जल जीवन मिशन में 136 करोड़ का घपला

जल जीवन मिशन
  • रीवा में भ्रष्टाचार की खुली पोल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के हर घर नल के माध्यम से पेयजल मुहैया कराने की योजना पर अफसर पलीता लगा रहे हैं। इस योजना में लगातार भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद भी पीएचई, जल निगम के अफसरों पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई है। उधर, रीवा जिले में जल जीवन मिशन में फर्जी कामों के जरिए 136 करोड़ का घोटाला सामने आया है। माना जा रहा है कि यह प्रदेश का पहला ऐसा घोटाला है जिसकी जानकारी प्रमाण सहित सरकार के पास पहुंची है। रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल के आदेश पर हुई इस जांच को 2022 बैच की एक अन्य महिला आईएएस अधिकारी सोनाली देव ने अंजाम तक पहुंचाया।
प्रदेश में घर-घर पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के उद्देश्य से 2019 को शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना अधर में लटकी है। 2024 में मिशन का कार्य अधूरा होने के बाद केंद्र सरकार ने जुलाई 2024 में मप्र के 1271 सर्टिफाइड गांवों में सर्वे कराया। एक निजी एजेंसी द्वारा किए गए इस सर्वे में केवल 209 गांव ही मानकों पर खरे उतरे। वहीं, 217 गांवों में नल कनेक्शन तो लगाए गए, लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई। 13 गांवों में नल कनेक्शन तक नहीं लगाए गए, बावजूद इसके कार्य पूरा दिखा दिया गया। 778 गांवों में जल गुणवत्ता की जांच में 390 सैंपल अमानक पाए गए। रिपोर्ट के अनुसार सबसे खबरा स्थिति रीवा, अलीराजपुर और सिंगरौली जिले के गांवो में है।
कई गांवों के घरों में नहीं मिले नल और टोंटी
कमेटी ने हितग्राहियों के यहां एक दर्जन ग्रामों में पहुंच कर देखने में स्पष्ट पाया गया कि किसी भी गांव में पानी की सप्लाई संतोषजनक नहीं पाई गई। पाइप भी पूर्ण रूप से नहीं बिछाया गया। कई गांव ऐसे पाए गए जहां 90 प्रतिशत भुगतान हो गया, लेकिन एक भी घर में पानी की सप्लाई नहीं हुई। जिन गांवों का निरीक्षण कमेटी ने किया, उनमें जनकहाई, कोटवाखास, केचुआ, बराह, नष्टिगवां, मदरी, रमगढरा, दर्रहा, गेदुरहा, बदरांव तिवरियान, महरी तथा कोचरी में आदि के अधिकांश घरों में हितग्राहियों को पेयजल का लाभ जीरो प्रतिशत मिला। जबकि इन गांवों की आबादी 190 से लेकर 700 तक है। केवल दो गांव कुचआ में 20 प्रतिशत और बराह में 75 प्रतिशत पेयजल का लाभा गांव के लोगों को मिल रहा है। पीएचई के इंजीनियरों ने इन ठेकेदारों और फर्मों को भुगतान किया, उनमें अनुपमा एज्युकेशन सोसायटी, ज्वाला ग्रामीण स्वरोजगार एवं विकास तथा आईएसए के नाम शामिल है।
आईएएस की जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा
जल जीवन मिशन में मिली घोटाले की शिकायतों के बाद रीवा कलेक्टर के निर्देश पर सहायक कलेक्टर एवं आईएएस अधिकारी सोनाली देव की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी में कोषालय अधिकारी आरडी चौधरी, पुष्पराज सिंह, सरदार राहुल भाई पटेल तथा सहायक ग्रेड-3 कृष्णकांत वर्मा ने अभिलेखों की जांच की। कमेटी ने संधारित एवं उपलब्ध कराए गए व्हाउचरों, कैश बुक, स्टाक पंजी, वितरण विवरण, निविदा आदि का परीक्षण किया। साथ ही हैंडपंप मेंटेनेंस, विभिन्न फार्मों को किए गए साल बार भुगतान की रिपोर्ट ली। कमेटी ने जांच में पाया कि ठेकेदार द्वारा काम पूरा किए बिना ही करोड़ों का भुगतान कर दिया गया, बल्कि शासकीय धन की अनियमितता की गई।
यह इंजीनियर पाए गए भ्रष्टाचार में जिम्मेदार:  रिपोर्ट में 24 अधिकारियों-कर्मचारियों को जिम्मेदार बताया गया है, जिनमें प्रमुख नाम हैं-शरद कुमार सिंह, संजय पांडेय (कार्यपालन यंत्री),एसके श्रीवास्तव, आरके सिंह (उपयंत्री), राजीव श्रीवास्तव, सैयद शायक नकवी (ऑडिटर), अर्चना दुबे, विकास कुमार, रहीम खान आदि। ये पूर्ण रूप से इस भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं। सरकार ने अभी तक इनके विरुद्ध केवल शोकॉज नोटिस देकर इतिश्री कर ली है।
दबी रह गई जांच रिपोर्ट
27 जून 2023 को गठित 5 सदस्यीय जांच समिति ने पीएचई कार्यालय रीवा के वित्तीय दस्तावेजों की जांच की। इसमें पाया गया कि ठेकेदारों और कंपनियों को बिना नियमों के 136.28 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया। यह रकम जल जीवन मिशन, हैंडपंप मरम्मत, टीपीआई, आईएसए, स्टेशनरी, वाहन, फोटोकॉपी जैसी मदों में खर्च दिखाई गई। सोनाली देव ने 4 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी, जिसके बाद इसे संभागायुक्त कार्यालय होते हुए मंत्रालय भेजा गया। लेकिन एक साल बीतने के बाद भी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। रिपोर्ट मंत्रालय में दबी पड़ी है। इस मामले में स्वदेश ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से कई बार संपर्क किया लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। 

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