- सिया को बायपास कर मनमर्जी से बांटी अनुमतियां…

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) के अध्यक्ष और अधिकारियों के वर्चस्व का विवाद इस कदर गहरा गया है कि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वहीं इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने दो वरिष्ठ आईएएस अफसरों को हटा दिया गया है। इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है। सिया के चेयरमैन से विवाद के बाद प्रमुख सचिव पर्यावरण नवनीत कोठारी और सिया की सदस्य सचिव उमा माहेश्वरी को हटाया गया है।
दरअसल, सिया को बायपास कर 237 पर्यावरण अनुमतियां (ईसी) जारी करने पर उपजा विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और प्रदेश के मुख्य सचिव-प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा, सिया की बैठकें क्यों नहीं कराई? प्रमुख सचिव ने ईसी का अनुमोदन कैसे किया? 23 जुलाई को चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन, जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने भोपाल के विजय दास की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील सुमीर सोधी ने बताया, कोर्ट ने एमओईएफ, सीएस-पीएस को नोटिस जारी किए हैं। इधर, कोर्ट ने नोटिस जारी किया। उधर, सरकार ने पर्यावरण सचिव नवनीत मोहन कोठारी और एप्को की कार्यपालन निदेशक उमा महेश्वरी को पद से हटा दिया। अब 12 अगस्त को सुनवाई होगी।
दो माह की टकराव में 550 केस लंबित
सिया अध्यक्ष चौहान व पीएस नवनीत मोहन कोठारी के बीच दो माह की टकराव में 550 केस लंबित हो गए। 7 मई के बाद सदस्य सचिव उमा महेश्वरी ने बैठकें बंद कर दीं। सिया अध्यक्ष ने सदस्य सचिव-पीएस को कई पत्र लिखे, पर बैठकें नहीं हुई। इस बीच महेश्वरी सिक लीव पर गईं। तब सदस्य सचिव के प्रभार में श्रीमन शुक्ल 237 आवेदनों में ईसी जारी कर दी। पीएस कोठारी ने अनुमोदन किया। इन आवेदनों को 45 दिन से अधिक हो चुके थे। नियम है-45 दिन में विचारण न लेने पर परियोजना प्रस्तावक सेक की अनुशंसा को ईसी मानी जाती है। इसी आड़ में ईसी जारी की। अध्यक्ष ने सवाल उठाए, कहा-पीएस को इसका अधिकार नहीं है। गौरतलब है कि दोनों के बीच विवाद इस कदर गहराया कि 14 जुलाई को सिया अध्यक्ष चौहान के चैंबर में पीएस कोठारी ने ताला जड़वा दिया। तब उन्होंने कहा था- बिजली फॉल्ट है। संभावित दुर्घटना से बचने को ताला लगवाया। चौहान ने ऐतराज जताया। सीएस से शिकायत की। सीएम विदेश यात्रा पर थे, उन तक भी बात पहुंची, उनके निर्देश पर चैंबर का ताला खुला।
कोर्ट को बताया गलत तरीके से जारी की ईसी
कोर्ट को बताया, सिया अध्यक्ष शिवनारायण सिंह चौहान ने अप्रैल से जून तक 48 बार सदस्य सचिव, पीएस पर्यावरण, मुख्य सचिव और एमओईएफ को सिया की बैठक बुलाने और अवैध तरीके से ईसी जारी करने के संबंध में पत्र लिखे। लेकिन ध्यान नहीं दिया। ऐसा लग रहा है, जानबूझकर गलत तरीके से अनुमतियां जारी की गईं। प्रमुख सचिव पर्यावरण को ईसी के संबंध में अधिकार नहीं हैं। फिर भी सदस्य सचिव से जारी ईसी का अनुमोदन किया। सिया को बायपास कर ईसी जारी करने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान की आशंका है। वहीं एसीएस वन अशोक वर्णवाल को एसीएस पर्यावरण, एप्को महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार। दीपक आर्य ग्रामीण सडक़ विकास प्राधिकरण के सीईओ, कार्यपालन संचालक एप्को का अति. प्रभार दिया गया है। विदेश यात्रा से लौटकर सीएम डॉ. मोहन यादव ने बड़ी कार्रवाई की। प्रमुख सचिव पर्यावरण नवनीत मोहन कोठारी और एप्को की कार्यपालन निदेशक उमा महेश्वरी को पद से हटा दिया। महेश्वरी अब सिर्फ भारतीय चिकित्सा पद्धति होम्योपैथी संचालक हैं। कोठारी को राज्यपाल का प्रमुख सचिव बनाया। वहीं, राज्यपाल के एसीएस केसी गुप्ता को कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग में भेजा है। गुप्ता राजभवन से हटना चाह रहे थे। चंद्रमौली शुक्ला को अपर सचिव सीएमओ का जिम्मा भी दिया।