
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अवैध खनन लगातार हो रहा है। आलम यह है कि खनन कार्य में जुटी कंपनियां नियमों को ताक पर रखकर अवैध खनन कर रही हैं। वहीं जीएसटी के भुगतान में भी चोरी की जा रही है। इसको देखते हुए मोहन सरकार ने पहली बार अवैध खनन पर सख्ती करते हुए कटनी से जुड़ी तीन माइनिंग कंपनियों से 520 करोड़ रुपए की वसूली का फैसला लिया है। इनमें 440 करोड़ रुपए का खनन स्वीकृत सीमा से अधिक आयरन ओर की खुदाई का है जबकि 80 करोड़ से ज्यादा की जीएसटी चोरी का अलग से अनुमान है।
मिली जानकारी के अनुसार मार्च माह में इसे लेकर हुई शिकायत के बाद बनाई गई खनिज अफसरों की जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन कंपनियों ने घोषित माइनिंग प्लान और पर्यावरणीय मंजूरी की सीमा से लाखों टन अधिक खनन किया है। जिन कंपनियों पर यह कार्रवाई हो रही है, उनमें निर्मला मिनरल्स, आनंद माइनिंग और पेसिफिक एक्सपोर्ट शामिल हैं। इन तीनों फर्मों ने सिहोरा तहसील के दुबियारा (32.3 हेक्टेयर), घुघरी (8.6 हेक्टेयर), प्रतापपुर (11.5 हेक्टेयर), अगरिया (20.2 हेक्टेयर) और टिकरिया (26 हेक्टेयर) में लौह अयस्क की खदानें संचालित कीं। ये सभी फर्म एक विधायक और एक कारोबारी से जुड़ी बताई जा रही हैं। जांच में सामने आया है कि यहां वर्षों से अवैध रूप से खनन किया जा रहा था जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अवैध खनन की राशि 10 हजार करोड़ तक
गौरतलब है कि जनवरी 2025 में समाजसेवी आशुतोष उर्फ मनु दीक्षित ने आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद प्रमुख सचिव (खनिज) के निर्देश पर बनी जांच टीम ने कई खदानों की जांच की। टीम ने इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (आईबीएम) के आंकड़े और सैटेलाइट इमेजरी के जरिए माइनिंग की मात्रा की पुष्टि की। सामने आया कि निर्धारित रकबे से परे जाकर बड़े पैमाने पर खनन हुआ है। व्हिसलब्लोअर मनु दीक्षित का कहना है कि सरकार ने फिलहाल सिर्फ अतिरिक्त खनन और जीएसटी चोरी की जांच पूरी की है। जबकि अवैध खनन, वन क्षेत्र में खनन, फॉरेस्ट रॉयल्टी में चोरी जैसी गड़बडिय़ों पर जांच बाकी है। अगर इन मामलों में ईमानदारी से जांच हुई तो सिर्फ कटनी-जबलपुर क्षेत्र में अवैध खनन की राशि 8 से 10 हजार करोड़ तक पहुंच सकती है।
अभी प्लान व स्वीकृति की जांच
राजस्व वसूली की प्रक्रिया जबलपुर कलेक्टर के स्तर पर शुरू की जा रही है। वहीं कर चोरी से जुड़े हिस्से पर संबंधित विभाग अंतिम आंकलन के बाद कार्रवाई करेंगे। जांच दल ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी सिर्फ माइनिंग प्लान और पर्यावरणीय स्वीकृति की सीमाओं से बाहर हुए खनन की जांच हुई है। वन क्षेत्र और अन्य अवैध खनन की जांच अगला चरण होगी। जांच अधिकारी बताते हैं कि कई अहम फाइलें व दस्तावेज दफ्तरों से गायब थे। टीम ने अलग-अलग विभागों से जुटाए दस्तावेजों, सैटेलाइट डेटा और आईबीएम रिपोर्ट के जरिए गड़बड़ी को प्रमाणित किया। सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले (प्रफुल्ल सामंता बनाम भारत सरकार) के बाद प्रदेश में खदानों की सैटेलाइट मैपिंग शुरू की गई है। इससे अन्य जिलों में अवैध माइनिंग की परतें खुल सकती हैं।