55 विधायकों ने… लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग को घेरा

  • पेयजल योजनाओं की बदहाली की खुली पोल
  • गौरव चौहान
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग में चल रही योजनाओं की बदहाली, लापरवाही, भ्रष्टाचार का मुद्दा विधायकों ने विधानसभा में उठाया। विधायकों ने पीएचई विभाग में चल रही योजनाओं की खामियों का उजाकर करते हुए सरकार से इसके समाधान की मांग की। विधायकों ने बताया कि प्रदेश में जल जीवन मिशन से लेकर पेजयल से जुड़ी योजनाओं के बुरे हाल हैं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल से लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार समेत भाजपा, कांग्रेस एवं अन्य दल के 55 विधायकों ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग से जुड़े लिखित सवाल पूछे। जिनमें ज्यादातर सवाल जल जीवन मिशन के तहत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में कराए जा रहे निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार से लेकर, काम में देरी, अनियमितता, ठेकेदारों को अनियमित भुगतान, कागजों में काम एवं पेयजल जल संकट से जुड़े हैं।
पीएचई से जुड़े सवाल पूछने वाले ज्यादातर विधायकों ने अपने क्षेत्र से जुड़े सवाल पूछे। सरकार से सवाल पूछने वालों में ज्यादातर भाजपा के विधायक हैं।  भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने बैतूत विधायक की हैसियम से बैतूल में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के अधिकारियों से जुड़ा सवाल पूछा। जबकि नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने जल जीवन मिशन में करोड़ों की फर्जी बैंक गारंटी से करोड़ों का काम करने वाले कंपनी से जुड़ी सवाल पूछा। जिसके जवाब में मंत्री संपतिया उइके ने बताया कि इस मामले में सीबीआई जांच कर रही है। इसी तरह हेमंत खंडेलवाल के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि भर्ती की प्रक्रिया नियमानुसार होती है। वरिष्ठ विधायक भूपेन्द्र सिंह ने अपने क्षेत्र में जल जीवन मिशन के कार्यों में लेटलतीफी एवं भ्रष्टाचार, अजय विश्नोई ने जबलपुर क्षेत्र में पेयजल योजना के कामों में देरी। हेमंत कटारे ने योजना में भ्रष्टाचार, प्रदीप लारिया एवं भूपेन्द्र सिंह ने सागर जिले में पेयजल योजनाओं में भ्रष्टाचार, कामों में देरी का मामला उठाया। कोलारस के महेन्द्र यादव ने मड़ीखेड़ा बांध से समूह योजना से गांवों को पानी पहुंचने से जुड़ा सवाल पूछा। कुछ विधायकों ने जल जीवन मिशन एवं पेयजल योजनाओं से जुड़े दो से तीन सवाल पूछे। हेमंत खंडेलवाल, राजेश वर्मा, यादवेन्द्र सिंह, अरुण भीमावद, महेन्द्र यादव, दिव्यराज सिंह, संजय पाठक, देवेन्द्र सखवार, सुश्री रामसिया भारती, सुजीत मेर सिंह, सुशील तिवारी, वीरसिंह भूरिया, विक्रांत भूरिया, विष्णु खत्री, अजय विश्नोई, अभय मिश्रा, मधु भगत, प्रणय प्रभात पांडे, विजय रेवनाथ चौरे, कालू सिंह ठाकुर, बाला बच्चन, राजेन्द्र भारती, बाबू जंडेल, सचिन यादव, झूमा सोलंकी, पंकज उपाध्याय, उमंग सिंघार, मोहन सिंह राठौर, प्रदीप लारिया, प्रताप ग्रेवाल, तेजबहादुर सिंह, कमलेश्वर डोडियार, बृजविहारी पटेरिया, हरिबाबू राय, हेमंत कटारे, प्रीतम लोधी, देवेन्द्र पटेल, लखन घनघोरिया, निर्मला सप्रे, श्रीकांत चतुर्वेदी, चंद्र सिंह सिसौदिया, प्रदीप अग्रवाल, मोंटू सोलंकी, कैलाश कुशवाह, भूपेन्द्र सिंह, रजनीश सिंह, ओमकार सिंह मरकाम, अनुभा मुंजारे, उमाकांत शर्मा ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग से जुड़े सवाल पूछे।
दिव्यांगों को पेंशन देने के मामले में मप्र पिछड़ा
मप्र में दिव्यांगों की पेंशन राशि देश के अन्य बड़े राज्यों से काफी कम है। पिछड़े राज्यों की श्रेणी में शुमार बिहार से भी मप्र में दिव्यांगों को पेंशन की राशि कम मिलती है। बिहार में दिव्यांगों को पेंशन 1100 रुपए मिलती है। जबकि मप्र में यह राशि 600 रुपए है। विधायक तेजबहादुर सिंह चौहान के सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने यह जानकारी दी। मंत्री कुशवाह ने विधानसभा में स्वीकार किया कि देश के अन्य राज्यों में दिव्यांगों को मिलने वाली पेंशन मप्र में बहुत कम है। ऐसे दिव्यांगजन जो 40 फीसदी या इससे अधिक हैं। उन्हें पेंशन की पात्रता है। दिव्यांगों को आंध्रप्रदेश में 6 हजार, हरियाणा में 3 हजार, दिल्ली में 2500, गोवा में 2 हजार, बिहार में 1100 रुपए मिलती है। मंत्री ने बताया कि मप्र में दिव्यांगों को असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, मणिपुर, नागालैंड और उड़ीसा जैसे राज्यों से भी कम पेंशन मिलती है। पेंशन राशि बढ़ाने का प्रस्ताव विचाराधीन है।

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