
- विवाद : 8वीं की किताब पर मचा बवाल…
नई दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की कक्षा 8 की किताब में दिखाए गए नक्शे में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। जैसलमेर के पूर्व शाही परिवार ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए ऐतिहासिक रूप से इसे गलत बताया है। जैसलमेर के पूर्व शाही परिवार के सदस्य चैतन्य राज सिंह का कहना है कि यह नक्शा जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बता रहा है जो कि तथ्यात्मक रूप से ही गलत है। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से तत्काल इसे सुधारने की मांग की है। चैतन्य सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि ऐतिहासिक रूप से यह तथ्य भ्रामक, तथ्यात्मक रूप से गलत और गहन आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा कि आधारहीन जानकारी एनसीईआरटी की विश्वसनीयता को कमजोर करती है। उन्होंने कहा कि यह उनके पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास और बलिदान को धूमिल कर रही है। उन्होंने कहा कि उनके पास जो पारंपरिक ऐतिहासिक दस्तावेज हैं उनमें कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि मराठों का जैसलमेर रियासत में कभी कोई अधिकार रहा हो। इससे पहले, बूंदी के पूर्व शाही परिवार के सदस्य ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) भूपेश सिंह ने भी आपत्ति जताई थी। 28 जुलाई को उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि हम कभी मराठों के अधीन नहीं थे। मनगढ़ंत कहानियों से हमारे गौरव को ठेस न पहुंचाएं।
उदयपुर राजपरिवार भी कूदा
मामले पर उदयपुर राज परिवार की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। राजसमंद सांसद महिमा कुमारी ने अपने एक्स पोस्ट पर लिखा है कि पहले ब्रिटिश काल में इतिहास को गलत पेश किया गया। उन्होंने कहा-एनसीईआरटी को कौन शिक्षित करेगा। महिमा कुमारी ने लिखा कि मुझे इस बात पर संदेह है कि एनसीईआरटी देश का सही इतिहास लिख सकता है।
यह है विवाद
एनसीईआरटी की कक्षा 8 की सोशल साइंस की किताब विवादित नक्शे में मराठा साम्राज्य की सीमा में जैसलमेर को भी दर्शाया गया है। इसमें मराठा साम्राज्य को कोल्हापुर से उत्तर में पेशावर और पूर्व में कटक तक फैला दिखाया गया है, जिसमें जैसलमेर को भी शामिल किया गया है। जबकि इतिहासकार कहते हैं कि जैसलमेर कभी भी मराठा साम्राज्य का हिस्सा नहीं रहा। इतिहास के लेक्चर तनेराव सिंह सोढ़ा ने कहा कि मुगल भी जैसलमेर को जीतने में सफल नहीं रहे। जैसलमेर की स्थापना लगभग 1178 ईस्वी में यादव वंश के वंशज रावल जैसल ने की थी। उनके वंशजों ने लगभग 770 वर्षों तक यहां लगातार शासन किया।
उन्होंने आगे कहा कि जैसलमेर ने खिलजियों, राठौड़ों, मुगलों और तुगलकों, सहित अन्य के आक्रमणों का सामना किया। भाटी शासकों ने विस्तार के लिए नहीं, बल्कि अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ी और सफलतापूर्वक अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी। ब्रिटिश शासन के दौरान भी राज्य ने अपनी प्रमुखता बनाए रखी, जब तक कि स्वतंत्रता के बाद यह भारतीय गणराज्य में विलीन नहीं हो गया। एकीकरण के समय, जैसलमेर का क्षेत्रफल 16,062 वर्ग मील था।
सोढ़ा के अनुसार, मराठों ने राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों में आक्रमण किए थे। इन क्षेत्रों में मराठों ने चौथ (एक प्रकार का कर) भी वसूल किया था, जिसमें जयपुर, मेवाड़, डूंगरपुर और बांसवाड़ा जैसे क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति के ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद हैं।
