
- मप्र में खुलेंगे विद्युत पुलिस थाने….
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अब मप्र में बिजली चोरी रोकना आसान होगा। गुजरात की तर्ज पर प्रदेश सरकार विद्युत पुलिस थानों की शुरुआत करने जा रही है। इन थानों में प्रतिनियुक्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा, जो बिजली विभाग की जांच टीमों के साथ जाकर औचक निरीक्षण करेगा, एफआईआर दर्ज करेगा और केस डायरी तैयार करेगा। पहले चरण में भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और रीवा में एक-एक विद्युत थाना खोला जाएगा। गौरतलब है कि बिजली चोरी और डिफाल्टरों से बिल वसूली नहीं हो पाने से बिजली कंपनियां घाटे में चल रही हैं। कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए सख्ती भी की जा रही है। अभियान चलाकर बिजली बिल वसूला जा रहा है। इसके बाद भी वसूली नहीं हो रही। इसको देखते हुए अब बिजली कंपनी प्रदेश में बिजली थाने खोलेगी। बिजली कंपनी ने इसका प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। माना जा रहा है कि इससे बिजली चोरी रुकेगी और डिफाल्टरों से बिल वसूलना भी आसान हो जाएगा। अभी बिजली बिल वसूली के दौरान कर्मचारियों के साथ मारपीट हो रही है। बिजली थाने खुल जाने से इस तरह के मामलों में कमी आएगी।
पहले चरण में खुलेंगे 6 थाने
सहमति के बाद पहले चरण में 6 बिजली थाने खोले जाएंगे। मप्र के भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन और रीवा में पहले चरण में बिजली थाने खोले जाएंगे। इन बिजली थानों में पुलिस विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर लाया जाएगा। इसके बाद प्रदेश के अन्य शहरों में भी बिजली थाने खोले जाने की योजना है। प्रदेश में बिजली चोरी सबसे बड़ा संकट है। बिजली चोरी की वजह से बिजली कंपनियों को लाइन लॉस होता है। इससे हर साल बिजली कंपनियां घाटे में रहती हैं। इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली कंपनियां हर साल बिजली का टैरिफ बढ़ा रही हैं, जिससे बिजली महंगी होती जा रही है। इस लाइन लॉस को कम करने का टारगेट मप्र विद्युत विनियामक आयोग बिजली कंपनियों को दे चुका है। इसको देखते हुए अब बिजली थाने खोलने की तैयारी बिजली कंपनियों ने कर ली है।
अभी स्थानीय पुलिस पर निर्भरता
बिजली चोरी के मामलों में विद्युत वितरण कंपनियों को स्थानीय पुलिस की मदद लेना पड़ती है। इसके लिए लगातार पत्र भी जारी करने होते हैं। पत्र देने के बाद भी कई बार पुलिस उपलब्ध नहीं हो पाती। साथ ही खेतों में केबल चोरी के मामले भी सामने आते रहते हैं। इस कारण बिजली कंपनियों द्वारा बिजली थाने बनाए जाने की मांग की जा रही थी। कई बार बिजली कर्मचारियों पर हमले तक हो जाते हैं। बिजली थाने बनने पर हर थाने में 2 उप निरीक्षक, 4 सहायक उप निरीक्षक, 8 प्रधान आरक्षक, 16 आरक्षक का स्टाफ रखे जाने की संभावना है। इनमें 14 पुरुष और दो महिला आरक्षक शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त 30 जवानों को थाना कार्यालय में कार्य करने के लिए पदस्थ किया जाएगा। इसी तरह उप निरीक्षक सहायक श्रेणी- 2 का एक पद, सहायक उप निरीक्षक डेटा ऑपरेटर का एक पद और सहायक उप निरीक्षक सहायक श्रेणी- 3 का भी एक पद रहेगा। यह आबकारी टीम की तरह काम करेगी। अंतर सिर्फ इतना होगा कि आबकारी की टीम शराब के लिए और बिजली कंपनी की पुलिस बिजली चोरों पर कार्रवाई करेगी।
ऐसे होता है लाइन लॉस
ट्रंसमिशन लॉस आपूर्ति की गई बिजली और बिल किए गए बिजली के बीच का अंतर है। उदाहरण के लिए यदि 10 यूनिट ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है, और बिल केवल 8 यूनिट का बनता है, यानी केवल 8 यूनिट उपभोक्ताओं के मीटर तक पहुंचती है। उपभोक्ता तक पहुंचने में 2 यूनिट बिजली नष्ट हो जाती है। यह वितरण घाटा कहलाता है। वितरण घाटे के लिए मुख्य रूप से बिजली चोरी और बिजली के ट्रांसमिशन में टूट-फूट को जिम्मेदार ठहराया जाता है। मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली कंपनियों को इस घाटे को कम करने का टारगेट दिया है। इसके बाद भी घाटा कम नहीं हो रहा है। बिजली कंपनियों के आंकड़ों के अनुसार साल 2023-24 में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में 28.4 फीसदी डिस्ट्रीव्यूशन लॉस हुआ है। मध्य क्षेत्र में 25.70 फीसदी और पश्चिम क्षेत्र में 12.33 फीसदी डिस्ट्रीव्यूशन लॉस हुआ है।