बिच्छू डॉट कॉम:टोटल रिकॉल/उमा भारती बोली- 90 से 92 और 2005 से 2013 तक प्रताड़ित हुआ मेरा परिवार

उमा भारती

उमा भारती बोली- 90 से 92 और 2005 से 2013तक प्रताडि़त हुआ मेरा परिवार
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने पूर्ववर्ती सरकारों पर उनके परिवार को प्रताडि़त करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने भोपाल स्थित निवास पर पत्रकारों से चर्चा में कहा कि 1990 से 1992 और 2005 से 2013 तक मेरा परिवार प्रताडि़त हुआ है। उन्होंने पहली बार प्रताडऩा का कारण बताया कि उन्होंने सरकार के भूमि सुधार का विरोध किया था। इसके बाद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने उनके परिवार पर हत्या, लूट, डकैती जैसे केस दर्ज करवा दिए। दूसरी बार प्रताडऩा 2005 से शुरू हुई, जो 2013 तक चली। इस अवधि में उनका नाम व्यापमं घोटाले तक में जोड़ दिया गया। उन्होंने मांग की कि व्यापमं में कितने लोगों की हत्या हुई और कितने लोगों ने आत्महत्या की, इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अब वे अपने परिवार से पूरी तरह अलग हो रही हैं, लेकिन राजनीति में सक्रिय बनी रहेंगी। राजनीति में अब शुचिता आई- उमा भारती ने डॉ. मोहन यादव सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि वे अच्छा काम कर रहे हैं।

प्रदेश में कांग्रेस जिलाध्यक्षों के चयन में फिर बड़े नेताओं का कोटा सिस्टम हावी
प्रदेश में कांग्रेस के नव सृजन अभियान के लिए नियुक्त केंद्रीय पर्यवेक्षकों से कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल और प्रदेश के प्रभारी हरीश चौधरी ने नई दिल्ली में चर्चा की है। ये पर्यवेक्षक पहले ही अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंप चुके हैं। इसके बाद अब जल्द ही नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की सूची जारी की जाएगी। लेकिन इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से भी चर्चा होगी। बताया जा रहा है कि पर्यवेक्षकों के हिसाब से जिलाध्यक्ष बनाए जाते हैं तो गुजरात में चलाए गए नव सृजन अभियान में शक्ति सिंह गोहिल और परेश धनानी जैसे नेता अपने जिलों और जहां से चुनाव लड़ते हैं, वहां अपने पसंदीदा अध्यक्ष नहीं बनवा पाए थे।

स्मार्ट मीटर बने लूट का जरिया, जबरन न लगाए
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मप्र में बिजली के स्मार्ट मीटरों के कारण बिजली बिलों में असामान्य वृद्धि और जबरन स्मार्ट मीटर लगाने की शिकायतों पर आपत्ति जताई है। उन्होंने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ता की स्वेच्छा पर निर्भर है, लेकिन इसके बावजूद बिजली कंपनियां दबाव बनाकर और जबरन स्मार्ट मीटर लगा रही हैं। पहले जहां मध्यमवर्गीय परिवारों के बिजली बिल 300 से 600 रुपए के बीच आते थे, अब स्मार्ट मीटर लगने के बाद कई लोग 6,000 से 20,000 रुपए तक के बिजली बिलों से परेशान हैं। स्मार्ट मीटर स्मार्ट लूट का जरिया बन गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत के कई शहरों से स्मार्ट मीटरों में आग लगने या उनके फटने की खबरें सामने आई हैं। ये घटनाएं उपभोक्ताओं के बीच डर और चिंता का कारण बन गई हैं, खासकर जब उनके बिलों में भी भारी वृद्धि हो रही हो।

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