- गौरव चौहान

आखिरकार कई महिनों की कसरत के बाद मप्र भाजपा को हेमंत खंडेलवाल के रूप में नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। खंडेलवाल मैनेजमेंट गुरु के तौर पर भी पहचाने जाते हैं। हेमंत खंडेलवाल चुनावी राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं। वे विधायक व सांसद दोनों ही रूप में चुनावी राजनीति में अपना दम दिखा चुके हैं। इस समय भी बैतूल से विधायक हैं। जो और विशिष्टताएं उन्हें रेस में खड़े बाकी कद्दावर नेताओं से आगे और मजबूत करती हैं, उनमें सबसे बड़ी ताकत उनकी संघ की पृष्ठभूमि है। संघ नेता सुरेश सोनी का आशीर्वाद तो है ही, सीएम डॉ. मोहन यादव की भी वे पहली पसंद हैं। बताया जाता है कि केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हेमंत खंडेलवाल की पैरवी की। हेमंत प्रबंधन के माहिर हैं। इसके अलावा उन्होंने लंबे समय तक पार्टी के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली है। बीते लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने चुनाव में महती जिम्मेदारी संभाली थी। मध्यप्रदेश में सत्ता का चेहरा बदलने के बाद अब पार्टी संगठन का भी चेहरा बदल रही है तो जाहिर है कोशिश ये होगी सत्ता व संगठन का तालमेल बेहतर रहे और इस लिहाज से हेमंत खंडेलवाल सटीक हैं।
हेमंत खंडेलवाल की छवि सीधे-साधे, सरल राजनेता की है। वे हमेशा से पार्टी लाइन पर चलने वाले नेता माने जाते रहे हैं। पार्टी ने जब भी उन्हें जो काम दिया, उसे उन्होंने पूरी निष्ठा से पूरा किया। आरएसएस से भी उनके नजदीकी रिश्ते हैं और वे संघ के कामों में भी हिस्सा लेते रहे हैं। उनकी नियुक्ति को संघ की पसंद से होना मानी जा रही है। खंडेलवाल की नियुक्ति कर पार्टी ने यह संदेश भी दिया है कि पार्टी लाइन पर चलने वाले कार्यकर्ताओं को वह हमेशा महत्व मिलता रहेगा। साठ वर्षीय हेमंत खंडेलवाल ने राजनीति की शुरूआत अपने पिता के संरक्षण में की। इस बीच वे संघ से जुड़े सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लेते रहे। सबसे पहले उन्हें भाजपा ने बैतूल का जिलाध्यक्ष बनाया। इसके बाद वे उपचुनाव में सांसद रहे। 2023 में वे बैतूल से दूसरी बार चुनकर विधानसभा सदस्य बने हैं। हेमंत का संगठन के कामों से गहरा नाता रहा है। इधर मप्र भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के साथ ही भाजपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य के लिए भी नामांकन भरे गए हैं। जिन लोगों ने नॉमिनेशन फार्म भरे है, उनमें सीएम डॉ. मोहन यादव, वीडी शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र खटीक, राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवड़ा, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह सावित्री ठाकुर, डीडी उईके, फग्गन सिंह कुलस्ते, लाल सिंह आर्य, ओमप्रकाश धुर्वे, सत्यनारायण जटिया, जयभान सिंह पवैया, हिमादि सिंह, भारती पारदी, इंदर सिंह परमार, सुधीर गुप्ता, नीना वर्मा, गणेश सिंह, कांतदेव सिंह, गोपाल भार्गव, डॉ. नरोत्तम मिश्रा, बृजेंद्र प्रताप सिंह, आलोक सेंजर, गौतम टेटवाल, कुंवर सिंह टेकाम, उमाशंकर गुप्ता, कमल पटेल और गजेंद्र पटेल शामिल हैं।
महाकौशल क्षेत्र से दो बार संगठन को नेतृत्व मिला
