मप्र के बड़े शहरों को मिलेगा मेट्रोपॉलिटन रीजन का दर्जा

  • विकास को मिलेगा नया आयाम
  • गौरव चौहान
मेट्रोपॉलिटन रीजन

प्रदेश सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को मेट्रोपॉलिटन रीजन का दर्जा देने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। विधानसभा में मध्य प्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक 2025 पेश किया गया। इस विधेयक पर मंगलवार को चर्चा की जाएगी। विधेयक के लागू होते ही भोपाल और इंदौर जैसे प्रमुख शहरों को नए शहरी ढांचे के तहत विकसित किया जाएगा। इन शहरों के लिए मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता स्वयं मुख्यमंत्री करेंगे। भोपाल के लिए सीमांकन का सर्वे कार्य जारी है, जबकि इंदौर में यह प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।
जानकारी के अनुसार, बड़े शहरों को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने के लिए विधेयक में विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। विधेयक के अनुसार मुख्यमंत्री मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी के अध्यक्ष होंगे। एमआरडीए में 3 उपाध्यक्ष मंत्री होंगे, जिनमें नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और राजस्व मंत्री शामिल रहेंगे। मुख्य सचिव के साथ 7 विभागों के एसीएस या प्रमुख सचिव उस बॉडी का हिस्सा होंगे। इसके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य अथॉरिटी में होंगे। यह अथॉरिटी मेट्रोपोलिटन एरिया का प्लान तैयार करने के साथ इसके क्रियान्वयन में अहम भूमिका अदा करेगी। ऐसे ही मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी में एक अध्यक्ष और तीन उपाध्यक्ष होंगे। इसके अलावा कमेटी में एक सदस्य-सचिव सहित उतने सदस्य होंगे, जितने राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किए जाएं। कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य भी शामिल होंगे। यह कमेटी मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले विभिन्न प्राधिकरण, नगरीय निकायों व जिला पंचायतों के मध्य अधोसंरचना विकास एवं नई विकास योजनाओं में समन्वय का काम करेगी। कमेटी अथॉरिटी लैंड बैंक बनाकर उसका प्रबंधन करेगी, ताकि टाउनशिप और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को जमीन उपलब्ध कराई जा सके। मेट्रो रीजन सीमा के बाहर की योजनाएं ‘एरिया डेवलपमेंट प्लान’ के तहत लागू होंगी।
पहले चरण में भोपाल व इंदौर बनेंगे मेट्रोपॉलिटन रीजन
मप्र मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट बिल, 2025 के तहत भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर व उज्जैन में मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमआरडीए) बनाई जाएगी। पहले चरण में भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने की शुरुआत होगी। जल्द ही दोनों शहरों के लिए एमआरडीए और मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी (एमपीसी) का गठन किया जाएगा। विधानसभा में मेट्रोपोलिटन बिल पर चर्चा के बाद उसे पारित किया जाएगा। भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया में भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा और राजगढ़ जिले के ब्यावरा को शामिल किया गया है। इन जिलों का सर्वे कर रीजनल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट प्लान बनेगा। भोपाल रीजन का कुल क्षेत्रफल करीब 9600 वर्ग किमी होगा। अनुमान है कि भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन की कुल आबादी 35 लाख होगी, लेकिन 60 लाख की संभावित आबादी के हिसाब से रीजन विकसित होगा। भोपाल विकास प्राधिकरण को मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलप करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। वहीं इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया में इंदौर, देवास, उज्जैन, धार व शाजापुर जिले को शामिल किया गया है। रीजन का कुल क्षेत्रफल करीब 9989 हजार वर्ग किमी का है। इस एरिया की आबादी 55 लाख के करीब होगी, मगर 75 लाख की आबादी को ध्यान में रखकर रीजन विकसित किया जाएगा। इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
विकास को मिलेगा नया ढांचा
प्राधिकरण का कार्यक्षेत्र मेट्रोपॉलिटन एरिया होगा, जहां वह भूमि उपयोग, अधोसंरचना, परिवहन, ऊर्जा, जल, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विषयों पर योजनाएं तैयार करेगा। इसके दायरे में नगरीय निकायों की विकास योजनाओं की निगरानी, टाउनशिप योजना का निर्माण, भूमि अधिग्रहण एवं आवंटन, तथा निवेश की संभावनाएं तलाशना शामिल रहेगा। प्राधिकरण द्वारा मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का गठन किया जाएगा, जो संबंधित शहरों में परिवहन नेटवर्क के विकास, संचालन, टिकटिंग प्रणाली और परिवहन संबंधी नीतिगत सलाह के लिए कार्य करेगी। प्रत्येक महानगर क्षेत्र में एक योजना समिति बनाई जाएगी, जिसमें क्षेत्रीय सांसद, महापौर और अन्य जनप्रतिनिधि सदस्य होंगे। यह समिति निवेश योजनाओं को अंतिम रूप देगी और दो या अधिक महानगरों को एकीकृत रूप से विकसित करने की रूपरेखा तैयार करेगी। प्राधिकरण को बीडीए (भोपाल विकास प्राधिकरण) या आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण) की तर्ज पर योजनाएं लागू करने और शुल्क वसूली का अधिकार प्राप्त होगा। इसके तहत दावा-आपत्ति और अधिसूचना की प्रक्रिया भी अनिवार्य रूप से अपनाई जाएगी।
जहां सहकारी बैंक नहीं वहां क्षेत्रीय कार्यालय खोले जाएंगे
 विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने विधायक रामनिवास शाह के एक सवाल के जवाब में बताया कि जिन जिलों में जिला सहकारी बैंक नहीं है, वहां पर क्षेत्रीय कार्यालय शुरू करेंगे। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर जो सहकारी नीति है, उसमें भी अपेक्षा की गई है कि हर जिले में कम से कम एक सहकारी बैंक जरूर हो। इसके जरिए हम जहां जिला सहकारी बैंक नहीं है, वहां हम क्षेत्रीय कार्यालय खोल सकेंगे और नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे। इससे पूरे प्रदेश की समस्या का हल होगा। मंत्री सारंग ने कहा कि सिंगरौली जिले में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित सीधी की 20 शाखाओं में से 9 शाखाएं कार्यरत हैं, जहां से जिले के आमजनों को बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। सिंगरौली जिले में पृथक जिला सहकारी बैंक की स्थापना का वर्तमान में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होंने बताया कि नए बैंक खोलने का राज्य शासन के पास सीधा अधिकार नहीं है। यह नाबार्ड और रिजर्व बैंक से जुडा हुआ मामला है। यह बात सही है कि मप्र में 55 जिले हैं और केंद्रीय सहकारी बैंक 38 हैं, लेकिन उसका कारण यह है कि जब हम नया बैंक खोलते हैं, तो उसकी वॉएब्लिटी और जिस मापदंड को लेकर बैंक खोला जाता है, उस पर पूरा विचार किया जाता है। सारंग ने बताया कि 17 जिले ऐसे हैं जो कि किसी न किसी बैंक के साथ जुड़े हुए हैं और उसका सीधा कारण वहां की बैंकों की वित्तीय स्थिति भी है।

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