- मध्य प्रदेश की जनता को मिली राहत…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत कंट्रोल की दुकान से खाद्यान्न लेने वाले हितग्राहियों को अब चावल कम, गेहूं ज्यादा मिलेगा। कंट्रोल का चावल बाजार में बेचे जाने की शिकायतों और सूचनाओं के बाद केन्द्र सरकार ने मप्र के लिए खाद्यान्न वितरण में संशोधन करते हुए गेहूं की मात्रा को 75 प्रतिशत एवं चावल की मात्रा को 25 प्रतिशत कर दिया है। उल्लेखनीय है कि गरीबी रेखा के नीचे वाले पात्र हितग्राहियों को 60 गेहूं कंट्रोल की दुकान से अब तक प्रतिशत चावल और 40 प्रतिशत मिल रहा था। मप्र की ओर से इसमें बदलाव किए जाने की मांग की जा रही थी। विगत दिनों मप्र के खाद्य मंत्री गोविंद राजपूत ने भी खाद्यान्न की मात्रा में बदलाव किए जाने की मांग केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी से की थी।
खरीदी गुणवत्तापूर्ण तो कंट्रोल पर घटिया खाद्यान्न क्यों ?
मध्यप्रदेश में कई जिलों में कंट्रोल का चावल फेरी वालों को बेचे जाने की सूचनाएं और शिकायतें सरकार को मिलती रही हैं। खराब गुणवत्ता के चलते कई हितग्राही इस चावल का भोजन के रूप में उपयोग नहीं करते हैं। कई झुग्गी बस्तियों और मोहल्लों से फेरीवाले इस चावल को कम दाम पर खरीदकर पापड़ या चावल की अन्य खाद्य सामग्री बनाने वालों को बेच देते हैं। सवाल उठता है कि जब समर्थन मूल्य पर उपार्जन के दौरान सरकार परीक्षण के बाद अच्छी गुणवत्ता का खाद्यान्न खरीदकर वेयरहाउस में पहुंचाती है तो वेयर हाउस से कंट्रोल की दुकान तक पहुंचने में गुणवत्ता वाला चावल और गेहूं आखिर इतना घटिया कैसे हो जाता है कि गरीब भी इसे खाने लायक नहीं समझते।
चावल से ज्यादा गेहूं की खपत
मध्यप्रदेश में भोजन के रूप में चावल की तुलना में गेहूं अधिक उपयोग होता है। जबकि दक्षिण भारत सहित कई राज्यों में चावल अधिक खाया जाता है, इसलिए मध्यप्रदेश की ओर से गेहूं की मात्रा बढ़ाने की मांग की जा रही थी।खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इस बारे में कहा कि केंद्र सरकार ने पीडीएस में बड़ा बदलाव किया है। राशन वितरण में वर्षों पुरानी समस्या का समाधान हो गया है। उनकी मांग के बाद केंद्र ने तीन दिन में नई व्यवस्था लागू कर दी है। अब राज्य को हर महीने एक लाख मीट्रिक टन ज्यादा गेहूं मिलेगा। जिसके बाद सरकारी राशन में गेहूं की कमी नहीं होगी। अब हर हितग्राही को उसकी पसंद का अनाज मिलेगा और राशन की कालाबाजारी की समस्या भी खत्म होगी।
केंद्र का फैसला नीतिगत बदलाव की दिशा में मिसाल
राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार का फैसला न केवल जनहितैषी बल्कि केंद्र और राज्य के समन्वय का उदाहरण है। ये सिर्फ अनुपात बदलने का नहीं, बल्कि जनता की नब्ज पहचान कर नीतिगत बदलाव का उदाहरण है। इस पहल पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी का गोविंद सिंह तोमर ने आभार व्यक्त किया। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि, पीडीएस के खाद्यान्न में चावल की जगह गेहूं की मात्रा बढ़ाने का अनुरोध एक हफ्ते के अंदर स्वीकार कर बदलाव के आदेश जारी करना बताता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार जनहित के फैसलों पर तुरंत अमल करती है।