- मानसून सत्र के लिए अनुपूरक बजट तैयार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक तरफ जहां विधानसभा में मानसून सत्र की तैयारियां चल रही हैं, वहीं दूसरी तरफ वित्त विभाग ने अनुपूरक बजट तैयार कर लिया है। जानकारी के अनुसार, इस बार सरकार का फोकस जीरो बेस्ड बजट पर है। इसको देखते हुए विभागों ने अपनी मांग को सीमित रखा है। इसका असर यह हुआ है कि इस बार मानसून सत्र में 5,000 करोड़ रुपए से कम का बजट विधानसभा में पेश होगा। गौरतलब है कि मप्र विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से शुरू होगा। विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पहला अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा। अनुपूरक बजट संभवत: मानसून सत्र के दूसरे दिन 29 जुलाई को पेश होगा। जानकारी के अनुसार वित्त विभाग ने प्रथम अनुपूरक बजट तैयार कर लिया है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रथम अनुपूरक बजट का आकार बहुत छोटा रखा गया है। यह 5 हजार करोड़ रुपए से कम का होगा। पिछले कुछ वर्षों में संभवत: पहली बार इतने छोटे आकार का अनुपूरक बजट मप्र विधानसभा में पेश किया जा रहा है। सामान्यत: अनुपूरक बजट की राशि 15 हजार करोड़ से अधिक होती रही है। बता दें कि विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से शुरू होगा, जो 8 अगस्त तक चलेगा। सत्र के दौरान कुल 10 बैठकें होंगी। मानसून सत्र में प्रथम अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा। साथ ही 6 से ज्यादा महत्वपूर्ण बिलों को विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। गौरतलब है कि मप्र सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गत 17 दिसंबर को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रथम अनुपूरक बजट पेश किया था। प्रथम अनुपूरक बजट 22 हजार 460 करोड़ 18 लाख 6 हजार 621 रुपए का था। इसमें राजस्व मद में 13 हजार 130 करोड़ रुपए और पूंजीगत मद में 9 हजार 329 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। ऐसे ही मप्र सरकार ने विधानसभा के बजट सत्र मे गत 11 मार्च को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट पेश किया था। अनुपूरक बजट में 19 हजार 206 करोड़ 79 लाख 529 रुपए का था। इसमें उद्योग, सिंचाई, बिजली और कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी राशि का प्रावधान किया गया था।
मूल्यांकन एवं विश्लेषण के बाद अनुपूरक बजट तैयार
बजट तैयार करते समय वित्त विभाग ने सभी विभागों के साथ मिलकर वर्तमान में चल रही सभी योजनाओं/नई योजनाओं का मूल्यांकन एवं विश्लेषण बारीकी से किया था, ताकि अगले वित्त वर्ष के लिए योजनाओं में राशि का वास्तविक प्रावधान किया जा सके। यही वजह है कि प्रथम अनुपूरक बजट में अधिकतर विभागों ने राशि की डिमांड नहीं की है और अनुपूरक बजट में तुलनात्मक रूप से कम राशि का प्रावधान किया गया। गौरतलब है कि मुख्य बजट में सभी विभागों के लिए विभिन्न योजनाओं और मदों में जरूरत के अनुसार वास्तविक राशि का प्रावधान किया गया। इसलिए विभागों ने अनुपूरक बजट में अतिरिक्त राशि की डिमांड नहीं की। निश्चित ही जीरो बेस्ड बजट से सरकार को विभिन्न योजनाओं में बजट का सटीक अनुमान लगाने में मदद मिली होगी, लेकिन अनुपूरक बजट लाने के दो मुख्य कारण हो सकते हैं। पहला, केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में समय-समय पर राज्य सरकार को केंद्र सरकार से राशि प्राप्त होती है, तो राज्य सरकार को अनुपूरक बजट में उस राशि का प्रावधान करना पड़ता है। दूसरा, आकस्मिकता निधि से दिए गए अग्रिम के समायोजन के लिए अनुपूरक बजट में राशि का प्रावधान किया जा रहा होगा।
जीरो बेस्ड बजट का असर
जानकारी के अनुसार, सरकार ने विभागों को जीरो बेस्ड बजट का निर्देश दिया है। जीरो बेस्ड बजट का असर यह देखने को मिला है कि विभागों ने डिमांड नहीं की है। इस कारण अनुपूरक बजट पांच हजार करोड़ से कम का होगा। उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रथम अनुपूरक बजट 22 हजार करोड़ से अधिक और द्वितीय अनुपूरक बजट 19 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का था। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रथम अनुपूरक बजट का आकार छोटा होने का मुख्य कारण वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जीरो बेस्ड बजट तैयार किया जाना है। मप्र पहला राज्य है, जिसने जीरो बेस्ड आधार पर बजट तैयार किया था। अमूमन विभागों द्वारा विभिन्न योजनाओं और मदों में अगले बजट के लिए राशि का प्रावधान पिछले वर्षों के अनुमान के आधार पर किया जाता है। बजट में विभिन्न मदों में वास्तविक राशि का प्रावधान किया जा सके, इसलिए जीरो बेस्ड बजट तैयार किया गया था। इस प्रक्रिया में बजट अनुमान शून्य से शुरू किए गए। इसमें योजनाओं में पिछले वर्षों के व्यय संबंधी आंकड़ों को कोई महत्व न देते हुए इस आधार पर कार्य शुरू किया गया था की अगली अवधि के लिए बजट शून्य है।
