले ही योजनाओं का संचालन ग्राम पंचायतों को सौंपा जाए, पर मेंटेनेंस का काम नहीं। मई में मुख्य सचिव अनुराग जैन पंचायत एवं ग्रामीण विकास और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिवों के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर लंबी चर्चा कर चुके हैं, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। फिर तय हुआ की दोनों विभागों के मंत्रियों की संयुक्त बैठक कर उनके समक्ष मामले को रखा जाए, लेकिन बैठक नहीं हो पाई। अब मामला मुख्यमंत्री के पास पहुंच गया है। पीएचई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल जीवन मिशन की पॉलिसी में स्पष्ट प्रावधान है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद समूह नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण की जिम्मेदारी 10 साल तक संबंधित ठेकेदार की होगी, लेकिन एकल नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण को लेकर पॉलिसी में कोई प्रावधान नहीं है। इसे देखते हुए पीएचई विभाग ने नई पॉलिसी तैयार की है।