
- एडमिशन के बाद स्कूलों की मान्यता रद्द
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। नि:शुल्क और बेहतर शिक्षा के नाम पर मध्यप्रदेश की सरकार गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। इसका ताजा उदाहरण सामने है।
सरकार के मान्यता नवीनीकरण नियमों में बदलाव से हाल ही में आरटीई के तहत राजधानी के निजी स्कूलों में पहुंचे ऐसे करीबन 10 हजार बच्चों का प्रवेश मान्यता के अभाव में रोक दिया। इसे लेकर अभिभावक परेशान और चितिंत हैं। उनका सवाल है अब वे बच्चों को कहां पढ़ाएं? बता दें कि भोपाल में करीबन 1600 निजी स्कूल है, जहां हाल ही में करीबन एक लाख बच्चे आरटीई में पढ़ाई कर रहे हैं। सोमवार तकसरकार ने इनमे से करीबन 1000 स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण रोक दिया है। इससे आरटीई में नवप्रवेश लेने वाले बच्चे सोमवार तक स्कूल नहीं पहुंच सके।
दो बार समय सीमा बढ़ाई, लेकिन जमा नहीं किए दस्तावेज
अधिकारियों के मुताबिक मध्य प्रदेश में 2011 से आरटीई के तहत हो रही प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई थी। कोरोनाकाल को छोड़ प्रक्रिया हर साल जारी है। स्कूल शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूलों से हर दो साल में रिपोर्ट मांगता है, उसके बाद फीस दी जाती है। इस साल सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मान्यता और नवीनीकरण के लिए नियमों में संशोधन किया है। अधिकारियों का कहना है कि मान्यता के लिए को बार सीमा बढ़ाई जा चुकी है। जिला स्तर पर इसके लिए निर्णय लिए जाने है।
नहीं दे सके किरायानामा और रजिस्ट्री
मान्यता के नए नियमों के अनुसार ये निजी स्कूलों ने अभी तक ना ही किरायानामा दे पा रहे हैं, ना ही स्कूल भवन की रजिस्ट्री। नए नियमों के तहत मान्यता के किराएनामा और रजिस्ट्री अनिवार्य है। इससे कई स्कूलों के सामने दिक्कत आ रही है? खासतौर से वे स्कूल, जो पट्टे की भूमि या फिर ट्रस्ट से संचालित हैं। इनके पास दो दस्तावज नहीं है। इससे नवीनीकरण स्कूल शिक्षा विभाग ने रोक दिया है। ऐसे में अभिभावक भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चितिंत है। ऐसे में यहां आरटीई के तहत पढऩे वाले बच्चों के प्रवेश अवैध हो गए।
आंकड़ों पर एक नजर
– 1600 प्राइवेट स्कूल शहर में
– 6 हजार एडमिशन इस साल
– 50 हजार आठ कक्षाओं में
इनका कहना है..
मध्य प्रदेश में लगभग 1000 निजी स्कूलों की मान्यता का नवीनीकरण रोक दिया गया है। इससे स्कूल संचालक, बच्चे और पेरेंट्स परेशान है। यहां करीब दस हजार बच्चे आरटीई के तहत पढ़ रहे हैं। स्कूल संचालकों ने इस समरा का जल्द समाधान करने राज्य शिक्षा केन्द्र को लिखा है।
– अजीत सिंह, अध्यक्ष प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, भोपाल