इसी तरह महाकौशल क्षेत्र से दो बार प्रदेशाध्यक्ष मिला। पहली बार शिवप्रसाद चनपुरिया (सामान्य) 1985 से 1986 से तक अध्यक्ष रहे। दूसरी बार राकेश सिंह (सामान्य) को मौका मिला। वे 2018 से 2020 तक संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रहे। वर्तमान में राकेश सिंह पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं। अविभाजित मप्र के समय छत्तीसगढ़ के दो नेता भी एमपी भाजपा अध्यक्ष रहे। रायगढ़ से लखीराम अग्रवाल (सामान्य) ने 1990 से 1994 तक और नंदकुमार साय (एसटी) ने 1997 से 2000 तक प्रदेश संगठन की कमान संभाली थी।
ग्वालियर-चंबल से 4 बार प्रदेशाध्यक्ष चुने गए
ग्वालियर-चंबल से संगठन को 4 बार नेतृत्व मिला। नरेंद्र सिंह तोमर (सामान्य) को दो बार कमान सौंपी गई। पहली बार वे 2006 से 2010 तक और दूसरी बार 2012 से 2014 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। 2014 में वो मोदी कैबिनेट में शामिल हुए। इसके बाद कमान प्रभात झा (सामान्य) को मिली, वे 2010 से 2013 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा (सामान्य) भी चंबल से हैं। उन्हें 2020 में संगठन की कमान सौंपी गई थी।
मध्य क्षेत्र के दूसरे प्रदेश अध्यक्ष
हेमंत खंडेलवाल मध्य क्षेत्र से दूसरे नेता हैं जिन्हें संगठन के नेतृत्व का मौका मिला। प्रदेश का सीएम बनने से पहले शिवराज सिंह चौहान (ओबीसी) मई 2005 से फरवरी 2006 तक भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे। मालवा-निमाड़ से 8 बार भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बने। मालवा-निमाड़ क्षेत्र से भाजपा ने सबसे ज्यादा 8 बार संगठन को नेतृत्व दिया। भाजपा के पहले प्रदेशाध्यक्ष रहे सुंदरलाल पटवा (सामान्य) मंदसौर के थे। इस पद पर वे दो बार रहे। पहली बार 1980 से 1983 तक और दूसरी बार 1986 से 1990 तक। इसके बाद रतलाम के लक्ष्मीनारायण पाण्डे (सामान्य) 1994 से 1997 तके प्रदेशाध्यक्ष रहे। मालवा क्षेत्र से धार के विक्रम वर्मा (ओबीसी) 2000 से 2002 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। इसी तरह देवास से पूर्व सीएम कैलाश जोशी (सामान्य) ने 2002 से 2005 तक संगठन का नेतृत्व किया। उज्जैन के सत्यनारायण जटिया (एससी) फरवरी 2006 से नवंबर 2006 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। खंडवा सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान (सामान्य) इस पद पर 2016 से 2018 तक रहे।
आधा दर्जन से अधिक नेता थे कतार में
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर पिछले छह महीने से राजनीतिक उठा पटक का दौर चल रहा था। करीब आधा दर्जन से अधिक प्रदेश के वरिष्ठ नेता इस पद के लिए कतार में थे। इनमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और फग्गन सिंह कुलस्ते का था। इसके अलावा आदिवासी वर्ग से सांसद गजेन्द्र सिंह का नाम भी सुर्खियों में था। एक कयास महिला नेत्री को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर भी था। इनमें सांसद लता वानखेडे, विधायक अर्चना चिटनिस का नाम भी चर्चाओं में रहा पर पार्टी हाईकमान ने पार्टी लाइन पर चलने वाले हेमंत खंडेलवाल को अध्यक्ष बनाकर सारी अटकलों पर विराम लगा दिया। भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का पार्टी के ऐसे पहले कार्यकर्ता हैं जो लगातार साढ़े पांच साल तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। उनसे पहले कई नेता प्रदेश अध्यक्ष तो रहे पर लगातार इतने लंबे समय तक नहीं। शर्मा को फरवरी 2020 में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है पर किसी न किसी कारण उनका कार्यकाल बढ़ता रहा। उनके कार्यकाल में संगठन का उल्लेखनीय विस्तार भी हुआ, साथ ही लोकसभा चुनाव में पहली बार पार्टी ने क्लीनस्वीप करते हुए सभी 29 सोटो पर विजय हासिल की।