बांधवगढ़ में हर माह हो रही एक बाघ की मौत

बाघ की मौत
  • टाइगर स्टेट बनता जा रहा शिकारी स्टेट, 5 सालों में मप्र में 2274 शिकार

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की पहचान अब टाइगर स्टेट के अलावा लैपर्ड स्टेट, घडिय़ाल स्टेट और चीता स्टेट की भी हो गई है, लेकिन प्रदेश में टाइगर, लैपर्ड सहित सभी वन्य प्राणी शिकारियों के निशाने पर हैं। मप्र में पिछले 5 सालों के दौरान 2274 वन्य प्राणियों की हत्याएं हुई हैं। इनमें चीतों के लिए विश्व पटल पर उभरे श्योपुर जिले में भी 4 वन्य प्राणियों को मारने की घटनाएं हो चुकी हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले साढ़े तीन सालों में 68 वन्य प्राणियों को शिकारियों ने अपना निशाना बनाया है। चौंकाने वाली यह जानकारी विधानसभा में सरकार द्वारा दिए गए एक सवाल के जवाब में सामने आई है। प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले वर्षों में बड़ी संख्या में बाघों की मौत हुई है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक जनवरी, 2022 से जुलाई, 2025 तक (43 महीने में) 40 बाघों ने दम तोड़ा है। इनमें बाघ शावक भी शामिल हैं। इस तरह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में औसत हर महीने एक बाघ की मौत हो रही है।
    मप्र विधानसभा में कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को और पंकज उपाध्याय के सवाल पर सरकार ने जो जानकारी दी, उसने वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार के जवाब से पता चला है कि अपनी समृद्ध जैव विविधता और टाइगर्स की संख्या की वजह से देशभर में प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में शिकारी जमकर सक्रिय हैं। हालात यह हैं कि पिछले साढ़े तीन साल के दौरान बांधवगढ़ में 68 वन्य प्राणियों को शिकारियों ने अपना निशाना बनाया है। इसमें 2 बाघों और तेंदुए का भी करंट लगाकर शिकार किया गया। जबकि 5 बाघों की मौत का कारण ही ज्ञात नहीं हो सका।
    बांधवगढ़ में 108 वन्यप्राणियों की मौत
    पिछले साढ़े तीन सालों में बांधवगढ़ में करीबन 36 बाघों की मौत हुई है। यानी हर साल करीबन 12 बाघों की मौत हुई है। बांधवगढ़ में इस दौरान कुल 108 वन्य जीवों की मौत हुई है, सरकार ने माना है कि इसमें से 68 वन्य प्राणियों का शिकार हुआ है। इनमें 10 हाथी भी शामिल हैं, जिनकी पिछले साल जहरीला कोदो खाने से मौत हुई थी। शिकारी सिर्फ प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व तक सीमित नहीं हैं। प्रदेशभर में वन्य जीवों का शिकार किया जा रहा है। सरकार द्वारा विधानसभा में दी गई जानकारी से खुलासा हुआ है कि पिछले 5 सालों के दौरान प्रदेश भर में वन्य प्राणियों की हत्याएं हुई हैं। सरकार ने बताया कि प्रदेश में 2020 से अभी तक प्रदेश में 2274 वन्य प्राणियों की हत्याएं हुई हैं।पिछले साल अक्टूबर में 11 जंगली हाथियों की अचानक मौत के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व देश भर में सुर्खियों में रहा था। कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को ने विधानसभा में पूछा था कि एक जनवरी, 2022 से प्रश्न दिनांक (जुलाई, 2025) तक उमरिया जिले के अंतर्गत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कितने वन्य प्राणियों की किन कारणों से मृत्यु हुई? वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत इस अवधि में कितने प्रकरण दर्ज हुए हैं। वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने सवाल के लिखित जवाब में सदन को बताया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक जनवरी, 2022 से जुलाई, 2025 तक 40 बाघों की मृत्यु हुई है। सदन को दिए गए जवाब में अधिकतर बाघों की मौत का मुख्य कारण आपसी संघर्ष बताया गया है। इसके अलावा कुछ बाघों की मौत बिजली का करंट लगने और बीमारी के कारण बताई गई है। यह भी बताया गया कि कुछ बाघों की मृत्यु का कारण अज्ञात है। बांधवगढ़ में वर्ष 2022 में 09,2023 में 13, 2024 में 14 और 2025 (जून तक)04 बाघों की मौत हुई है। वन राज्य मंत्री अहिरवार ने बताया कि इस अवधि में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 17 तेंदुओं की भी मृत्यु हुई है। अधिकतर तेंदुओं की मौत का कारण बाघ तेंदुआ आपसी संघर्ष बताया गया है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक जनवरी, 2022 से जुलाई, 2025 तक 14 जंगली हाथियों की मौत की जानकारी दी गई है। इसके अलावा भालू, चीतल, गौर आदि की मौत की जानकारी भी लिखित जवाब में दी गई है।
    सरकार बोली बढ़ाई गई सख्ती
    प्रदेश में शिकार की घटनाओं को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है। कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को ने कहा कि प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन प्रदेश में शिकार की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। जंगलों में इंसानी दखल बढ़ रहा है। तेजी से अवैध रूप से जंगल काटे जा रहे हैं। सरकार सिर्फ कार्रवाई के नाम पर रस्मअदायगी कर रही है। उधर प्रदेश में शिकार के प्रकरणों को देखते हुए वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि  प्रदेश में वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए लगातार निगरानी की जाती है। खासतौर से टाइगर रिजर्व में शिकारियों पर सख्ती से लगाम लगाई गई है। पिछले साल बांधवगढ़ में हाथियों की मौत के मामले में जांच कमेटी गठित की गई थी। उनके सुझाव के आधार पर सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए है।

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