- शिक्षा विभाग की ई-अटेंडेंस व्यवस्था हुई धराशायी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा शुरु की गई ई-अटेंडेंस को लेकर शिक्षकों की मनमानी सामने आई है। शिक्षा विभाग की ई-अटेंडेंस व्यवस्था, जिसे हमारे शिक्षक ऐप के माध्यम से लागू किया गया है, शिक्षकों के बीच असंतोष और विरोध का कारण बनी हुई है। कई शिक्षक इस प्रणाली को अव्यावहारिक और तकनीकी रूप से त्रुटिपूर्ण बता रहे हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां नेटवर्क और बिजली की समस्या है। इसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि एक महीने के दौरान प्रदेश के आधे शिक्षकों ने भी पोर्टल पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है। प्रदेश के ढाई लाख में से 80 हजार शिक्षक ही लगा विभाग के एप पर ऑनलाइन अटेंडेंस लगा पाए हैं।
प्रदेश में बड़ी धनराशि खर्च कर शुरू हुई शिक्षकों की ई-अटेंडेंस विभाग के लिए चिंता का कारण बन गई है। पहले ही माह में इसके परिणाम आशाजनक नहीं रहे हैं। आधे शिक्षक भी यह उपस्थिति दर्ज नहीं कर पाए हैं। अब शत-प्रतिशत हाजिरी के लिए अगस्त से डिपार्टमेंट ठोस विकल्प निकाल रहा है। प्रदेश में एक जुलाई से स्कूल शिक्षा विभाग ने हमारे शिक्षक पोर्टल पर ई-अटेंडेंस प्रक्रिया शुरू की थी। विभाग क आंकड़ों में ढाई लाख शिक्षक दर्ज हैं। यह माह समाप्त हो रहा है। अभी तक जो आंकड़ा आया है, उसमें से मात्र 80 हजार शिक्षकों ने ही पोर्टल पर हाजिरी दर्ज की है। बकाया टीचरों ने इससे दूरियां बनाई हैं।
ज्यादातर शिक्षक कई सालों से स्कूल नहीं पहुंच ही रहे
जिलों से शिक्षा अधिकारियों ने जो रिपोर्ट प्रेषित की है। उसने लोक शिक्षण संचालनालय को हैरान कर दिया है। करीब 20 हजार ऐसे शिक्षक हैं जो मतदाता सूची के कार्य में उलझे हुए हैं। यह ऐसे शिक्षक हैं, जो सालों से स्कूलों से गायब हैं। जो शिक्षक बीएलओ का कार्य कर रहे हैं उस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय कलेक्टरों को पत्र लिखने जा रहा है। अफसरों के अनुसार नियम यही है कि पहले शिक्षक स्कूल में पढ़ाएगा। उसके बाद वह मतदाता सूची का कार्य करेगा। जिला शिक्षा अधिकारियों ने जो रिपोर्ट दी है, उसके अनुसार ज्यादातर शिक्षक कई सालों से स्कूल पहुंच ही नहीं रहे। कलेक्टर, एसडीएम, जिपं जनपद सीईओ और तहसील कार्यालयों में ही यह काम कर रहे हैं। जबकि इनका स्कूलों से वेतन यथावत आहरण हो रहा है। यदि इन पर शाला आने का दबाव बनाया जाता है तो यह कलेक्टर एवं अनुविभागीय अधिकारियों से सीधे फोन करवाते हैं। विभाग अब इनकी प्रतिदिन निगरानी करवाएगा।
ई-अटेंडेंस प्रक्रिया में ही तैयार होगा वेतन
मप्र में शिक्षकों के लिए 1 जुलाई से अनिवार्य की गई ई-अटेंडेंस व्यवस्था में तकनीकी खामियों के आरोप लग रहे हैं। वहीं शिक्षक भी इस व्यवस्था को पसंद नहीं कर रहे हैं। जबकि जो आदेश जारी किया गया था उसमें स्पष्ट शर्त थी कि ई-अटेंडेंस प्रक्रिया में ही वेतन तैयार होगा। यदि अनुपस्थिति हुई तो वेतन कटौती तो होगी ही सर्विस बुक सहित अन्य सुविधाएं भी प्रभावित होंगी। शिक्षकों की क्यों इस कार्य में रूचि नहीं है? डिपार्टमेंट द्वारा इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी मांगी गई रिपोर्ट भी चिंताजनक है, जिसमें स्थानीय स्तर की कई समस्याएं गिनाई गई हैं। अब अगस्त से इस काम में कसावट हो इसके लिए लोक शिक्षण संचालनालय सख्त हुआ है। विधानसभा में व्यस्तता के बाद भी कमिश्नर ने अधिकारियों की बैठक ली।